सिर्फ सिंधिया नहीं चालीस वर्ष से कांग्रेस का सिपाही: शर्मा
ग्वालियर, विशेष प्रतिनिधि। ग्वालियर विधानसभा से कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता एवं कांग्रेस के प्रदेश महासचिव सुनील शर्मा को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। श्री शर्मा कैलाशवासी माधवराव सिंधिया के समय से कांग्रेस से जुड़े हुए हैं। उनके निधन के बाद 18 वर्ष से वह ज्योतिरादित्य सिंधिया से जुड़े रहे और उनकी ड्यूटी अशोकनगर क्षेत्र में लगाई जाती रही। किंतु सिंधिया द्वारा कांग्रेस छोडऩे पर सुनील शर्मा ने उनकी भक्ति छोड़कर कांग्रेस में ही बने रहने का निर्णय लिया। ऐसा इसलिए क्योंकि सिंधिया की गुडबुक में प्रद्युम्न सिंह तोमर का नाम सबसे ऊपर रहता है, जिससे सुनील शर्मा अपने आपको उपेक्षित महसूस करते रहे। ग्वालियर विधानसभा में टिकट की जब भी बारी आती थी तो प्रद्युम्न बाजी मार ले जाते थे। इसीलिए वे भाजपा में नहीं गए और प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत एवं पूर्व मंत्री एवं विधायक लाखन सिंह यादव के जरिए टिकट लाने में सफल रहे। यद्यपि टिकट की लाइन में वरिष्ठ नेता एवं पूर्व अध्यक्ष अशोक शर्मा, वीरेन्द्र सिंह तोमर एवं संत कृपाल सिंह का नाम भी लिया जा रहा था। जैसे ही शुक्रवार को दोपहर बाद पंद्रह टिकटों की सूची फाइनल हुई तो श्री शर्मा किला गेट पर धरना दे रहे थे। देर शाम वह अपने न्यू कॉलोनी बिरलानगर स्थित निवास आए तो उनके समर्थकों ने माला पहनाकर उनका स्वागत किया। इसके बाद वे कांच मिल क्षेत्र में रैली के रूप में निकले। वे आम जनता को यह भरोसा दिलाते दिखे कि एसपी और टीआई अब कांग्रेस का होगा इसलिए किसी कि धमकी से न डरें।
इस दौरान स्वदेश से चर्चा में जब उनसे पूछा गया कि आप 18 वर्षों से ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ थे अब उनका हाथ प्रद्युम्न सिंह तोमर पर है। ऐसे में उनसे मुकाबला कैसे करोगे। इसके जवाब में श्री शर्मा बोले कि मैं ज्योतिरादित्य सिंधिया से पहले कैलाशवासी माधवराव सिंधिया के समय से कांग्रेस में हूं इसलिए सिर्फ सिंधिया का नहीं कांग्रेस का सिपाही हूं। उन्होंने कहा कि सब जानते हैं कि किस तरह से कमलनाथ की सरकार को गिराकर लोकतंत्र की हत्या की गई। जिन मंत्री और विधायकों ने इस्तीफा दिया जनता उन्हें इस चुनाव में सबक सिखाएगी। यह चुनाव जनता का चुनाव है। पूर्व मंत्री एवं विधायकों को विकाऊ कहने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस तरह के आरोप लगाना मेरा स्वभाव नहीं है। कांग्रेस में गुटबाजी के सवाल को भी उन्होंने यह कहकर टाल दिया कि कांग्रेस में सब एकजुट हैं। आज के धरने में सभी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ग्वालियर यात्रा पर आकर सभाएं लेंगे।
पंद्रह कांग्रेसियों ने दे दी बधाई: प्रद्युम्न
ग्वालियर विधानसभा से कांग्रेस द्वारा सुनील शर्मा को प्रत्याशी बनाए जाने पर जब कैबिनेट मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर से प्रतिक्रिया चाही गई तो उन्होंने कहा कि वे अपने विरोधी प्रत्याशी का कभी नाम नहीं लेते। पिछले चुनावों में भी उन्होंने नाम नहीं लिया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का प्रत्याशी घोषित होने के बाद पंद्रह कांग्रेस नेताओं ने उन्हें बधाई देते हुए कहा है कि अब आपका काम हो गया। उनसे जब पूछा गया कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस में रहते सुनील शर्मा और आप साथ थे, इस पर उन्होंने कहा कि वे कभी सुनील के साथ नहीं थे। अब यह चुनाव जनता का है, उसे फैसला करना है कि वह किसे जिताएगी।
डबरा में दूसरी बार होगा समधी-समधिन में मुकाबला
डबरा विधानसभा में जहां एक ओर कैबिनेट मंत्री इमरती देवी लगातार पांचवी बार चुनाव मैदान में है। चार चुनाव उन्होंने कांग्रेस के बैनर तले जीते, अब उनके सामने कांग्रेस ने उनके समधी सुरेश राजे को मैदान में उतारा है। वर्ष 2013 के चुनाव में सुरेश भाजपा प्रत्याशी थे तब उन्हें इमरती देवी ने 33 हजार 278 मतों से पराजित किया था। इसके बाद वर्ष 2018 के चुनाव में सुरेश राजे भाजपा छोड़ कांग्रेस में आ गए थे। इमरती देवी ही उन्हें कांग्रेस में लेकर आईं थी। तब वर्ष 2018 के चुनाव में इमरती देवी ने 57 हजार मतों से भाजपा के प्रत्याशी कप्तान सिंह सेहसारी को हराया था। इमरती देवी के भाजपा में जाने के बाद सुरेश राजे कांग्रेस में ही बने रहे। बसपा से आईं सत्यप्रकाशी परसेडिय़ा पिछले दिनों इसलिए कांग्रेस में शामिल हुईं थी कि कांग्रेस उन्हें विधानसभा प्रत्याशी बनाएगी लेकिन सुरेश राजे का नाम फाइनल होने पर परसेडिय़ा को झटका लगा है। इसी तरह कुछ अन्य दावेदार भी टिकट के लिए प्रयासरत थे।