ग्वालियर नगर निगम के बिजली विभाग में 22 लाख का सोडियम घोटाला

ग्वालियर नगर निगम के बिजली विभाग में 22 लाख का सोडियम घोटाला
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राजीव अग्रवाल

ग्वालियर। नगर निगम में तानसेन नगर के पार्क में बिजली की हांडी लगे बिना किसी दूसरे ठेकेदार को भुगतान किए जाने पर प्राथमिकी दर्ज होने के बाद आज तक तमाम अधिकारी और कर्मचारी फंसे हुए हैं लेकिन उस घटना से कोई सबक लिए बगैर यंत्रियों व ठेकेदारों की जुगलबंदी से एक के बाद एक कारनामे किए जा रहे हैं। ताजा मामला बेहद रोचक है जिसमें निगम ने बजाज कंपनी की सोडियम के लिए टेंडर मंगवाएं थे लेकिन ठेकेदार ने दूसरी कंपनी की सोडियम पहुंचवा दी। जिससे वह कहावत सच हो गई कि मांगे थे चार पैर के घोड़े पहुंचवा दिए खच्चर। लगभग 22 लाख रुपए के इस गड़बड़झाले में गले तक फंसे यंत्री अब फाइल में नई शर्तें जोडक़र संबंधित अधिकारियों से उसे दुरुस्त कराने की फिराक में हैं।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नगर निगम की टेंडर समिति ने बिजली विभाग के प्रकरण क्रमांक 5/ 23 गुणा 6/4 के जरिए पंजीकृत बिजली ठेकेदारों से ग्रामीण क्षेत्र के वार्डों के लिए 22 लाख रुपए की सोडियम क्रय करने की विज्ञप्ति प्रकाशित कराई। इसमें कहा गया था कि सोडियम बजाज कंपनी की लगना है। इस टेंडर को भोपाल की मैसर्स साइन फील्ड इंजीनियरिंग ने 6000 प्रति सोडियम की दर से टेंडर भरा बाद में इसे 3300 रुपए पर स्वीकार कर लिया गया। ठेकेदार ने अपने आप को बजाज कंपनी का अधिकृत डीलर बताया लेकिन बाद में उसने यह कहना शुरू कर दिया कि वह बजाज का काम नहीं करता इसलिए क्रांपटन कंपनी की सोडियम दे देता हूं।

कायदे नियम शर्तों के हिसाब से यदि टेंडर बजाज कंपनी का था तब उसे क्रम्पटन में तब्दील नहीं किया जा सकता। लेकिन ठेकेदार की बदली हुई शर्त एक ही जगह लंबे समय से जमें यंत्रियों को इतनी अच्छी लगी कि उन्होंने क्रम्पटन की सोडियम मंगवा ली।इसकी दर 2900 रुपए प्रति सोडियम है जबकि बल्व सोम्या सैल्स का लिया गया है। बताते हैं कि दोनों कंपनियों की सोडियम की गुणवत्ता में काफी अंतर है। टेंडर की शर्तों में बजाज कंपनी की मेटल की ढलमा सोडियम आना थी जबकि क्रम्पटन की सीट मेटल की सोडियम ले ली गई। जब इस मामले में नोडल अधिकारी बिजली विभाग रामबाबू दिनकर को मोबाइल लगाए और संदेश डाला लेकिन उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई।

उपयंत्रियों में बदलाव

जिस समय सोडियम टेंडर की फाइल चली तब ग्रामीण में उपयंत्री अभिलाषा बघेल थी लेकिन अब वहां केवल सिंह यादव को पदस्थ किया गया है। श्री यादव का कहना है कि जिस फाइल की बात है वह मेरे पास नहीं है। वहीं कार्यपालन यंत्री कीर्ति बर्धन मिश्रा ने कहा कि यह मामला उनकी जानकारी में नहीं है।वे पता करने के बाद ही कुछ बता पाएंगे।

यह है टेंडर समिति में

अपर आयुक्त विजयराज,अपर आयुक्त वित्त रजनी शुक्ला, अधीक्षण यंत्री जेपी पारा,नोडल अधिकारी रामबाबू दिनकर।

वार्डों में लगना शुरू

मजेदार बात यह है कि टेंडर शर्तों का उल्लंघन होने पर टेंडर समिति को आपत्ति करना चाहिए थी, लेकिन सबकी मिली भगत से विभाग में आई सोडियमों का ग्रामीण वार्डों में वितरण भी कर दिया गया। जिससे यह लग भी गई।

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