ग्वालियर सिविल अस्पताल की OPD में मरीज हुए चकरघिन्नी, स्टाफ ने नहीं बनाये पर्चे, भाजपा नेता के प्रयास फेल
ग्वालियर/वेब डेस्क। हजीरा क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें। इसके लिए ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर तमाम प्रयास करने में लगे हुए हैं। लेकिन जिम्मेदारों की अंदेखी के कारण मरीजों को उपचार के लिए तो भटकना पड़ रही रहा है। साथ ही प्रयास फेल होए से ऊर्जा मंत्री की छवि भी खराब हो रही है। जिसका एक मामला सोमवार को अवकाश के दिन खुली दो घंटे की ओपीडी में देखने को मिला। जहां जब मरीज उपचार के लिए परेशान हुए तो ऊर्जा मंत्री को जमकर कोसा।
दरअसल शासन के नियम अनुसार अगर दो दिन लगातार शासकीय अवकाश होता है तो किसी एक दिन दो घंटे की ओपीडी सुबह 9 से 11 बजे तक संचालित की जाती है। इसी के चलते हजीरा सिविल अस्पताल में सोमवार को दो घंटे की ओपीडी संचालित की गई। लेकिन रविवार को अवकाश के चलते सोमवार को अस्पताल में मरीजों की अधिक संख्या पहुंची। लेकिन 11 बजे से दस मिनट पूर्व ही पर्चे बनना बंद हो गए और सुरक्षाकर्मी ने सभी को वापस जाने के लिए कहा। जिसको लेकर लाइन में पर्चा बनवाने के लिए परेशान हो रहे मरीजों को गुस्सा फूट गया और हंगामा करने लगे। मरीजों का कहना था कि अगर दो घंटे ही ओपीडी खोली जानी थी तो पहले से ही सूचित किया जाना था, जिससे वह लाइन में परेशान तो न होते। इतना ही नहीं कुछ महिलाओं ने भी ऊर्जा मंत्री को भी जमकर खरी-खोटी सुनाई और बिना उपचार के लौट गईं। जिसको लेकर स्पष्ट है कि भले ही ऊर्जा मंत्री तोमर अस्पताल की व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिए अपनी ऐढ़ी चोटी का जोर लगाने में लगे हुए हैं, लेकिन अस्पताल के जिम्मेदार व्यवस्थाओं को सम्भालने की जगह मंत्री की छवी का भी भट्टा लगा रहे हैं।
जिन्हे उपचार मिला उनकी नहीं हुई जांचे
अस्पताल में कई ऐसे मरीज भी परेशान हुए, जिन्हें चिकित्सक का परामर्श तो मिला गया। लेकिन बिना जांच कराए ही लौट गए। यादव धर्मकांटा निवासी मनीष राठौर का कहना था कि उन्हें पहले तो चिकित्सक को दिखाने के लिए लाइन में परेशान होता पड़ा और जब वह एक्सरे कराने पहुंचे तो एक्सरे कक्ष में ताला लटका हुआ था। इसी तरह पैथोलॉजी विभाग को भी 11 बजे से पूर्व ही बंद कर दिया गया। जिस कारण कई मरीज आधा-अधूरा उपचार लेकर लौटे।
ऑटो से ले जाना पड़ा मरीज, जयारोग्य किया रैफर
चार शहर का नाका निवासी 30 वर्षीय प्रियंका पेट में दर्द व बेहोशी की हालत में अपने परिजनों के साथ उपचार के लिए सिविल अस्पताल पहुंची। लेकिन अस्पताल में चिकित्सक ने उन्हें सीधा जयारोग्य के लिए रैफर कर दिया। इतना ही नहीं महिला को जयारोग्य तक पहुंचने के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था तक नहीं की गई। जिस कारण परिजनों को ऑटो से ही जयारोग्य लेकर जाना पड़ा। जबकि अस्पताल में खुद ही एम्बुलेंस तक उपलब्ध है। महिला के परिजनों का कहना था कि भवन सिर्फ दिखावे के लिए हैं। यहां चिकित्सक मरीजों को देखना ही नहीं चाहते हैं।
100 रुपए लगा किराया फिर भी नहीं मिला उपचार
बामौर निवासी सुशीला के चार वर्षीय नाती और 3 वर्षीय नातिन को बुखार आ रहा था। जिसके उपचार के लिए वह सिविल अस्पताल में सुबह 10 बजे पहुंची। सुशीला का कहना था कि उन्होंने 100 रुपए किराया खर्च किया और पर्चा बनवाने के लिए आधे घंटे तक लाइन में लगे रहना पड़ा, उसके बाद भी बिना उपचार के ही लौटना पड़ रहा है।
अगर सूचना दे देते तो हम परेशान नहीं होते
गोसपुरा निवासी पुष्पा का कहना था कि उन्हें बुखार आ रहा था, जिसके उपचार के लिए वह अस्पताल आईं थी। अगर अस्पताल में दो घंटे की ओपीडी की सूचना चस्पा की जाती तो मैं लाइन में एक घंटे परेशान नहीं होती। अस्पताल के चिकित्सक अपनी मनमानी कर रहे हैं और मरीज परेशान हो रहे हैं।
इन्होने कहा -
अस्पताल में मरीजों को सूचना क्यों नहीं दी गई, पैथोलॉजी व एक्सरे विभाग क्यों बंद किए गए। इसकी जानकारी प्रभारी से ली जाएगी।
डॉ. मनीष शर्मा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी
मरीजों को उपचार के लिए किसी भी तरह से परेशानी न हो इसके लिए अस्पताल प्रबंधन को स्पष्ट निर्देश दिए हैं। लेकिन दो घंटे की ओपीडी में मरीज परेशान क्यों हुए, इसकी जानकारी लेकर व्यवस्थाएं बेहतर करने के निर्देश दिए जाएंगे।
प्रद्युम्न सिंह तोमर, ऊर्जा मंत्री