सुपर स्पेशियलिटी अस्पाल में डायलेसिस के गम्भीर मरीजों को नहीं होना पड़ेगा परेशान

सुपर स्पेशियलिटी अस्पाल में डायलेसिस के गम्भीर मरीजों को नहीं होना पड़ेगा परेशान
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पहली बार 25 वर्षीय युवती को डाला परमाकैथ कैथेटर

ग्वालियर। गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय के अंतर्गत संचालित सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल में अब डायलिसिस कराने के लिए आने वाले गम्भीर मरीजों को कम से कम परेशानी होगी। क्योंकि अस्पताल में नि:शुल्क परमाकैथ कैथेटर (बड़े आकार के कैथेटर) लगाए जाने की सुविधा शुरू हो गई है। अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभाग के चिकित्सकों के प्रयासों से यह सुविधा अब मरीजों को उपलब्ध कराई जा रही है।

दरअसल सामान्य तौर पर डायलेसिस के मरीजों को जो कैथेटर लगाए जाते हैं, वह चार से छह हफ्तों के बाद बदलना पड़ता है। इस दौरान एक तरफ जहां मरीज को दर्द का सामना करना पड़ता है, वहीं चिकित्सक और डायलिसिस यूनिट के स्टाफ का समय भी बर्बाद होता है। लेकिन सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. शिवम यादव के विशेष प्रयासों से पहली बार किडऩी की बीमारी से पीडि़त एक 25 वर्षीय युवती को सफलतापूर्वक परमाकैथ कैथेटर डाला गया है। डॉ. यादव का कहना है कि युवती की दोनों किडऩी खराब हो चुकी थी, इसलिए उसकी लम्बे समय तक डायलेसिस होनी है। उन्होंने बताया कि यह कैथेटर लगने के बाद छह महीने या उससे भी ज्यादा समय तक इसके जरिये मरीजों की डायलिसिस की जा सकती है। ऐसे में मरीजों को बार-बार कैथेटर बदलने की जरूरत नहीं होगी।

निजी अस्पताल में खर्च होते हैं 60 हजार तक

एक परमाकैथ कैथेटर का बाजार मूल्य करीब 18 से 20 हजार रुपए है। निजी अस्पताल इस कैथेटर को डालने के बदले में 50 से 60 हजार तक खर्च करने पड़ते हैं। लेकिन सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल में आयुष्मान के मरीजों को न तो कैथेटर के लिए पैसा देना होगा और न ही इसे डालने की प्रक्रिया के लिए। 30 से 40 मिनट में यहां यह पूरी प्रक्रिया नि:शुल्क की जाएगी।

जिन मरीजों को फिस्टुला नहीं बनता उनको जरूरत

सामान्य तौर पर सभी मरीजों को यह कैथेटर नहीं डाला जाता है। यह उन्हीं मरीजों को डाला जा रहा है, जिनकी हालत गंभीर है या फिर जिनको कम से कम समय में बार-बार डायलिसिस करानी पड़ रही है। ऐसे में कई मरीज के हाथ में कई बार सुई चुभोए जाने से फिस्टुला नहीं बन पाता है। इन मामलों में ही कैथेटर डालने की यह प्रक्रिया की जा रही है। डॉ. यादव का कहना है कि अगर कोई मरीज आयुष्मान कार्ड धारक नहीं है, उसे भी यह कैथेटर 28 हजार रुपए तक में डाल दिया जाएगा। जबकि आयुष्मान के मरीजों को यह सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाएगी।

300 मरीजों की हो चुकी है डायलेसिस

सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल में नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. शिवम यादव के आने के बाद अभी तक 300 से अधिक मरीजों की डायलेसिस की जा चुकी है। इसके अलावा करीब 30 मरीजों की किडऩी वायोप्सी भी की जा चुकी है। साथ ही वर्तमान में अब नेफ्रोलॉजी विभाग की ओपीडी में प्रतिमाह 500 से अधिक मरीज भी उपचार के लिए पहुंच रहे हैं।

अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभाग का लगातार बिस्तार किया जा रहा है। अस्पताल में डायलेसिस यूनिट शुरू करने के बाद अब परमाकैथ कैथेटर डालने की सुविधा भी शुरू कर दी गई है।

डॉ. जी.एस. गुप्ता

अधीक्षक, सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल

सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभाग में पिछले छह माह में दो चिकित्सक पदस्थ किए गए हैं। साथ ही मरीजों की सुविधा को देखते हुए सम्भागायुक्त से पांच लाख रुपए स्वीकृत करा कर नेफ्रोलॉजी विभाग को कैथेटर व अन्य उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं।

डॉ. अक्षय निगम

अधिष्ठाता, गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय

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