उमस भरी गर्मी में स्टेशन के बाहर बैठने को मजबूर यात्री
ग्वालियर, न.सं.। रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों की संख्या बढऩे से भीड़ बढ़ गई है। लेकिन यात्रियों के लिए स्टेशन परिसर में न तो शैड है और न ही बैठने की कोई व्यवस्था है। इससे यात्रियों के लिए उमस भरी गर्मी में पल-पल काटना मुश्किल हो रहा है। खाने-पीने की वस्तुओं के लिए भी यात्री तरसते रहते हैं।
कोरोना महामारी के चलते 23 मार्च से ट्रेनों का संचालन बंद कर दिया गया। स्टेशन पर जहां 24 घंटे हलचल रहती थी वहां चार महीने तक सन्नाटा पसरा रहा। धीरे-धीरे ट्रेनों की संख्या बढऩे से स्टेशन पर यात्रियों की हलचल बढ़ती जा रही है। अभी ग्वालियर स्टेशन से अप और डाउन की 22 ट्रेनें गुजर रहीं हैं। मगर ट्रेनों के आने के 90 मिनट पहले ही यात्रियों को प्लेटफार्म पर प्रवेश मिलने के कारण उनको स्टेशन के बाहर ही वक्त गुजारना भारी पड़ रहा है। धूप के कारण यात्री इधर-उधर बैठ नहीं पाते हैं। स्टेशन परिसर के बाहर शौचालय गंदगी से पटा रहता है। ठंडे पानी का भी इंतजाम नहीं है। बड़ी संख्या में मजदूर ग्वालियर स्टेशन से दूसरे शहरों में मजदूरी करने के लिए लौट रहे हैं। इनमें तमाम ऐसे यात्री रहते हैं जो वेटिंग का टिकट बनाकर आते हैं। उनसे कहा जाता है कि अंतिम चार्ट बनने पर सीट कंफर्म हो जाएगी। मंगला एक्सप्रेस, गोवा एक्सप्रेस समेत ऐसी कई ट्रेनें हैं जिनमें अंतिम चार्ट बनने पर टिकट कंफर्म नहीं हो पा रहा है। चूंकि तमाम यात्रियों को इस बात की जानकारी नहीं रहती है कि चार घंटे पहले तक कंफर्म और आधे घंटे पहले तक वेटिंग का टिकट निरस्त होता है। इसके बाद किराए की वापसी नहीं होती है।