सिद्धि व रवि योग में योगनिद्रा से जागेंगे श्री हरि विष्णु

सिद्धि व रवि योग में योगनिद्रा से जागेंगे श्री हरि विष्णु
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ग्वालियर। देव हरि श्री विष्णु 25 नवंबर बुधवार को कार्तिक शुक्ल पक्ष को देव प्रबोधिनी एकादशी सिद्धि योग और रवि योग में अपनी योग निद्रा से जागेंग इस दिन को देवउठनी एकादशी और देव दीपावली के नाम से जाना जाता है। देवउठनी एकादशी से शादी विवाह और मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। देव शयनी एकादशी के बाद भगवान योग निद्रा में प्रति वर्ष 4 माह के लिए चले जाते हैं। इस बार अधिक मास होने के कारण भगवान का शयन 5 माह के लिए रहा है। ज्योतिषाचार्य पंडित सतीश सोनी के अनुसार देवउठनी ग्यारस पर भगवान विष्णु का शालिग्राम के रूप में तुलसी के साथ विवाह हुआ था। इनके योग निद्रा में जागने के साथ ही मांगलिक कार्य के साथ विवाह पर लगी रोक हट जाती है। भगवान के जागने से सृष्टि में तमाम सकारात्मक शक्तियों का संचार होने लगता है।

ऐसे करें पूजन:-

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि 5 गन्ने का मंडप बनाकर उसके नीचे चौक स्थापित करें। उसके बाद चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु के साथ शिव पंचायत रखकर जन करें। धूप दीप से आरती करके सपरिवार पांच बार देव उठाएं और बोलें उठो देव बैठो देव कुंवारी के विवाह करो विवाहिता के गोने करो गोने के रोने करो और उनके लडक़ा रो, लडक़ों के नाती करो और नाती के पंथी करो उठो देव बैठो देव।

पूजन सामाग्री:-

एकादशी पूजन के लिए 5 बड़े गन्ने रखना चाहिए। पूजन सामाग्री में गंगाजल, शुद्ध मिट्टी, रोली, हल्दी, मेहंदी, कुमकुम, कलावा, चावल, कपूर, सुपारी, दूध, दही, शहद, घी, शक्कर, मिठाई, फल, फूल सभी तरह की सब्जियों का पूजन में उपयोग करें।

पूजा के लिए शुभ मुहूर्त:-

  • अमृत काल में दोपहर 12.59 से 2.46 तक
  • विजय मुहूर्त दोपहर 1.54 से 2.36 तक
  • गोधूलि बेला शाम 5.14 से 6.45 तक।

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