ग्वालियर की दीदियों ने पेश की महिला सशक्तिकरण की मिशाल

ग्वालियर की दीदियों ने पेश की महिला सशक्तिकरण की मिशाल
X

ग्वालियर। कभी कंडे थापने और चौका-बर्तन जैसे घरेलू कामकाज तक सीमित रहने वाली ग्रामीण महिलायें अब खुशबूदार अगरबत्ती व धूपबत्ती, सुंदर-सुंदर परिधान व जायकेदार मसालों के उत्पादन से लेकर सफलतापूर्वक जैविक खेती व कड़कनाथ मुर्गी पालन कर रही हैं। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित स्व-सहायता समूहों से जुड़कर ग्वालियर जिले की इन दीदियों ने आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनकर महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश की है।

ग्वालियर जिले में राजय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत अब तक 3 हजार 430 महिला स्व-सहायता समूह गठित हो चुके हैं। इन समूहों से 38 हजार 538 ग्रामीण परिवार जुड़े हैं। इनमें से 1200 परिवार दीदी गारमेंट, 850 परिवार कड़कनाथ एवं बैकयार्ड मुर्गी पालन, 1245 परिवार मछली व बकरी पालन, 532 परिवार व्यवसायिक सब्जी उत्पादन, 852 परिवार जैविक व उन्नत खेती, 272 परिवार मोती-माला गतिविधि, 412 परिवार झाड़ू निर्माण, 335 परिवार रूई-बाती, 240 परिवार डेयरी, 40 परिवार मसाला उत्पादन, 72 परिवार बड़ी-पापड़, 60 परिवार वॉश प्रोडक्ट और 13 परिवार नर्सरी गतिविधि से जुड़े हैं। इसके अलावा महिला समूहों से जुड़े बहुत से परिवार अन्य प्रकार की आर्थिक गतिविधियाँ संचालित कर रहे हैं।

विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि स्व-सहायता समूहों को करोड़ों रूपए की सहायता उपलब्ध कराई गई है। इन समूहों की दीदियों ने समय पर शतप्रतिशत बैंक ऋण चुकाया है। समूहों का एक भी खाता एनपीए नहीं है। विभिन्न प्रकार की आर्थिक गतिविधियों के आधार पर जिले के ग्रामीण अंचल में लगभग डेढ़ दर्जन क्लस्टर लेवल फेडरेशन बनाए गए हैं। साथ ही 325 ग्राम संगठन भी अब तक बनाए जा चुके हैं। जिले की ग्रामीण महिलाओं के 2 हजार 186 समूहों को सरकार द्वारा रिवॉल्विंग फंड के रूप में 265 लाख से अधिक आर्थिक सहायता मुहैया कराई गई है। साथ ही 239 ग्राम संगठनों को 11 करोड़ 74 लाख की सहायता अब तक दी जा चुकी है। जिले के 3 हजार 430 समूह की दीदी अपने परिवार का खर्चा चलाने के साथ-साथ बचत भी कर रही हैं। लिए गए ऋण, ऋण का रोटेशन एवं बैंक क्रेडिट लिंकेज के माध्यम से लगभग 50 करोड़ रूपए की आर्थिक सहायता स्व-सहायता समूहों को उपलब्ध कराई जा चुकी है।

सफलता की कहानी दीदियों की जुबानी -

स्व-सहायता समूहों में संगठित होकर महिला सशक्तिकरण की नई इबारत लिख रहीं दीदियों से मिलने मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान एवं केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर भी संभागीय ग्रामीण हाट बाजार परिसर में गत 24 जनवरी को पहुँचे थे। उन्होंने उत्पादों की बिक्री कर रहीं दीदियों से चर्चा कर उनकी सफलता की दास्तां सुनीं।

माँ शीतला समूह की दीदियों ने मुख्यमंत्री श्री चौहान को बताया कि कड़कनाथ मुर्गा-मुर्गी पालन कर कड़क कमाई कर रही हैं। कड़कनाथ मुर्गा 800 रूपए में और अण्डा 30 रूपए में बिक जाता है। इस व्यवसाय से अब हम आत्मनिर्भर हो गए हैं। इसी तरह कालिन्द्री क्लस्टर लेवल फेडरेशन से जुड़ीं दीदियां सफलतापूर्वक फिनायल निर्माण कर रही हैं।

ग्वालियर जिले के ग्राम कल्याणी की निवासी श्रीमती रहीसा बेगम बताती हैं कि मेरे पति साइकिल पर रोजमर्रा की जरूरतों का सामान लेकर गाँव-गाँव बेचने जाया करते थे। पर इतना नहीं कमा पाते कि परिवार की गाड़ी आराम से चल जाए। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ने के बाद हमारे परिवार के दिन फिर गए। हमने गाँव की महिलाओं के साथ मिलकर अली स्व-सहायता समूह बनाया। समूह की साख बढ़ी तो सरकार ने हमें सरकारी स्कूलों के बच्चों की यूनीफार्म तैयार करने का काम दिया। दीदी गारमेन्ट के नाम से हम सबने यूनीफार्म तैयार की। आज हमारे गाँव की लगभग 100 महिलाएँ सिलाई-कढ़ाई से जुड़कर आत्मनिर्भर बन गई हैं। अगर पूरे जिले की बात करें तो विभिन्न स्व-सहायता समूहों से जुड़ीं 1200 से अधिक दीदियों ने एक लाख 27 हजार यूनीफॉर्म तैयार कर 2 करोड़ 89 लाख रूपए का लाभ कमाया है। रहीसा बताती हैं कि लॉकडाउन के दौरान हमारे समूह ने बड़े पैमाने पर मास्क एवं पीपीई किट का निर्माण किया। उनका कहना है कि दीदी गारमेन्ट से जुड़ीं ज्यादातर दीदियाँ लखपति क्लब में शामिल हो गई हैं।

ग्राम छीमक निवासी श्रीमती पुष्पा कुशवाह व ग्राम हस्तिनापुर निवासी श्रीमती रजनी जैतवार अपने गाँव में बैंक वाली दीदी के नाम से मशहूर हैं। पुष्पा बताती हैं कि गाँव की कई महिलाओं को हमने समूहों के जरिए रोजगार दिलाया है। साथ ही गाँव की 80 से अधिक महिलाओं के बैंक में खाते खुलवाए हैं।


Tags

Next Story