मदर्स डे पर एसडीओपी संतोष पटेल की ममतामयी पहल, करोड़ों की जमीन की मालकिन वृद्धा को पहुंचाया घर
ग्वालियर, न.सं.। एसडीओपी घाटीगांव संतोष पटेल अपने क्षेत्र में कानून व्यवस्था को चाक चौबंद रखने का प्रयास तो करते रहते ही रहते हैं साथ ही जब भी उनका किसी असहाय व वृद्ध की मदद करने का मौका मिलता है उसे करने से भी नहीं चूकते हैं। मदर्स डे पर उन्होंने एक बार फिर मानवता की मिसाल पेश करते हुए एक वृद्धा को न केवल उसके घर पहुंचाया बल्कि शराबी बेटे को नसीहत दी कि अपनी मां का वह पूरा ख्याल रखे और उनकी सेवा भी करे।
घाटीगांव थाना क्षेत्र के भट्टपुरा की रहने वाली काशीबाई पत्नी भंता आदिवासी 70 वर्ष रविवार को सडक़ किनारे खड़ी थी। हाथ में शिकायती आवेदन लिए वृद्धा पर जब वहां से निकल रहे एसडीओपी घाटीगांव संतोष पटेल की नजर पड़ी तो उन्होंने अपनी गाड़ी को रोकने के लिए चालक से कहा। गाड़ी रुकने केे बाद वृद्धा से जब पटेल ने समस्या पूछी तो वह रोने लगी और बेटे पंजाब आदिवासी द्वारा परेशान करने व घर से निकाल देने के बारे में बताया। एसडीओपी पटेल वृद्धा ने वृद्धा को अपनी गाड़ी में बैठाया और उसे लेकर उसके घर पहुंचे। बेटा पंजाब पुत्रवधू मीना और नाती घर पर ही मिल गए। पुलिस के साथ मां काशीबाई को घर में देखकर पंजाब ने पहले तो समझा कि वह आज थाने की हवा खाएगा। लेकिन जब संतोष पटेल ने मदर्स डे पर शराब का नशा करने वाले पंजाब आदिवासी को अपने पास बैठाकर मां का महत्व और उसकी सेवा करने के बारे में समझाया तो उसकी आंखों से आंसू निकल आए और पंजाब आदिवासी व उसकी पत्नी मीना ने काशीबाई के पैर पकड़ लिए। दोनों ने मां काशीबाई के पैर पकडक़र माफी मांगी। तीन वर्ष के बाद बेटा और पुत्रवधु ने मां के पैरों से हाथ लगाया और पैर दबाकर पुलिस के सामने सेवा भी की। साथ ही पंजाब आदिवसी ने पुलिस अधिकारी से कहा कि अब कभी वह मां को नहीं सताएगा और न ही अपनी कीमती जमीन को बेचेगा। काशीबाई ने एसडीओपी पटेल को घर नसीब होने पर सिर पर हाथ रखकर दुआएं दी और कहा कि बेटा खूब तरक्की करो।
करोड़ों की जमीन पर थी लोगों की नजर
काशीबाई की हाइवे पर दो बीघा जमीन है जिसकी कीमत आज एक करोड़ रुपए से ज्यादा बताई जा रही है। पंजाब आदिवासी को लोगों ने अपने झंासे में लेकर वृद्ध मां को घर से भगवा दिया था साथ ही पंजाब ने अपने भाईयों को भी जमीन में हिस्सा देने से इंकार कर उसे बेचने की फिराक में थे। शराब पीने के आदी पंजाब ने मां की मारपीट घर से निकाल दिया था। जबकि काशीबाई की सिर्फ यह इच्छा है कि उसे खाने के लिए अनाज मिल जाए खेती कोई भी करे।
वृद्धा की पुलिस के प्रति बदली सोच
काशीबाई के मन में पुलिस के प्रति यह सोच थी कि पुलिस कोई काम नहीं करती है। लेकिन एक पुलिस अधिकारी का यह प्रेम भाव और उसको अपने घर ले जाकर रसगुल्ले और दहीबड़ा खिलाने पर गदगद हो रही थी और उसके मुंह से बस यही निकल रहा था कि तुम तो हमार बेटा हो।
वृद्धा का आर्शीवाद मिला यही मेरी दौलत: पटेल
न वह दौलत से न उम्र से....अपनी ममता से हराती है, घर से भगाने वाले को भी मां बेटा कहकर पुकारती है। में करेला का जूस पीता हूँ और नीम की दातून करता हूँ। मुसीबतों को हराने माताओं का आशीष लेकर चलता हूँ।
संतोष पटेल
एसडीओपी घाटीगांव