ग्रामीण क्षेत्र की बदहाल स्वास्थ्य सेवाएं, मरीजों को नहीं मिल रहे चिकित्सक
ग्वालियर.। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं के दुरुस्त होने के दावे भले ही अधिकारियों द्वारा किए जाते हैं। लेकिन हकीकत तो यह है कि ग्रामीण क्षेत्र की स्वास्थ्य संस्थाओं में तमाम चिकित्सकों व स्टाफ होने के बाद भी स्वास्थ्य सुविधाएं दम तोड़ती जा रही है। हालत यह है कि चिकित्सक से लेकर स्टाफ न तो समय पर पहुंच रहे हैं और न ही पूरे समय अस्पताल में रूकते हैं। जिस कारण मरीजों को बिना उपचार के ही लौटना पड़ता है।
यही कारण है कि सोमवार को भी एक पुलिस के जबान को उपचार के लिए परेशान होना पड़ा। बेहट थाने में पदस्थ पुलिसकर्मी विपिन को पेट में दर्द होने के साथ ही चलने में परेशानी हो रही थी। इस पर थाना का स्टाफ विपिन को बेहट स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सुबह करीब 11 बजे लेकर पहुंचे। लेकिन मौके पर जब कोई चिकित्सक नहीं मिला तो स्टाफ विपिन को सीधा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हस्तनापुर लेकर पहुंचे। जहां ड्यूटी पर अकेले डॉ. नवीन नागर ने विपिन को भर्ती कर उपचार शुरू किया। लेकिन हस्तनापुर में भी पर्याप्त संसाधन न होने के चलते चिकित्सक ने करीब एक घंटे बाद विपिन को जिला अस्पताल मुरार के लिए रैफर किया। जिला अस्पताल में चिकित्सकों ने पुलिसकर्मी की सीटी स्कैन की जांच कराई और सीधा जयारोग्य के एक हजार बिस्तर के लिए रैफर कर दिया।
विपिन का कहना था कि बेहट के स्वास्थ्य केन्द्र से लेकर जिला अस्पताल तक उन्हें उपचार के लिए परेशान होना पड़ा और फिर जयारोग्य में भर्ती कर उपचार शुरू किया गया।
उटीला में भी समय पर नहीं पहुंचते चिकित्सक
बेहट स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के अलावा उटीला स्वास्थ्य केन्द्र में भी चिकित्सक व स्टाफ दस बजे के बाद ही पहुंचते हैं। यहां के स्थानीय निवासियों का कहना था कि उटीला में चिकित्सक 10 बजे के बाद ही आते हैं और 12 बजे तक चले जाते हैं। ऐसे में ग्रामीणों को उपचार के लिए परेशान होना पड़ता है।
एएनएम ही कराती है प्रसव
बेहट स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में प्रसव की भी सुविधा है। लेकिन यहां चिकित्सकों की अनुपस्थिति में एएनएम द्वारा ही प्रसव कराया जाता है। इतना ही नहीं अगर प्रसव के दौरान कोई इमरजेंसी होती भी है तो महिला को रैफर करने तक के लिए कोई बेहतर व्यवस्था नहीं होती। जिस कारण कई महिलाओं को बिना उपचार के ही लौटना पड़ता है।
अधिकारी भी नहीं पहुंचे निरीक्षण पर
ग्रामीण क्षेत्र की स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर रखने में स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी भी कोई रूची नहीं दिखाते। इतना ही नहीं अधिकारी ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों की व्यवस्थाओं को जांचने के लिए निरीक्षण तक नहीं करते। यही कारण है कि चिकित्सक व स्टाफ बेखौफ होकर अपनी मनमानी करते हैं।