एक वर्ष बीता फिर भी नहीं पता चले गायब हुए 300 सिलेण्डर
ग्वालियर, न.सं.। कोरोना के खतरे को देखते हुए भले ही अस्पतालों में व्यवस्थाएं जुटाई जा रही हैं। वहीं जयारोग्य से गायब हुए 300 सिलेण्डरों के मामले में एक वर्ष बीत जाने के बाद भी किसी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। जबकि उक्त मामला विधानसभा तक पहुंच चुका है। लेकिन आज दिन यह पता नहीं चल सका कि आखिर सिलेण्डरों को जमीन खा गई या आसमान ने निगल लिया।
कोरोना संक्रमण की पहली लहर और दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की खपत बढ़ गई थी और सिलेण्डरों की कमी होने लगी थी। इसलिए क्षेत्रीय संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाएं द्वारा कुल 402 सिलेण्डर जयारोग्य को उपलब्ध कराए गए थे। इसके अलावा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल व समान सेवी संस्थाओं द्वारा दान में किए गए सिलेण्डरों की संख्या मिला कर जयारोग्य में कुल 600 सिलेण्डर उपलब्ध हो गए थे। लेकिन धीरे-धीरे सिलेण्डर गायब होते गए और सिलेण्डर जिनकी देख रेख में रखे गए थे, उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया। इतना ही नहीं जब ऑक्सीजन स्टोर कीपर सुरेश गोर सेवा निवृत्त हुए और उन्होंने दूसरे बाबू को चार्ज दिया तो उसने चार्ज लेने से स्पष्ट मना कर दिया। जिसके बाद मामला तूल पकड़ा।
इसके बाद प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट की नाराजगी के बाद पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर एक वर्ष पूर्व कम्पू थाने में सिलेण्डर गायब होने की प्राथमिकी अस्पताल प्रबंधन की ओर से दर्ज कराई गई। लेकिन थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया। अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि सिलेण्डर गायब होने की जांच पुलिस द्वारा की जा रही है। इसलिए अब पुलिस ही बता सकती है कि सिलेण्डर कहां गए। लेकिन एक वर्ष बीत जाने के बाद भी यह रहस्त नहीं खुल सका कि इतनी बड़ी संख्या में सिलेण्डर कहां चले गए, जिसको लेकर जिम्मेदारों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
विधायक ने विधानसभा में उठाया था मामला
ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र से विधायक डॉ. सतीश सिकरवार ने जनवारी माह में विधानसभा में जयारोग्य की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े करते हुए कहा था कि सिलेण्डरों व दवाओं का गायब होना व चोरी होना चिंता का विषय है। जिससे शासन की छवि भी धूमिल हो रही है। उसके बाद भी जिम्मेदारों पर आज दिन तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जिसके बाद अपर संचालक वित्त चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा महाविद्यालय से मामले में की गई कार्रवाई की जानकारी भी मांगी गई थी। लेकिन उसके बाद मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।