आईआरसीटीसी की आईडी से बन रहे टिकटों पर आरपीएफ की नजर
ग्वलियर, न.सं.। दशहरा और दीपावली को देखते हुए ट्रेनों में भीड़ बढ़ी है। रेलवे ने स्पेशल ट्रेनें तो चलाई हैं लेकिन उससे भी यात्रियों को राहत मिलती नहीं दिख रही है। कन्फर्म सीट लेने के लिए यात्री परेशान हैं और इस परेशानी का फायदा उठाने के लिए फिर टिकट की दलाली शुरू हो गई है। इस बार सीआईबी व आरपीएफ ने टिकट दलालों के साथ यात्रियों द्वारा अपनी आईआरसीटीसी की आईडी से बन रहीं टिकट पर भी निगरानी रखी है। इसे दिल्ली मुख्यालय से नियंत्रित किया जा रहा है।
दरअसल पर्सनल आईडी से बन रही तत्काल टिकट को महंगे दामों में बेचा जा रहा है। ग्वालियर में भी कई ऐसे एजेंट हैं, जो इन दिनों इस काम में सक्रिय हो गए हैं। आरपीएफ ने भी कई एजेंसियों पर छापेमारी कर पर्सनल आईडी पर अवैध सॉफ्टवेयर से तत्काल टिकट बुक करने वाले एजेंटों को गिरफ्तार कर कार्रवाई की है। आरपीएफ निरीक्षक आनंद स्वरूप पांडे का कहना है कि टिकट दलालों पर पूरी तरह से नजर रखी जा रही है। साथ ही यात्रियों को दलालों से टिकट न लेने के लिए जागरूक किया जा रहा है।
ऐसे हो रही गड़बड़ी
तत्काल टिकट की दलाली करने वाले एजेंट, अपने रिश्तेदार, दोस्त और अन्य के नाम पर मेल आईडी के जरिए आईआरसीटीसी की आईडी बनाते हैं। एक आईडी से एक माह में अधिकतम छह तत्काल टिकट बनती हैं, लेकिन यदि 100 आईडी होती हैं तो 600 टिकट बनती हैं। तत्काल होने के कारण इनमें आरक्षित सीट मिलने की संभावना अधिक है। इसलिए परेशान यात्री को इसके लिए दो से तीन गुना तक किराया वसूला जाता है। वह मजबूर होकर देते भी हैं।
संभलकर आईडी का करें प्रयोग
आईआरसीटीसी ने ऑनलाइन टिकट को बढ़ावा देने के यात्रियों को पर्सनल आईडी से टिकट बनाने की सुविधा दी है, लेकिन कई बार यात्री, आईडी से अपनी टिकट बनाने की बजाय दोस्त, रिश्तेदार या जान-पहचान के लोगों की तत्काल टिकट बनाने लगते हैं। कन्फर्म टिकट होने के कारण इनसे अधिक दाम भी वसूलते हैं। आरपीएफ के मुताबिक टिकट बनाना अपराध नहीं है, लेकिन इन टिकट को बेचना अपराध है। ऐसी पर्सनल आईडी पर ज्यादा नजर रखी जा रही है, जिसने हाल के तीन से चार माह में लगातार, अलग-अलग नाम से तत्काल टिकट बनाई हैं।