Gwalior : सिर्फ कागजों में महिला सुरक्षा, फील्ड पर सुस्त पड़े ग्वालियर पुलिस के कई अभियान, जिम्मेदार कौन ?

Gwalior : सिर्फ कागजों में महिला सुरक्षा, फील्ड पर सुस्त पड़े ग्वालियर पुलिस के कई अभियान, जिम्मेदार कौन ?
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महिला सुरक्षा ग्वालियर पुलिस विभाग के लिए चुनौती बनता जा रहा है। अक्षया हत्याकांड से कॉलेज और स्कूल गोईंग छात्राएं काफी सहमी हुई हैं। महिला हेल्पलाइन नंबर 1090, 1098, 100, 7049110100 नंबर डायल कर मिलेगी सुरक्षा लेकिन पुलिस का दावा खोखला साबित हो रहा है।

ग्वालियर/स्वदेश डिजिटल। महिला सुरक्षा पुलिस विभाग के लिए चुनौती बनती जा रही है। पूर्व डीजीपी की रिश्ते में नातिन अक्षया के हत्याकांड से कॉलेज और स्कूल गोईंग छात्राएं काफी डरी हुई हैं। हर दिन हो रही घटनाओं नें लड़कियों को दहशत में डाल दिया है। हालांकि महिला सुरक्षा को लेकर पुलिस विभाग ने कई जागरूकता अभियान चलाए हैं। लेकिन यह अभियान अपराधियों को रोकने में सक्षम नहीं हैं। पुलिस विभाग द्वारा चलाये जा रहे अभियान जैसे अभिमन्यू,ऑपरेशन शक्ति, ऑपरेशन मुस्कान, ऑपरेशन एहसास, निर्भया मोबाइल, महिला सुरक्षा अभियान, ऊर्जा हेल्प डेस्क आदि चलाए जा रहे हैं। यह अभियान महिला संबंधी अपराधों के रोकथाम के लिए चलाए जा रहे हैं। ग्वालियर पुलिस विभाग की निष्क्रियता के चलते इन अभियानों से जनता ज्यादा परिचित नहीं है। जबभी महिला संबंधी अपराध होता है, तब पुलिस को इन अभियानों की याद आती है फिर इसपर काम करना शुरू कर देती है। पुलिस अभियान काफी सुस्त गति से चल रहे है यही वजह है लोग इन्हें भूल जाते हैं। शिकायत करने पर भी विभाग द्वारा उचित कार्रवाई न कर टालमटोल रवैया अपनाता है। आखिर जिम्मेदार कौन ?

ग्वालियर शहर में बढ़ते क्राइम को देखते हुए प्रमुख चौराहों, बाजारों में सतत निगरानी एवं चैकिंग की आवश्यकता है। (File Photo)

पुलिस ने शुरू किए महिला सुरक्षा अभियान -

महिला संबंधी अपराध होने के बाद ही पुलिस को बंद पड़े अभियान याद आ जाते हैं। जो अभियान तीन से चार साल पहले शुरू किए थे, जानकारी के अभाव में महिलाएं/लड़कियां इन्हे भूल चुकी हैं।

ऑपरेशन शक्ति -

चार साल पहले शुरू हुआ ऑपरेशन शक्ति जिसके अंतगर्त शहर के पिकनिक स्थलों, कोचिंग, स्कूल, कॉलेज आदि जगहों पर महिलाओं और छात्राओं से बात करके उनकी समस्या सुनने का काम था। जिसमें 14 महिला पुलिस का दल 4 दोपहिया एवं 1 चारपहिया वाहनों से शहर पर नजर रखने और मनचलों को पकड़ने का काम था। महिला पुलिस का दल स्कूल, कॉलेज, कोचिंग संस्थानों में जाकर छात्राओं से संपर्क कर उनकी समस्या सुनती। लेकिन कॉलेजों की छात्राओं से बात करने पर वह ऑपरेशन शक्ति के बारे में नहीं जानती थी। इसके तहत महिलाओं को समस्या होने पर कंट्रोल रूम का नंबर भी दिया जाना था।

