मां के हाथों का बना खाना मिलते ही दूर हो जाती है थकान
ग्वालियर, न.सं.। कहते हैं कि पुरुष की सफलता पीछे महिला का हाथ होता है। फिर चाहे वो मां, पत्नी या बेटी ही क्यों न हो। प्रदेश की विधानसभा में पहुंचने के लिए पुरुष नेता जहां ऐंड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं वहीं उनके परिवार की महिला सदस्य भी इसमें कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं। सुबह उठकर प्रचार शुरू करना हो या फिर देर रात तक घर पहुंचने वालों के लिए खाने का इंतजाम करना हो, परिवार की महिलाएं एक तरह से उनका कवच बनकर चुनावी मैदान में उतरी हुई हैं। चुनाव प्रचार में उसके परिजन और घर की महिलाएं सुबह से लेकर देर रात तक घर-घर वोट के लिए मतदाताओं के यहां दस्तक देती हैं तो घर की बुजुर्ग महिलाएं और बेटियां घर की रसोई संभालकर खाने-पीने का जिम्मा उठा रही हैं। ऐसा ही कुछ नजारा दिखाई दे रहा है 16-ग्वालियर पूर्व सीट से कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. सतीश सिंह सिकरवार के यहां का। डॉ. सिकरवार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। उनकी पत्नी डॉ. शोभा सिकरवार भी पार्षद रह चुकी हैं। वह भी अपने पति के चुनाव प्रचार में जुटी हैं। शोभा के साथ उनकी देवरानी गुंजा, दीपा और मोनू के साथ उनकी भाभी मीनाक्षी, शशि, आराधना तथा बुआ सास भी सुबह से रात तक घर-घर जाकर वोट मांग रही हैं।
बेटी और मां ने संभाली रसोई-
घर में सतीश की मां और उनकी बेटी रसोई का जिम्मा संभाले हुए हैं। बुजुर्ग मां अपनी नातिन अदिति के साथ घर में इस समय 30 लोगों का भोजन पका कर तैयार रखती हैं। सतीश के चुनाव प्रचार में लगी पत्नी डॉ. शोभा सिकरवार ने स्वदेश से चर्चा के दौरान बताया कि घर की सभी महिलाएं इस समय जी-जान से चुनाव प्रचार में लगी हैं। ऐसे में घर में खाने-पीने का जिम्मा मेरी सास और बेटी अदिति के कंधों पर है। चुनाव प्रचार से लौटते ही घर के 30 लोगों के लिए स्वादिष्ट भोजन को बनाकर तैयार रखती हैं। मां के हाथ का बना स्वादिष्ट खाना मिलते ही घर के सभी लोगों की चुनाव की थकान दूर हो जाती है। मां के चेहरे पर इस बात का सुकून होता है कि घर के लोगों ने पेटभर भोजन कर लिया।
बिना नाश्ते के बाहर नहीं जाने देती-
डॉ. शोभा सिकरवार इस बात का विशेष ध्यान रखती हैं कि पति नाश्ते और दवा खाए बिना घर से बाहर न निकलें। सुबह नाश्ते और दवा खाने के बाद डॉ. सतीश अपनी टोली के साथ चुनाव प्रचार के लिए निकल पड़ते हैं और उनके बाद महिला कार्यकर्ताओं के साथ पत्नी डॉ. शोभा सिकरवार चुनाव प्रचार में जुट जाती हैं। चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि खाने की चिंता से ज्यादा जनता की फिक्र है। कहीं पर भी समय मिलता है तो थोड़ा बहुत खाना खा लेते हैं।