चरित्रवान पीढ़ी के लिए श्री रामकथा आवश्यक: पचौरी

चरित्रवान पीढ़ी के लिए श्री रामकथा आवश्यक: पचौरी
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यह मन रूपी मारीच रूप बदल-बदल कर हमें परेशान करता है।

ग्वालियर, न.सं.। भिंड जिले के ग्राम कनावर में श्रीराम कथा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। कथा के तीसरे दिन रविवार को मानस मर्मज्ञ डॉ. उमाशंकर पचौरी ने कहा कि चरित्रवान पीढ़ी का निर्माण करने हेतु श्रीराम कथा का स्मरण आवश्यक है। उन्होंने बताया कि दशानन वह है जो अपने दस मुखों अर्थात दस इंद्रियों द्वारा ग्रहण करता है। विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि अंत:करण की शुद्धि किए बगैर राम की ओर यात्रा संभव नहीं हो सकेगी। यह मन रूपी मारीच रूप बदल-बदल कर हमें परेशान करता है।

अंत:करण की शुद्धि के उपाय श्री राम जी बताते हैं। ‘बिनु फर बाण राम तेहि मारा’ अर्थात निष्कामता का बाण ही इस मन रूपी मारीच को असली रूप में ला सकता है। निष्काम कर्म ही अंत:करण की शुद्धि का एकमात्र उपाय है। इस अवसर पर नवल सिंह, रघुनाथ सिंह, डॉ. शैलेंद्र सिंह भदौरिया, डॉ. रविकांत जैन, प्रमोद राजावत, दिनेश प्रताप सिंह, सतेंद्र सिंह भदौरिया आदि गणमान्यजन उपस्थित थे।

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