बारिश के साथ बढ़े सर्प दंश के मरीज, सांप काटने पर बरते ये..सावधानियां

बारिश के साथ बढ़े सर्प दंश के मरीज, सांप काटने पर बरते ये..सावधानियां
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ग्वालियर, न.सं.। बारिश के साथ-साथ सर्पदंश का खतरा बढ़ गया है। यही कारण है कि जयारोग्य चिकित्सालय में पिछले एक माह में सर्पदंश के करीब एक सैंकड़ा से ज्यादा मरीज आईसीयू में भर्ती हो चुके हैं। लेकिन खास बात यह रही कि सर्पदंश के शिकार महज 30 प्रतिशत मरीजों को ही एंटी स्नेक बैनम इंजेक्शन लगाने की आवश्यता पड़ी। जबकि अन्य 70 प्रतिशत मरीजों को जहरीले सांप ने नहीं काटा था। जिस कारण उन्हें इंजेक्शन लगाने की आवश्यता ही नहीं पड़ी और 24 घंटे के अंदर उन्हें डिस्चार्ज भी कर दिया गया। चिकित्सकों का कहना है कि कई मरीज सर्प के जहर से नहीं, बल्की डर के कारण मर जाते हैं। क्योंकि डर के कारण उनकी ह्दय गति रूक जाती है। इसलिए घबराएं नहीं और समय पर अस्पताल पहुंचे।

झाड़-फूंक के चक्कर में न पड़े

ग्रामीण क्षेत्र में सर्पदंश के मामले आने पर झाड़-फूंक का सहारा लिया जाता है। इससे चलते मरीज देर से अस्पताल पहुंचता है और सर्पदंश पूरे शरीर में फैल जाता है, इससे मौत हो जाती है। चिकित्सकों का कहना है कि सांप कांटने के बाद लोग बैगा-गुनिया से झाड़-फूंक के चंगुल में न फंसे। बल्कि पीडि़त रोगी को सीधे अस्पताल पहुंचाएं।

24 घंटे में दिखने लगता है जहर का असर

सांप के काटने के 24 घंटे के अंदर यदि जहर का असर आता है तो उसे एंटी स्नेक बैनम इंजेक्शन दिया जाता अन्यथा नहीं। सर्प के डसने पर व्यक्ति को पेट दर्द, उल्टी, सांस लेने में परेशानी,नींद आने जैसी परेशानी होती है तेा कुछ लोगों में सर्प के काटने वाले स्थान पर सूजन, मुंह, नाक, पेशाब आदि से खून निकलने लगता है। इस तरह के लक्षण आने पर ही जहर को फेलने से रोकने का इंजेक्शन मरीज को लगाया जाता है।

यह बरतें सावधानी

किसी भी बंधन अथवा संपीडन पट्टी नहीं लगाई जाए। काटे गए स्थान पर ज्यादा कसकर नहीं बांधा जाए, जहर निकालने के लिए चूसना अथवा चीरा नहीं दिया जाए। रोगी को मादक पेय अथवा एस्पिरिन नहीं देना चाहिए। पीडि़त व्यक्ति को चलने नहीं देना चाहिए, काटने की जगह पर बर्फ लगाकर इसे ठंडा नहीं करें।

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