शराब माफिया वही और ठिकाने भी वही, फिर भी हाथ नहीं आते कच्ची शराब बनाने वाले
ग्वालियर,न.सं.। ग्रामीण क्षेत्रों में करोड़ों रुपए की अवैध रूप से बनाई गई कच्ची शराब पकड़े जाने के बाद भी कारोबार पर पूरी तरह से रोक नहीं लग पा रही है। हालत यह है कि शराब माफिया भी वही हैं और उनके ठिकाने भी वही। लेकिन ना तो पुलिस प्रशासन और न ही आबकारी विभाग की टीम इन शराब माफियाओं को पकड़ पा रही है। यही कारण है कि हजारों लीटर कच्ची शराब शहर में लाकर खपाई जा रही है। कुछ दिनों पहले आबकारी विभाग ने मोहनपुर और नयागांव में छापामार कार्रवाई की थी। जिसमें लाखों रूपए की शराब को आबकारी विभाग ने मौके पर ही नष्ट किया था। जिस जगह पर शराब बनाई जा रही है वह वन विभाग की जमीन है, लेकिन गश्त नहीं होने से यहां पर अवैध शराब धड़ल्ले से बनाई जा रही है।
ग्वालियर-शिवपुरी-करैरा बॉर्डर पर स्थित ग्राम चकमियापुर, मोहनगढ़, गोलपुरा और कंजर बस्ती सबसे बड़ा अवैध शराब बनाने का अड्डा है। एक साल में पुलिस व आबकारी टीम ने यहां से एक करोड़ ज्यादा की शराब व गुड़लहान और इसे बनाने का सामान जब्त किया है। यहां पर कई सालों से शराब बनाई जा रही है और दूसरे प्रदेशों में पहुंचाई जा रही है।
बीते 6 जनवरी को आबकारी और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में 27 लाख रूपए कीह कीमत का गुड़लहान बरामद किया था। हालांकि इस दौरान एक भी शराब माफिया मौके से नहीं पकड़ा गया। लेकिन खास बात यह है कि इतने सालों से यहां बड़े पैमाने पर शराब बनाई जा रही है और चोरी छिपे बिक रही है, लेकिन इस पर पूरी तरह से रोक नहीं लग पा रही। विगत एक साल में यहां शराब बनाने की कई फैक्ट्रीनुमा अड्डे मिले हैं।
जिले का बॉर्डर पर होने सेे यहां बनती है ज्यादा शराब
ग्राम चकमियापुर, गोलपुरा, कंजरों का डेरा ग्वालियर जिले के अंतिम छोर पर है। इसके बाद शिवपुरी-करैरा की सीमा लग जाती है। इसलिए यहां पर बड़े पैमाने पर कच्ची शराब बनाई जाती है और दूसरे जिलों और प्रदेशों में परिवहन कर दिया जाता है। इस जगह कई बार कार्रवाई की जा चुकी है, लेकिन हर बार लाखों रुपए की शराब यहां पर मिल जाती है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि शराब बनाने का यहां पर दिन रात काम चलता है। लेकिन इतनी मात्रा में शराब बनाए जाने के बाद भी पुलिस को भनक तक नहीं लग पाती है। यह शराब अकेले डबरा व भितरवार सहित आसपास के अंचल के अलावा यह कच्ची शराब दतिया, शिवपुरी, ग्वालियर, झांसी के अलावा अन्य जिलों में भी पहुंचती है।
कंजर डेरों से पकड़ी जाती है शराब, नहीं मिलते माफिया
आबकारी टीम द्वारा कई महीनों से कार्रवाई की जा रहीं हैं। लेकिन हर बार शराब, गुड लहान व शराब बनाने का सामान ही मौके पर मिलता है। शराब बनाने वाले गिरफ्त में नहीं आ सके। टीम के पहुंचने से पहले ही शराब माफिया को इसकी जानकारी लग जाती है और वह भागने में कामयाब हो जाते हैं। अधिकांश मामलों में तो इनकी पहचान तक नहीं हो पाती है।
कब-कब आबकारी ने की कार्रवाई
- 3 जनवरी-मोहना क्षेत्र के ग्रामीण एरिया में कंजरों के टपरों पर औचक दबिश दी गई। जिसमें 40 हजार लीटर गुड-लहान के अलावा 500 लीटर कच्ची शराब भी जब्त की गई। साथ ही 5 प्रकरण पर भी दर्ज किए गए।
- -6 जनवरी को थाना पनिहार के ग्राम तिघरा पहाड़ी पर कंजर डेरो पर दबिश दी। दबिश के दौरान तलाशी लेने पर क्षेत्र के भिन्न भिन्न स्थानों पर बने टंकियों से लगभग 40000 लीटर गुड़ लाहन बरामद हुआ।
- -27 दिसम्बर 2022- भितरवार अंतर्गत कंजरों के डेरो गोहिंदा, गोलपुरा व चकमियांपुर में दबिश दी गई। दबिश के दौरान तलाशी लेने पर भिन्न भिन्न स्थानों से लगभग 30 हजार लीटर गुड़ लाहन बरामद हुआ।
- -29 अक्टूबर 2022-मोहनपुर, लक्ष्मणगढ़ व विक्की फैक्ट्री में कंजरों के डेरे पर आबकारी विभाग की टीम ने कच्ची शराब बनाने के ठिकाने पर छापामार कार्रवाई की। कार्रवाई के दौरान कच्ची शराब बनाने का 11230 ली गुड़ लाहन तथा 6 बल्क लीटर हाथभट्टी मदिरा बरामद की।
गाडिय़ों को देख मिल जाती है सूचना
- -हाइवे से जैसी की गाडिय़ों जंगलों में घुसती है, अवैध शराब का कारोबार करने वालों को फोन के जरिए पहले ही सूचना मिल जाती है।
- -कई बार पुलिस की गाडिय़ों के सायरन को सुनकर भी ये लोग भाग निकलते है।
- -जंगलों में इतने अंदर शराब बनाई जाती है जहां आसानी से नहीं पहुंचा जा सकता।
इनका कहना है
शराब माफिया पर लगातार कार्रवाई की जा रही है
लगातार कार्रवाई कर अवैध रुप से बनाई गई शराब को नष्ट करा रहे हैं। जहां तक शराब बनाने वालों की बात है मौके पर पहुंचने से पहले ही भाग जाते हैं। योजना बना कर ऐसे लोगों को चिन्हित कर पकड़ा जाएगा। अधिकत्तर शराब वन विभाग की जमीन पर बन रही है, इसको लेकर भी हमने वन विभाग को पत्र लिखा है।
संदीप शर्मा
सहायक आबकारी आयुक्त