गांव में पोस्टिंग शहर में कर रहे नौकरी, अटैचमेंट से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को नहीं मिल रहा इलाज

गांव में पोस्टिंग शहर में कर रहे नौकरी, अटैचमेंट से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को नहीं मिल रहा इलाज
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ग्वालियर। ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर हो सकें। इसके लिए शासन द्वारा लगातार ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य संस्थाओं का विस्तार किया जा रहा है। साथ ही पर्याप्त चिकित्सकों से लेकर अन्य स्टाफ की भी पदस्थपना की जा रही है। लेकिन अटैचमेंट के खेल से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं गड़बड़ा गई हैं। जिले में ग्रामीण क्षेत्र की कई डिस्पेंसरियों में इलाज करने के लिए न चिकित्सक हैं, न ही एएनएम। एक दर्जन से अधिक ऐसे चिकित्सक हैं, जिनकी पदस्थापना दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। लेकिन वह शहर में या उसके नजदीक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में अटैच हैं। जबकि शासन द्वारा अटैचमेंट पूरी तरह समाप्त करने के निर्देश दिए जा चुके हैं। इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा बड़े स्तर पर अटैचमेंट किए जा रहे हैं, जिस कारण मरीजों को समुचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हस्तनापुर की बात करें तो यहां छह चिकित्सक पदस्थ हैं। लेकिन छह चिकित्सकों में से तीन विशेषज्ञ चिकित्सकों ने अपना अटैचमेंट शहर के अस्पतालों में करा रखा है। इसमें स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. गीता अहिरवार व डॉ. मुकेश तोमर प्रमुख हैं। इसके अलावा मेडिकल ऑफिसर डॉ. अमर सिंह अल्ट्रासाउण्ड की ट्रेनिंग पर चल रहे हैं। इतना ही नहीं डॉ. व्यास एवं डॉ. अनिल मौर्य भी आए दिन अवकाश पर ही रहते हैं। ऐसे में हस्तनापुर स्वास्थ्य केन्द्र में सिर्फ डॉ. नवीन नागर ही ओपीडी में मिलते हैं। जबकि हस्तापुर में प्रतिदिन करीब 100 मरीज तक ओपीडी में उपचार के लिए पहुुंचते हैं। इतना ही नहीं चिकित्सकों की अनउपलब्धता के कारण मरीजों को भर्ती करना भी मुस्किल हो जाता है। उसके बाद भी जिम्मेदार चिकित्सकों के अटैचमेंट खत्म करने का नाम ही नहीं ले रहे हैं।

डबरा का भी यही हाल

डबरा सिविल अस्पताल की बात करें तो यहां का भी बुरा हाल है। यहां पदस्थ स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. गरिमा यादव, अस्थी रोग विशेषज्ञ रवि वर्मा व डॉ. सुरेन्द्र सोलंकी का भी अटैचमेंट शहर के स्वास्थ्य केन्द्रों में हैं। इतना ही नहीं डॉ. गरिमा यादव का तीन माह के लिए मुरार जच्चा खाने में अटैचमेन्ट हुआ था। लेकिन तीन माह पूरे होने के बाद भी सिविल सर्जन डॉ. आर.के. शर्मा द्वारा आज दिन तक उन्हें रिलीव ही नहीं किया गया।

नर्सिंग व एएनएम के भी अटैचमेंट

स्वास्थ्य विभाग में सिर्फ चिकित्सकों के ही नहीं नर्सिंग स्टाफ, एएनएम से लेकर बाबुओं तक के अटैचमेंट हैं। इतना ही नहीं कुछ बाबू तो ऐसे हैं, जो लम्बे समय से सीएमएचओ कार्यालय में ही जमे हुए हैं। जबकि उनकी पदस्थापना स्वास्थ्य केन्द्रों पर है।

भोपाल तक पहुंच चुकी हैं शिकायतें

स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सकों से लेकर बाबुओं तक के अटैचमेंट की शिकायतें भोपाल तक पहुंच चुकी हैं। इसके बाद शासन स्तर पर कई बार अटैचमेंट खत्म करने के निर्देश भी जारी किए गए। लेकिन जिम्मेदार अटैचमेंट खत्म नहीं कर सके। इसका एक कारण है भी है कि कई चिकित्सकों के अटैचमेंट मंत्रियों व विधायकों की सिफरिशों पर हुए हैं।

जिन चिकित्सकों की पदस्थापना ग्रामीण क्षेत्र में है और उन्होंने अटैचमेंट करा लिया है। उनके अटैचमेंट जल्द खत्म किए जाएंगे।

डॉ. आर.के. राजौरिया

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी

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