चेतना अभियान -

चेतना अभियान के तहत पुलिस टीमें विभिन्न स्कूल एवं कॉलेज में पहुंचकर विद्यार्थियों को मानव दुर्व्यापार संबंधी अपराधों एवं बच्चों के अपहरण आदि की जानकारी देती हैं। महिला संबंधी अपराध रोकथाम के लिए उन्हें जानकारी बेहद जरूरी है जिसके लिए "चेतना अभियान" चलाया गया। इस अभियान का महज पुलिस विभाग को ही पता है महिलाओं को नही। प्रचार - प्रसार के अभाव में ये अभियान दम तोड़ रहा है।

ऑपरेशन एहसास-

बच्चों के यौन शोषण और उत्पीड़न के मामले भी लगातार सामने आये हैं। इसके रोकथाम के लिए ऑपरेशन एहसास चलाया जाता है। जिसमें बच्चों को गुड और बैड टच का मतलब सिखाया जाता है। पुलिस टीम स्कूलों में जाकर टीचर्स के साथ मिलकर बच्चों को समय-समय पर गुड और बैड टच के बारे में समझाते हैं। ग्वालियर पुलिस द्वारा लम्बे समय से कोई विशेष अभियान नहीं चलाया गया है।

निर्भया हेल्पलाइन-

कोचिंग, कॉलेज, स्कूल जाने वाले बेटियों और बाजार आदि जगहों पर महिलाओं को सुरक्षित महसूस कराने के लिए निर्भया हेल्पलाइन वैन चलाई गई। जो शहर के विभिन्न जगहों पर खड़े रहकर महिलाओं कि शिकायत आने पर तुरंत निराकरण करती है। लेकिन इनकी संख्या बेहद कम होने की वजह से कम ही नजर आती हैं। यह वैन सुबह 6 बजे से फील्ड पर रहकर महिलाओं को सुरक्षा देती है। लेकिन विभाग को इनकी संख्या बढ़ाकर सतत निगरानी करके लड़कियों को सुरक्षा का अहसास करना जरुरी है।

ऑपरेशन मुस्कान-

ऑपरेशन मुस्कान की शुरूआत 2015 में हुई थी। जिसके तहत गुम हुए बच्चों को उनके अभिभावकों से मिलाया जाता है। और काफी बच्चों को उनके अभिभावकों से मिला भी चुकी है। जो बच्चे या बच्चियां अपने अभिभावकों से बिछड़ गए उन्हें मिलाने का काम करती है। अक्टूबर 2022 में ग्वालियर के रेड लाइट एरिया बदनापुर में अभियान चलाकर 6 लड़कियों को रेस्क्यू किया गया था।

उर्जा हेल्प डेस्क-

2021 में उर्जा हेल्प डेस्क की शुरूआत की गई थी। हर थानों में उर्जा हेल्प डेस्क बनाई गई। जहां महिलाओं की तुरंत सुनवाई की जाती है। महिला पुलिस अधिकारी ही इनकी समस्याएं सुनकर निराकरण करती हैं। जिन थानों में हेल्प डेस्क होती है, वहां के पुलिस अधिकारी का मोबाइल नंबर भी सार्वजनिक किया जाता है। यह डेस्क 24 घंटे खुली रहती है।

अभिमन्यू अभियान-

जून 2023 में "मैं हूं अभिमन्यु" अभियान की शुरूआत की गई। इस अभियान के तहत दहेज, रूढ़िवादिता, अश्लीलता, भ्रूण हत्या, अशिक्षा, लिंगभेद, असंवेदनशीलता, नशा के क्षेत्रों में महिला संबंधी हो रहे अपराधों की रोकथाम के लिए शुरू किया गया। पुलिस पुरूषों को महिला सम्मान का पाठ सिखाने एवं महिला संबंधी अपराध के खिलाफ लोगों को आवाज उठाने के लिए जागरूक करने के उद्देश्य से इसे शुरू किया गया था।

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