राज्यसभा में अंचल को मिलेगा एक और प्रतिनिधित्व, चर्चाओं में अंचल के कई नाम
ग्वालियर। संसद के उच्च सदन राज्यसभा से मध्य प्रदेश के 5 सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो रहा है। इन 5 खाली हो रहे स्थानों के लिए चुनाव 20 फरवरी को होने जा रहे हैं। ग्वालियर- चंबल संभाग से फिर किसी को अवसर मिलेगा, इसको लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। अंचल के कई भाजपा नेताओं के नाम सुर्खियों में हैं। भाजपा आलाकमान अंचल से किसी राजनेता को अवसर देते हैं या नहीं यह एक-दो दिन में साफ हो जाएगा। राज्यसभा में मप्र के सदस्यों में से 5 सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो रहा है। इन सदस्यों में भाजपा के धर्मेन्द्र प्रधान, डॉ. एल.मुरुगन, अजय प्रताप सिंह और कैलाश सोनी शामिल हैं। वहीं कांग्रेस के राजमणि पटेल का कार्यकाल भी अप्रैल में समाप्त हो रहा है।
मप्र विधानसभा में भाजपा के 163 विधायक हैं ,सो उसके 4 सदस्य फिर राज्यसभा के लिए आसानी से निर्वाचित हो जाएंगे। कांग्रेस के 66 विधायक हैं, उसका एक सदस्य राज्यसभा के लिए चुनाव जीत जाएगा। राज्यसभा चुनाव के लिए 8 फरवरी से नामांकन भरे जाएंगे और आवश्यकता पडऩे पर 20 फरवरी को मतदान कराया जाएगा। हालांकि जादुई आंकड़ो के गणित को देखते हुए लगता नहीं कि मतदान की नौबत आएगी।
कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ नेता अरुण यादव प्रमुख दावेदार के रूप में सामने हैं । वहीं नवंबर में हुए विस चुनाव में राऊ विधानसभा क्षेत्र से पराजित और नवनियुक्त प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी भी प्रमुख दावेदार हैं। इनके अलावा सज्जन सिंह वर्मा का नाम भी चर्चाओं में है। कांग्रेस ने चूंकि पटवारी पिछड़ा वर्ग से हैं और उन्हें अभी हाल ही में नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया है, सो उनको राज्यसभा में भेजने की संभावना अधिक जताई जा रही है। भाजपा की बात करें तो 4 सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों का चुना जाना आंकड़ो के हिसाब से तय माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा 4 में से 1या 2 सीटों पर अपने दूसरे बड़े नेताओं को मप्र से राज्यसभा में भेज सकती हैं। वहीं 2 से 3 सीटों पर मप्र से उम्मीदवार बनाएगी। राज्यसभा के 2020 और 2022 के चुनाव में भाजपा नेतृत्व ने सुमेर सिंह सोंलकी और कविता पाटीदार व सुमित्रा वाल्मिकी को अपना उम्मीदवार बनाकर सभी को चौंका दिया था। राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि इस बार भी एक-दो उम्मीदवार चौंकाऊ हो सकते हैं।
भाजपा से अंचल के कई नाम चर्चाओं में
राज्यसभा के लिए भाजपा की ओर से 1-2 नाम केन्द्रीय नेताओं में से हो सकते हैं । वहीं 2 से 3 सीट पर मप्र के ही नेताओं को उम्मीदवार बनाए जाने की संभावना जताई जा रही है़ ग्वालियर-चंबल संभाग से भी इन दिनों कई नेताओं की दावेदारी सामने आई है। अभी कांग्रेस से भाजपा में आए ग्वालियर के ज्योतिरादित्य सिंधिया राज्यसभा सदस्य हैं और केन्द्र सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री हैं। अब अंचल से पूर्व सासंद व पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया का नाम प्रमुखता से चल रहा है। वह भाजपा महाराष्ट्र के सह प्रभारी हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अयोध्या के राम मंदिर आंदोलन में बजरंग दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाते पवैया ने अहम भूमिका अदा की थी। अब भगवान राम का नया मंदिर बन गया है और मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा भी हो गई है। राम लहर का माहौल है, ऐसे में भाजपा नेतृत्व अंचल से जयभान सिंह पवैया को उम्मीदवार बनाकर राज्यसभा भेजे जाने की प्रबल संभावना है। वहीं देश के गृह मंत्री अमित शाह के नजदीकी मप्र के पूर्व गृह मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा का नाम भी दावेदारों में उभरा, लेकिन उन्हें पार्टी नेतृत्व लगातार महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दे रहा है। अब उनकी लोकसभा के लिए भोपाल , मुरैना व ग्वालियर से दावेदारी चल रही है सो राज्यसभा के लिए उनकी दावेदारी कुछ कम होती नजर आ रही है। अंचल से एक और नाम लाल सिंह आर्य का प्रमुखता से लिया जा रहा है। वह प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार में मंत्री रहे है। नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव में वह गोहद सीट से चुनाव लड़े और मामूली अंतर से चुनाव हाथ गए थे। आर्य भाजपा अजा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं ,इस नाते उन्होंने देशभर में भ्रमण कर मोर्चा के काम को आगे बढाक़र अनुसूचित जाति वर्ग को भाजपा से जोडा़ है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि चूंकि लोकसभा चुनाव सामने हैं, सो भाजपा आर्य को राज्यसभा भेज सकती है। इनके अलावा अंचल से मप्र की शिवराज सिंह सरकार में मंत्री रहे और विधानसभा चुनाव में अटेर से चुनाव हार चुके अरविंद भदौरिया भी अपनी जुगाड़ में लगे हैं। ग्वालियर-चंबल के इन नेताओं की ओर से अपनी-अपनी लामबंदी की जा रही है। अब भाजपा नेतृत्व ग्वालियर-चंबल संभाग से सिंधिया के बाद किस और नेता को राज्यसभा में अवसर देता है या नहीं, इस बात पर सभी की निगाहें लगी हुईं हैं।
राजमाता ,आंग्रे, सोंलकी रहे हैं सदस्य
राज्यसभा में ग्वालियर-चंबल संभाग को लगातार तवज्जो मिलती रही है। जनसंघ से लेकर भाजपा के अनेक नेता संसद के इस उच्च सदन में सदस्य रहे हैं। वर्ष 1952 में सरदार संभाजी राव आंग्रे राज्यसभा सदस्य बने। वहीं 1968 में जनसंघ से नारायण कृष्ण शेजवलकर राज्यसभा सदस्य बने। सरदार संभाजीराव आंग्रे 1970 से 1976 तक राज्यसभा सदस्य रहे। वहीं राजमाता विजयाराजे सिंधिया 1978 व 1984 में राज्यसभा के लिए चुनी गईं। ग्वालियर के सपूत अटल बिहारी वाजपेयी 1986 में राज्यसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। भाजपा की श्रीमती माया सिंह 2002 में राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुईं। वह 2008 में भी राज्यसभा के लिए चुनी गईं थीं।इसी प्रकार वरिष्ठ पत्रकार प्रभात झा 2008 व 2014 में रज्यसभा सदस्य बने। पूर्व मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर 2009 में राज्यसभा केसदस्य बने। इसी प्रकार प्रो. कप्तान सिंह सोंलकी 2009 व 20012 में राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए । ग्वालियर संभाग के गुना जिले के अंतर्गत आने वाले राघौगढ़ के निवासी और मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी 2011 से 2020 तक राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं। वह अभी तीसरी बार राज्यसभा सदस्य हैं।
इनका लाभ मिला ग्वालियर को
राज्यसभा के कुछ सदस्य ऐसे भी रहे जो ग्वालियर अंचल के नहीं थे, लेकिन उनकी सांसद निधि का लाभ ग्वालियर को मिला और कुछ ऐसे सदस्य भी रहे जिनका अप्रत्यक्ष रूप से ग्वालियर अंचल को कुछ न कुछ लाभ मिला और ग्वालियर से उनका जुड़ाव रहा । ऐसे सदस्यों में कांग्रेस के हंसराज भारद्वाज का नाम प्रमुखता से लिया जाएगा। भारद्वाज 5 बार राज्यसभा सदस्य रहे और आपनी सांसद निधि का ग्वालियर अंचल में उपयोग किया। वह 1982, 1988, 1994 व 2000 में रास सदस्य रहे। वह 2006 में राज्यसभा के लिए चुने ग्ए थे। इसी प्रखार भाजपा के सिंकदर बख्त भी 1990 व 1996 में राज्यसभा सदस्य रहे और अपनी सांसद निधि यहां खर्च की। इसी क्रम में सु. थिरनावुक्करासर भी 2004 में सदस्य रहे, इनकी निधि का भी लाभ ग्वालियर को मिला। इनके अतिरिक्त भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, श्रीमती सुषमा स्वराज का भी राज्यसभा सदस्य के नाते कहीं न कहीं ग्वालियर को लाभ मिला।