ट्रेनों की संख्या बढ़ी तो सुनसान पड़े स्टेशन पर लौटने लगी रौनक

ट्रेनों की संख्या बढ़ी तो सुनसान पड़े स्टेशन पर लौटने लगी रौनक
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कुली, वेंडर, स्टॉल संचालकों व ऑटो वालों को राहत

ग्वालियर, न.सं.। रेलवे स्टेशन से ट्रेनों का संचालन दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। वहीं रोजाना आधा सैकड़ा से अधिक ट्रेनें ग्वालियर से होकर गुजर रही हैं। इन ट्रेनों में यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या में भी वृद्धि हुई। लॉकडाउन के बाद से सुनसान पड़े रेलवे स्टेशन में यात्रियों की रौनक लौटने लगी है। रोजाना दो से तीन हजार यात्री स्टेशन पहुंच रहे हैं।

लॉकडाउन के साथ रोजगार गंवाने वाले कुली, वेंडर, स्टॉल संचालक, ऑटो-टैक्सी चालक व उनके परिवारों के सदस्यों के जीवन में निराशा की जगह उम्मीदें जाग गई हैं। स्टेशन के आसपास कारोबार करने वाले हजारों दुकानदार, ठेले लगाने वाले देर-सबेर दो पैसे कमाने के सपने देख रहे हैं। यहां बता दें कि अकेले ग्वालियर रेलवे स्टेशन से अप-डाउन की 22 से अधिक ट्रेनें गुजर रही हैं। इन ट्रेनों में हजारों यात्री यात्रा कर रहे हैं। स्टेशन से शुरू होने वाली ट्रेनों में तो यात्री गंतव्य के लिए रवाना हो रहे हैं। इसके साथ ही यहां से गुजरने वाली ट्रेनों में भी यात्रा कर रहे हंै। यही कारण है कि यात्रियों की संख्या रेलवे स्टेशन पर लगातार बढ़ रही है। वहीं इन ट्रेनों से शहर आने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है।

आरक्षण से मिलेगा फायदा

रेलवे सभी ट्रेनों को बतौर स्पेशनल ट्रेन संचालित कर रहा है। ऐसे में कई यात्री ऐसे हैं जो ट्रेन आने के पूर्व बिना आरक्षण के स्टेशन पहुंच जाते हैं। हाल ही में रेलवे ने दूसरे आरक्षण चार्ट की समयावधि दो घंटे से घटाकर आधा घंटा कर दी है। इससे उन यात्रियों को फायदा होगा जो आरक्षण के बगैर स्टेशन पहुंच जाते हैं। वे तत्काल टिकट विंडो में आरक्षण कराकर किसी भी ट्रेन में यात्रा कर सकेंगे।

160 से अधिक ट्रेनें ग्वालियर से गुजरती थीं

लॉकडाउन से पहले झांसी मंडल के ग्वालियर रेलवे स्टेशन से लगभग अप और डाउन की 160 ट्रेनें गुजरती थीं। लेकिन इन दिनों सिर्फ 22 जोड़ी ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि जल्द ही गतिमान एक्सप्रेस का संचालन शुरू किया जा सकता है।

बिना पीपीई किट के कर रहे स्क्रीनिंग

रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ के जवान यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग कर रहे हैं। जबकि जवानों को थर्मल स्क्रीनिंग करने का कोई भी अनुभव या प्रशिक्षण नहीं दिया गया है। इतना ही नहीं आरपीएफ के जवानों को थर्मल स्क्रीनिंग करवाते वक्त सुरक्षा उपकरण पीपीई किट तक उपलब्ध नहीं करवाए गए हैं।

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