राजनीतिक गलियारों में दिग्विजय की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
स्वदेश वेबडेस्क। दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस की अहम कड़ी माने जाते हैं, दिग्गी राजा को उनके दौर के उन चुनिंदा नेताओं में गिना जाता है, जो केवल अपनी रणनीति के दम पर राजनीतिक धारा बदलने में माहिर माने जाते हैं। राजनीतिक जानकार मानते है कि अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया की वगावत से गिरी कमलनाथ सरकार को वापसी करनी है, तो दिग्विजय सिंह जरुरी है। मध्य प्रदेश में उपचुनाव की रणभेरी बज चुकी है। फिर से सत्ता पाने की जुगत में जुटी कांग्रेस का प्रचार अभियान कमलनाथ के इर्द-गिर्द घूम रहा है। लिहाजा सियासी गलियारों में चर्चा तेज है कि आखिर कांग्रेस के चाणक्य, यानि दिग्विजय सिंह कहा हैं। कमलनाथ की सभा में दिग्विजय सिंह नजर नहीं आते, तो पार्टी में चुनाव से जुड़े हर आयोजनों से भी दिग्गी राजा नदारद रहते है। जिससे प्रदेश की सियासत में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच दूरी होने के कयास लग रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि उपचुनाव में दिग्विजय सिंह की भूमिका है क्या ?
चुनावी सभाओं से दूर है दिग्विजय सिंह
मौजूदा उपचुनाव में दिग्विजय सिंह की भूमिका की बात की जाए, तो दिग्विजय सिंह सार्वजनिक मंचों पर कम ही नजर आ रहे हैं। कमलनाथ पहले दिन से ही प्रचार की कमान संभाल रहे हैं। वे लगातार चुनावी रैलियां और सभाएं कर रहे हैं। लेकिन उनकी किसी भी सभा में दिग्विजय सिंह नजर नहीं आ रहे। यहां तक की कमलनाथ जब ग्वालियर में दो दिन के लिए प्रचार करने पहुंचे तब भी दिग्विजय सिंह नदारद रहे। मालवाचंल में दिग्विजय सिंह की अच्छी पकड़ मानी जाती है। लेकिन यहां से भी दिग्विजय सिंह गायब है। इतना ही नहीं प्रचार के होर्डिंग से भी उनकी की तस्वीरें गायब है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर दिग्विजय सिंह ने उपचुनाव से दूरी क्यों बना रखी है।
कांग्रेस का बड़ा चेहरा है दिग्विजय सिंह
दिग्विजय सिंह वो चेहरा हैं, जिसने प्रदेश की सत्ता पर दस साल तक एक छत्र राज किया। दिग्विजय सिंह ने महज 22 वर्ष की उम्र में निर्दलीय राघौगढ़ नगर पालिका का चुनाव जीता और अध्यक्ष बने। यहीं से उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत हुई थी। जो अब तक जारी है। दिग्विजय सिंह ने जिस तेजी से सत्ता की सीढिय़ां चढ़ी, वो और किसी किसी नेता के लिये सोचना भी मुश्किल हो सकता है। 30 वर्ष की उम्र में पहली बार विधायक बने दिग्विजय महज 33 वर्ष में अर्जुन सिंह की सरकार में सबसे युवा मंत्री बने। दो बार लोकसभा का चुनाव जीता और लोकसभा पहुंचे। 1993 में वे पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और 2003 तक इस पद पर रहे है। दो बार से राज्यसभा के सदस्य चुने जा रहे हैं। जबकि कांग्रेस में इस वक्त महासचिव की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। इसलिए कहा जाता है कि राजनीति यानि दिग्विजय सिंह और दिग्विजय सिंह यानि राजनीति। ये बात उन पर पूरी तरह लागू होती है। उन्हें राजनीति की गहरी समझ है। जिससे वे मध्य प्रदेश में कांग्रेस के लिए हमेशा अहम माने जाते हैं।
कमलनाथ आगे पीछे दिग्विजय
दिग्विजय सिंह की उपचुनाव से दूरी पर राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि 2018 के विधानसभा चुनाव में भी दिग्विजय सिंह परदे के पीछे सक्रिय थे। कांग्रेस आलाकमान ने उस वक्त उन्हें समन्वयय की जिम्मेदारी सौंपी थी। एक तरह से उन्हें पर्दे के पीछे रखा गया था। यहां तक की होर्डिंग बैनर से भी उनकी तस्वीर नदारद होती थी। लेकिन दूसरी तरफ उनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण थी। टिकट वितरण के बाद जहां उन्होंने असंतोष और नाराजगी को खत्म करने का काम किया, तो कई सीटों पर भीतरघात की संभावना को भी समाप्त किया। लिहाजा इस बार भी कांग्रेस में भी इसी जिम्मेदारी को निभा रहे हैं। इसलिए इस बार उपचुनाव में कमलनाथ अकेले मुख्य भूमिका में नजर आ रहे हैं। तो दिग्विजय सिंह को पर्दे के पीछे है। जानकारों का मानना है कि दिग्विजय सिंह और कमलनाथ दोनों अनुभवी राजनेता है। राजनीति के नफा नुकसान को अच्छी तरह से समझते हैं, इसलिए कमलनाथ को मुख्य भूमिका में रखा गया है। क्योंकि कांग्रेस चाहती है कि यह चुनाव कमलनाथ के साथ हुए धोखे और कमलनाथ सरकार के 15 महीने के कामकाज के आधार पर लड़ा जाए। देखा जाए, तो दिग्विजय सिंह कमलनाथ के हर निर्णय में सहभागी हैं। लेकिन जानबूझकर ऐसे पेश किया जा रहा है कि कमलनाथ ने दिग्विजय सिंह को किनारे कर दिया है और सब निर्णय कमलनाथ की ले रहे हैं।
भाजपा ने साधा निशाना
दिग्विजय सिंह की उपचुनाव से दूरी पर भाजपा प्रवक्ता राजो मालवीय कहती हैं कि मुझे लगता है कि कांग्रेस में कहीं पर निगाहें और कहीं पर निशाना होता है। कमलनाथ खुद कह चुके हैं। दिग्विजय सिंह ने उन्हें धोखे में रखा। जिसके चलते उनकी सरकार गिरी। लेकिन कांग्रेस पार्टी में यह खीचतान हमेशा रही है। कमलनाथ अपने बेटे को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो दिग्विजय सिंह अपने बेटे को आगे बढ़ाने में जुटे है। इसलिए कांग्रेस में यह स्थितियां बनती है कि सब एक दूसरे को पीछे करने में लगे रहते हैं।
डैमेज कंट्रोल में जुटी कांग्रेस
वही दिग्विजय सिंह की दूरी पर कांग्रेस डैमेज कंट्रोल में जुटी है। कांग्रेस प्रवक्ता कहते हैं कि हर पार्टी में समन्वय का काम सबसे ज्यादा जरुरी होता है, जो काम हमेशा दिग्विजय सिंह ने किया है। बहुत सारे काम ऐसे होते हैं, जो दिखते नहीं हैं। लेकिन उनके परिणाम आने पर पता चलता है कि काम कितना जरुरी थी। तो दिग्विजय सिंह का काम वैसा ही है और बहुत अच्छा काम चल रहा है। कमलनाथ से दूरी के सवाल पर उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति अपने अपने काम में लगा हुआ है। लेकिन भाजपा इसे इवेंट बनाती है। चुनाव परिणाम में पता चल जाएगा कि कोन किस पर भारी है।