बारिश में भी खोद डाले गड्ढे, ठेकेदारों की मनमानी के आगे झुका निगम
ग्वालियर,न.सं.। जुलाई माह की पिछली दो बैठकों में निगम प्रशासक एमबी ओझा ने नगर निगम के अधिकारियों को साफ-साफ कहा था कि बारिश के पहले खोदी हुई सड़कों का रेस्टोरेशन(पहले जैसी हालात) किया जाए। लेकिन इन दिनों कुछ उल्टा ही हो रहा है। हनुमान चौराहे से नई सड़क स्थित फिल्मिस्तान टॉकीज तक ठेकेदारों ने अमृत योजना की पानी की लाइन डालने के लिए बारिश में ही सड़क खोदी डाली है। जिसके चलते वहां दिनभर जाम की स्थिति बनी रहती है। ठेकेदार ने वहां पर न तो कोई सूचना बोर्ड लगाया और न ही कोई बेरीकेटिंग की है।
शहर के हर क्षेत्र में सड़कें बर्बाद हो चुकी हैं। सड़कों के गड्ढे लोगों को दर्द दे रहे हैं। निगम प्रशासन का केवल एक ही रोना है कि अमृत योजना के तहत सीवर-पानी की लाइनें बिछाने सड़कें खोदी जा रही हैं, जिन्हें बरसात बाद बनाना शुरू किया जाएगा। लाइनें बिछाने के तत्काल बाद यदि रेस्टोरेशन(पहले जैसी हालात) सही किया होता तो सड़कों को बर्बाद होने से बचाया जा सकता था। अब निगम का खजाना खाली होता जा रहा है इसलिए बरसात बाद पूरे शहर के गड्ढे भर जाएं, यह संभावना कम नजर आ रही है। ठेकेदारों की मनमानी के आगे अब नगर निगम के अधिकारी भी झुकते नजर आ रहे हैं।
इस तरह हुई लापरवाही, बर्बाद हो गईं सड़कें
करीब आठ सौ करोड़ की अमृत योजना के तहत शहर में सीवर और पानी की समस्या के समाधान के काम हो रहे हैं। तीन साल से काम चल रहा है। मुख्य सड़कों पर डामर और कॉलोनियों की सीसी रोड खोदकर लाइनें बिछाई जा रही हैं। डामरीकृत सड़कों की चौड़ाई 30 से 60 फीट तक है। कहीं दोनों ओर तो कहीं एक ओर लाइन बिछाने सड़कें खोदी गईं, लेकिन लाइन डालने के बाद रेस्टोरेशन सही से नहीं किया।
जेसीबी से खोदी सड़कें
लाइनें बिछाने के लिए सड़कों को जेसीबी मशीनों से खोदा गया। मशीन के पंजों से जगह-जगह गड्ढे हो गए। लाइनें डालने के बाद मिट्टी को हटाने के दौरान भी मशीनों के पंजों से अच्छी खासी सड़क में गड्ढे हो गए। निगम प्रशासन ने गड्ढे नहीं भरे जिससे वे बड़े-बड़े हो गए। नगर निगम के अधिकारियों और ठेकेदारों की मिली भगत से अमृत योजना की राशि को पूरी तरह से ठिकाना लगाया जा रहा है। ठेकेदारों की भुगतना की इतनी जल्दी है कि वे बारिश में भी अमृत योजना के तहत पानी की पाइल लाइन बिछा रहे हैं।
अमृत योजना में नहीं हो रहा रेस्टोरेशन
772 करोड़ की अमृत योजना के तहत शहर में सीवर और पानी की लाइन बिछाई जा रही है। जिसमें 777 किमी पानी व 180 किमी सीवर की लाइनें बिछाने के चलते पूरे शहर में खुदाई की जा चुकी है। जिनकी मरम्मत (रेस्टोरेशन) के काम में लंबे समय से लापरवाही बरती जा रही है। हालांकि इसको लेकर कई बार राजनीतिक व प्रशासनिक स्तर पर बवंडर मच चुका है।
कोरोना के डर से अधिकारी नहीं देख रहे कार्य
निगम प्रशासन ने अमृत योजना के सीवर व पानी के नोडल अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि जहां भी कार्य हो रहे हैं वहां पर वह जाकर खुद निगरानी करें। लेकिन पीएचई एवं अमृत योजना के नोडल अधिकारी आर.एल.एस. मौर्य अभी तक रेस्टोरेशन की स्थिति देखने नहीं निकले।