अनलॉक ने बदल दी आरपीएफ की ड्यूटी, आठ की बजाय बारह घंटे काम कर रहे जवान
ग्वालियर,न.सं.। लोगों की सुरक्षा हो या फिर किसी भी प्रकार की व्यवस्था बनाने का काम इसके लिए आरपीएफ जवान हमेशा अपनी सेवाएं देते हैं, लेकिन वर्तमान में वह परेशान हो रहे हैं। दरअसल स्पेशल ट्रेन चलने के बाद से आरपीएफ जवानों की ड्यूटी आठ की बजाय 12 घंटे लगाई जा रही है।
कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए जब से नियमित यात्री ट्रेनों का संचालन बंद है तब से ही रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) की ड्यूटी का स्वरूप ही बदल गया है। पहले जहां ट्रेनें बंद होने पर आरपीएफ जवान ट्रेनों के खाली रैक की सुरक्षा कर रहे थे। वहीं अब स्पेशल ट्रेनों के चलने के बाद आरपीएफ के जवानों पर डबल मार पड़ रही है। जवानों को ट्रेनों के आने पर जहां निगरानी करनी पड़ रही है, वहीं रात्रि में यार्ड में गश्त करना पड़ रहा है। जवानों की 12 घंटे ड्यूटी लगाने में तर्क यह दिया जा रहा है कि अभी इमरजेंसी सेवा होने के कारण उन्हें 12 घंटे ड्यूटी करनी पड़ रही है। नियमित ट्रेनों का संचालन बंद होने के बाद रेलवे की संपत्तियों की सुरक्षा को लेकर आरपीएफ के जवानों को नाकों चने चबाने पड़ रहे हैं। पहले यात्री ट्रेनों के चलने पर आरपीएफ के जवान जहां ट्रेनों में सवार होकर इस स्टेशन से उस स्टेशन तक घूम कर सुरक्षा सुनिश्चित कर लेते थे, वहीं अब उन्हें रेलवे ट्रैक के किनारे-किनारे चलकर तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए दूसरे स्टेशन तक पहुंचना पड़ रहा है। यही नहीं छोटे स्टेशनों पर तो जवानों को पीने का साफ पानी भी नसीब नहीं हो रहा है। बावजूद इसके रेलवे ट्रैक की सुरक्षा को लेकर आरपीएफ के जवान सतर्क हैं।
वर्तमान में 54 जवान कर रहे रेल संपत्ति की सुरक्षा
आरपीएफ पोस्ट पर वर्तमान 54 जवान मौजूद है। इनको ग्वालियर के समीप छोटे स्टेशनों पर तैनात किया गया है। आरपीएफ के साथ आरपीएसएफ के जवानों को भी तैनात किया गया है। रात्रि में बिरलानगर, रायरू, बानमौर, सिथौली, नूराबाद, आंतरी, संदलपुर पर जवान गश्त कर रहे हैं।
हर आठ घंटे में बदली जा सकती है ड्यूटी
बल कम होने के कारण टे्रनों से कोई यात्री गिरे न इसके लिए आरपीएफ के जवानों के लिए प्लेटफॉर्म पर हर समय चौकस रहना पड़ता है। वहीं अब स्पेशल ट्रेनें भी प्लेटफार्म से गुजर रही है। जिससे आने-जाने वाले यात्रियों के सामाजिक दूरी का पालन कराने के लिए आरपीएफ के जवानों के लिए मौजूद रहना पड़ता है, लेकिन यहां पर हर आठ घंटे में भी यदि ड्यूटी को बदला जाए तो काफी राहत जवानों को मिल सकती है।
इनका कहना है
प्लेटफार्म के साथ यार्ड व अन्य स्टेशनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी आरपीएफ की है। पहले जहां ट्रेनें बंद होने पर आरपीएफ जवान ट्रेनों के खाली रैक की सुरक्षा कर रहे थे। वहीं अब स्पेशल ट्रेनों से आने-जाने वाले यात्रियों को कोरोना के प्रति जागरूक किया जा रहा है।
आनंद स्वरूप पांडे, आरपीएफ निरीक्षक