पश्चिमी देशो एवं भारत में हो रहे शोधकार्यो मे अंतर देखने को मिल रहा है
ग्वालियर,न.सं.। पश्चिमी देशो एवं भारत में हो रहे शोधकार्यो मे अंतर देखने को मिल रहा है। उसका मुख्य कारण शोधकार्यो के प्रति शोधार्थियों एवं विशेषज्ञों के नजरिए में अंतर पाया जाना है। यह बात प्रेस्टीज प्रबंधन एवं शोध संस्थान द्वारा 14 वीं अन्र्तराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन रविवार को समापन सत्र में डीयूटी बिजनेस स्कूल साउथ अफ्रीका के प्रो रविन्द्र रैना ने कही।
14वीं दो दिवसीय अन्र्तराष्ट्रीय कॉंन्फ्रेंस इंडस्ट्री 4.0 ओप्टीमाइजिंग ओपरेशन एवं शेपिंग द फ्यूचर ऑफ बिजनेस मुख्य विषय पर आयोजित की गई। जिसका शीर्षक वर्तमान परिदृश्य में व्यवसायिक जगत एवं उनमे हो रहे परिवर्तनों के सापेक्ष पूरी तरह से सही दिखाई देता है। तीर्थान्कर, महावीर यूर्निवसिटी के कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह, उपस्थित थे।
समारोह में अंकुर मोदी, एडीशनल एडवोकेट जनरल (मप्र) ने प्रेस्टीज प्रबंधन एवं शोध संस्थान द्वारा किए जा रहे लगातार शोध के विषय मे किये जा रहे प्रयासो को सराहा। मुख्य वक्ता एफ.ए.शाह, अधिवक्ता, मप्र उच्च न्यायालय ने बताया कि विधि के क्षेत्र में शोध संबंध मे अपार संभावनाए उपलब्ध है जिनके बल पर शोद्यार्थी व्यवहारिक ज्ञान को अपनाकर व्यवसायिक उद्देष्यों की पूर्ती कर सकता है।
समापन सत्र में संस्थान के निदेशक एवं 14वीं अन्र्तराष्ट्रीय कॉंन्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉं. निशांत जोशी ने कहा कि इस कॉंन्फ्रेंस के माध्यम से प्रेस्टीज प्रबंधन एवं शोध संस्थान ने शिक्षाविदो, औद्योगिक जगत से विशेषज्ञो एवं शोद्यार्थियों के लिये साझा मंच देने का प्रयास किया।समन्वयक डॉं. गौरव जैसवाल ने बताया इस 14वीं अन्र्तराष्ट्रीय कॉंन्फ्रेेंस को दो दिनो मे 6 तकनिकी सत्रों में विभाजित किया गया था। दूसरे दिन 65 शोधपत्रों को पड़ा गया।