ग्वालियर में ठेकेदार को नहीं मिल रहा पार्किंग शुल्क, 30 लाख का घाटा
ग्वालियर, न.सं.। लॉकडाउन के दौरान रेलवे स्टेशन की पार्किंग में वाहन खड़ा रखना भारी पड़ रहा है। क्योंकि अब हालात सामान्य होने पर लेने आ रहे हैं ढाई महीने का दुपहिया वाहनों का ही पार्किंग शुल्क 1400 से 2200 रुपए बन रहा है। जबकि पहले रोज के हिसाब से 10 से 20 लगते थे।
इसमें मामले में पार्किंग ठेकेदारों का तर्क है कि लॉकडाउन अवधि के भी हर महीने के नौ लाख रुपए रेलवे को जमा करवाने पड़ सकते हैं। ऐसे में ठेकेदार भी रेलवे प्रशासन से जमा होने वाली मासिक अनुबंध की राशि से लॉकडाउन अवधि में छूट दिलाने की कवायद में जुटे हैं। प्रशासन द्वारा अब लगातार छूट दी जा रही है, लेकिन रेलवे सेवा पूरी तरह बहाल नहीं हो पाई है। इससे रेलवे स्टेशन की पार्किंग संचालित नहीं हो पा रही है। जिन लोगों के दो पहिया वाहन करीब दो महीने या इससे ज्यादा समय तक पार्किंग में खड़े रहे, वे जब उन्हें लेने पहुंच रहे हैं तो पता चल रहा है कि रेलवे में पार्किंग किराया करीब 2100 रुपए से ज्यादा बन रहा है। हालांकि पार्किंग ठेकेदार वाहन मालिक को कुछ रियायत भी दे रहे हैंं। वहीं कई लोग तो वाहन लिए बगैर लौट रहे हैं।
चार कर्मचारियों दे रहे मानदेय-
पार्किंग में अभी 90 दोपहिया वाहन खड़े हुए हैं, जो लॉकडाउन से पहले रखे थे। कुछ वाहन ले जा चुके लोगों के 1200-1300 रुपए किराया बना, लेकिन मानवीयता को देखते हुए उन्हें रियायत दी गई। हालांकि कमाई नहीं होने पर भी यहां नियुक्त चार कर्मचारियों को महीने के करीब 30 हजार रुपए मानदेय देना पड़ रहा है।
प्रीमियम पार्किंग का ठेका खत्म-
प्लेटफार्म क्रमांक एक के बाहर सर्कुलेटिंग एरिया में बनी प्रीमियम पार्किंग का ठेका 3 जून को खत्म हो चुका है। ठेका खत्म होने के बाद रेलवे इस पार्किंग का ठेका फिर से देगा। लेकिन लॉकडाउन के कारण कोई भी ठेकेदार पार्किंग का ठेका लेने को तैयार नहीं है।
इनका कहना है:-
लॉकडाउन में हमारा बहुत नुकसान हो चुका है, जो वाहन पार्किंग में खड़े थे उनका भी पैसा नहीं मिला है। वाहनों की रखवाली के लिए कर्मचारियों को तैनात किया गया है। रेलवे को ठेके की अवधि में कुछ छूट देनी चाहिए।
-जयभान सोलंकी
पार्किंग ठेकेदार