निगमायुक्त की दो टूक, पुराने स्थान पर नहीं बन सकता रोप-वे

निगमायुक्त की दो टूक, पुराने स्थान पर नहीं बन सकता रोप-वे
X
-सांसद को छोड़कर जनप्रतिनिधि नहीं ले रहे रुचि

ग्वालियर, विशेष प्रतिनिधि। शहर के विकास के लिए 50 वर्ष पूर्व आई जिस योजना को आज रोप-वे कहा जा रहा है। कभी उसका नाम रज्जू मार्ग रखकर परिषद में प्रस्ताव पास किया गया था। इसके लिए राजनेताओं की उदासीनता ने इस काम को पूर्ण नहीं होने दिया। सांसद को छोड़कर कोई भी जनप्रतिधि अड़कर यह कहने को तैयार नहीं है कि रोप-वे बनना ही चाहिए। फिर भी कतिपय राजनेताओं के स्वार्थ के कारण यह योजना लंबित होती रही। फिर तत्कालीन महापौर विवेक शेजवलकर के प्रयासों से वर्ष 2006 में इसकी फाइल आगे बढऩा शुरू हुई। कई विभागों की अनापत्ति की जटिल प्रक्रिया के बाद जैसे-तैसे वर्ष 2017 में अपर और लोवर टर्मिनल के लिए काम भी शुरू हुआ। किंतु जनवरी 2019 से इस काम को रुकवा दिया गया है। सांसद बनने के बाद विवेक शेजवलकर ने रुके हुए काम को पुन: शुरू कराने के लिए मुख्यमंत्री एवं नगरीय प्रशासन विभाग को पत्र लिखे, तब जाकर एक सितंबर को नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख अभियंता एनपी मालवीय ने निगम आयुक्त को पत्र लिखकर पूर्व के स्थलों पर कार्य शुरू कराने के निर्देश दिए गए। किंतु इसके बाद निगमायुक्त ने काम शुरू कराना तो उचित समझा नहीं बल्कि उल्टे जवाबी पत्र मुख्य अभियंता को भेजकर यह स्पष्ट कर दिया है कि पूर्व के स्थान पर किसी भी हालत में रोप-वे का निर्माण नहीं हो सकता है। इसके लिए उन्होंने बालाजी डेवलपर्स के संचालक को जिम्मेदार बताते हुए यह तक लिखा है कि ठेकेदार द्वारा इतने समय में मात्र 10 प्रतिशत ही कार्य किया। नए स्थान के लिए उसे तीन बार बुलाया गया, लेकिन उसके द्वारा काम शुरू नहीं किया जा रहा है। एक साजिश के तहत रोपवे का काम रोके जाने पर सोशल मीडिया पर तरह तरह की टिप्पणियां सामने आ रही हैं। इसमें कुछ लोग तो खुलकर इसे राजनीतिक साजिश करार दे रहे हैं, जिसमें एक जिम्मेदार राजनेता का नाम लिया जा रहा है।

क्या लिखा निगमायुक्त ने

एक सितम्बर को मुख्य अभियंता द्वारा सारी अड़चने दूर करते हुए पूर्व के स्थान पर ही कार्य शुरू करने के निर्देश दिए गए थे। इसके जवाब में निगमायुक्त संदीप माकिन ने लिखा है कि निगम द्वारा मैसर्स बालाजी डेवलपर्स को तीन बार बुलाया गया। किंतु उसके द्वारा कोई रुचि नहीं लिए जाने पर त्वरित क्रियान्वयन के लिए जिलाधीश एवं प्रशासक ने संचालक नरेश अग्रवाल को बुलाकर वैकल्पिक स्थान दिखाया गया। बावजूद उसके कंपनी द्वारा कोई भी समाधानकारक उत्तर नहीं दिया गया। जिस पर प्रशासक ने अपर टर्मिनल के स्थल को इसीलिए निरस्त कर दिया गया क्योंकि उससे 500 वर्ष पुरानी दुर्ग की ऐतिहासिक इमारत को क्षति हो रही थी। साथ ही यह भी कहा कि दामोदर रोप-वे इन्फ्रा. प्रा.लि. द्वारा निर्माण के संबंध में उच्च न्यायालय में याचिका क्रमांक 8447 दायर की गई है। जिसमें कार्रवाई गतिशील है। जिलाधीश द्वारा 28 जुलाई को रोपवे निर्माण के लिए वैकल्पिक स्थल के लिए अपर टर्मिनल के लिए दुर्ग पर ग्राम आहूखाना कला के सर्वे क्रमांक 346 की रकवां छह हजार वर्ग मीटर भूमि एवं लोअर टर्मिनल के लिए ग्राम आहूखाना खुर्द के सर्वे क्रमांक 13,14,19,20,21, 22 पर दस हजार वर्ग मीटर भूमि नगरहित में आरक्षित की गई है। इस पत्र से स्पष्ट है कि निगमायुक्त नहीं चाहते कि किसी भी कीमत पूर्व के स्थानों पर रोप-वे निर्माण हो। वैसे भी नया स्थान चयनित किया जाना अपने आप में रोड़ा है। क्योंकि इसके लिए नए सिरे से टेंडर और अनापत्ति की प्रक्रिया पूर्ण करना पड़ेगी, जिसमें लंबा समय लगेगा।

स्वप्नलोक में राजा ही भगवान है: चड्ढा

इस मामले में वरिष्ठ भाजपा नेता राज चड्डा लगातार सोशल मीडिया पर सक्रिय होकर अपनी बात रख रहे हैं। उन्होंने लिखा है कि फूलबाग गुरुद्वारा से किला स्थित दाताबंदी छोड़ गुरुद्वारा तक बनने वाले रोप-वे को 50 वर्ष पूर्व रज्जू मार्ग का प्रस्ताव निगम परिषद में पास कराते समय उन्हीं के द्वारा मसौदा तैयार किया गया था। इसके लिए स्व. नारायण कृष्ण शेजवलकर ने इसका सपना देखा था कि ताकि पर्यटकों और तीर्थ यात्रियों के लिए ग्वालियर दुर्ग तक पहुंचना सुगम हो जाए। बाद में उनके पुत्र सासंद विवेक शेजवलकर ने अपने दो बार के महापौर कार्यकाल में इस स्वप्न को पूर्ण करने के लिए संघर्षरत है। केन्द्र और राज्य में अपनी ही सरकारों के बावजूद बाधा पहुंचाने वाले भी इसी ही दल की शोभा बढ़ा रहे हंै। देखना होगा कि वे अपने आप को पार्टी को अनुशासित सिपाही सिद्ध करते हंै या फिर स्वप्नलोक में रहते हुए राजा ही भगवान है कि कालातीत और कल्पित धारण से बाहर नहीं आ पाते हैं।

इनका कहना है -

हमारे पूज्य दादा स्व. कक्का डोंगर सिंह द्वारा 50 वर्ष पूर्व रोप-वे का प्रस्ताव परिषद में रखा गया था। फिर भी रोप-वे का अभी तक निर्माण न होना दुर्भाग्यपूर्ण है। केन्द्र और राज्य में भाजपा की सरकारों को इस पर चिंतन करना चाहिए।

-अशोक सिंह, प्रदेश उपाध्यक्ष कांग्रेस

रोप-वे के लिए नए स्थानों का चयन किया गया है। इसके लिए निगमायुक्त के साथ शीघ्र ही बैठक कर आवश्यक कार्यवाही की जाएगी।

-एमबी ओझा, प्रशासक, नगर निगम

Tags

Next Story