घर की शांति और स्वयं की तरक्की के लिए पितरों को करें खुश

घर की शांति और स्वयं की तरक्की के लिए पितरों को करें खुश
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आज से श्राद्ध पक्ष शुरू

ग्वालियर, न.सं.। पितृ पक्ष के दौरान दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है। माना जाता है कि यदि पुरखे नाराज हो जाएं तो व्यक्ति का जीवन भी परेशानियों और तरह-तरह की समस्याओं में पड़ जाता है और खुशहाल जीवन खत्म हो जाता है। साथ ही घर में भी अशांति फैलती है और व्यापार में हानि होती है। ऐसे में पितरों को तृप्त करना और उनकी आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में श्राद्ध करना बेहद आवश्यक माना जाता है।

ज्योतिषाचार्य पं. गौरव उपाध्याय के अनुसार श्राद्ध पक्ष मंगलवार की सुबह 09.38 से शुरू हो रहे हैं। पितृ पक्ष को कनागत या महालय भी कहा जाता है। हिन्दू धर्म ग्रंथों में इस बात का वर्णन मिलता है कि भगवान की पूजा से पहले अपने पूर्वजों की आराधना करनी चाहिए। यदि नियम अनुसार पितरों का तर्पण न किया जाए तो उनकी आत्मा मृत्युलोक में भटकती रहती है। जिससे व्यक्ति को पितृदोष लग जाता है। पितृदोष के कारण संतान उत्पत्ति में समस्या, धन हानि, सफलता के नजदीक आकर दूर रह जाना आदि समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसलिए पितृदोष से मुक्ति के लिए पितरों की पूजा आवश्यक है। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि तीन पूर्वज पिता, दादा और परदादा को तीन देवता के समान माना जाता है। पितरों का श्राद्ध वर्ष के किसी भी पक्ष की जिस तिथि को परिजन की मृत्यु हुई है पितृपक्ष को उसी तिथि को श्राद्ध करना चाहिए। अगर किसी व्यक्ति को अपने पूर्वज की मृत्यु की तिथि ज्ञात न हो तो अपने पूर्वजों का श्राद्ध पितृ पक्ष में अमावस्या पर कर सकते हैं।

जल और दीपदान अवश्य करें

ज्योतिषाचार्य के अनुसार अपने पितरों को खुश रखने के लिए सुबह के समय किसी तालाब, नदी या घर पर किसी बर्तन में जल लेकर कुशा से जल का तर्पण करें। इसके साथ ही पूजा के कमरे में एक पटे पर पितरों के लिए तांबे के बर्तन में पितरों के लिए जल रखें एवं शाम के समय देशी घी का दीपक अवश्य लगाएं। घर के द्वार व तुलसी के गमले में भी दीपदान करें। ऐसा करने से पितर तो खुश होते ही हैं साथ ही घर में खुशहाली भी आती है।

इन नियमों का करें पालन

पितृ पक्ष के दौरान हर दिन तर्पण किया जाना आवश्यक है। पानी में दूध, जौ, चावल और गंगाजल डालकर तर्पण करें। पितृ पक्ष में कोई भी शुभ कार्य, विशेष पूजा-पाठ और अनुष्ठान नहीं करना चाहिए।

ऐसे करें श्राद्ध

जिस दिन अपने पितरों का श्राद्ध है उस दिन उनका पसंदीदा भोजन बनाएं एवं हवन के माध्यम से उन्हें अर्पण करें। इसके बाद गाय, कौआ, स्वान को भोजन अर्पित करें। खाने में लहसुन और प्याज का कतई उपयोग न करें। मान्यता के मुताबिक श्राद्ध के दिन स्मरण करने से पितर घर आते हैं और भोजन पाकर तृप्त हो जाते हैं।

अनंत चतुर्दशी आज

ज्योतिषाचार्य पंडित गौरव उपाध्याय के अनुसार भाद्रपद (भादो) मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी कहा जाता है। इस बार अनंत चतुर्दशी एक सितंबर को मनाई जाएगी। स दिन अनंत के रूप में भगवान विष्णु की पूजा होती है। इस बार चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 31 अगस्त को सुबह 08.48 पर हुआ और समापन मंगलवार की सुबह 09.38 पर होगा। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस दिन भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति रखें और अनंत धागे को रखें व उसमें 14 गांठे लगाएं। पूजा में चंदन, रोली, धूप, दीप, नैवेद्य, भगवान को समर्पित करें।

गणेश विसर्जन का शुभ समय

ज्योतिषाचार्य के अनुसार गणेश विसर्जन के लिए सुबह 09.22 से दोपहर 1.52 बजे तक चर लाभ और अमृत की चौघडिय़ां हैं। दोपहर 3.22 से 4.52 बजे तक शुभ की चौघडिय़ां। शाम 7.52 से रात्रि 9.22 बजे तक लाभ की चौघडिय़ां। रात्रि 10.52 से 12.22 बजे तक शुभ की चौघडिय़ा में विसर्जन करना उत्तम रहेगा।

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