जमीन बेचने के बाद बंटवारे में आ गया नाम, तहसीलदार ने प्राथमिकी के लिए दिया पत्र

जमीन बेचने के बाद बंटवारे में आ गया नाम, तहसीलदार ने प्राथमिकी के लिए दिया पत्र
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ग्वालियर, न.सं.। अलापुर क्षेत्र की बेशकीमती जमीन को बेचने के बाद अपने हिस्से के लिए बटांकन में नाम आ जाने का सनसनी खेज मामला उजागर हुआ है। और तो और इस जमीन का मुआवजा भी लिया जा चुका है। ऐसे में दो साल पहले तहसीलदार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए संबंधित विक्रेताओं के खिलाफ सिरौल थाने में पत्र लिखकर प्राथमिकी दर्ज करने को कहा था। किंतु दो साल से यह पत्र धूल खा रहा है।

जानकारी के मुताबिक रामवीर सिंह, रामेश्वर सिंह दशरथ सिंह पुत्रगण स्व. कप्तान सिंह, गीता देवी पत्नी कप्तान सिंह और धनवंती बाई पत्नी प्रताप सिंह निवासी ग्राम अलापुर द्वारा 28 फरवरी 2011 को अपने पूरे हिस्से को विक्रय कर दिया गया था। किंतु बड़े ही आश्चर्य जनक ढंग से इन पांचों के हिस्से में 7 मई 2011 को अपर तहसीलदार वृत मुरार द्वारा बटाकंन आदेश क्रमांक 30/10/ अ 27 में इन पांचों का नाम दर्ज किया गया। इतना ही नहीं इसके बाद तहसीलदार ग्वालियर द्वारा पूरे मामले की जांच के बाद 2 अप्रैल 2018 को एक पत्र थाना सिरोल भेजा गया। जिसमें बताया कि अलापुर की भूमि सर्वे क्रमांकों पर जमुना देवी पुत्री भगवान सिंह बनाम अपर तहसीलदार मुरार के प्रकरण में जांच के बाद पाया गया कि बंटवारा प्रकरण में दर्ज सह खातेदारों के मध्य जो फर्द प्रस्तुत की गई थी। उस फर्द में शामिल सर्व क्रमांक का भू-अर्जन न्यायालय जिलाधीश जिला ग्वालियर के आदेश 21 जुलाई 1987 को अलापुर बांध निर्माण के लिए डूब में आने के कारण अर्जन किया गया।


जिसका पटवारी अभिलेख में अमल नहीं था। अपर तहसीलदार मुरार के बंटवारा में रामवीर, रामेश्वर, दशरथ, गीता देवी एवं धनवंती द्वारा अपना हिस्सा 1/6 एवं 1/3 बेच दिया गया। इन पांचों ने न्यायालय को सही जानकारी ने देते हुए छल पूवर्क बंटवारा आदेश कराया गया। उनका कृत्य न्यायालय को गुमराह कर बिना अधिकारता के स्वत्व अर्जित करने का है। इस कारण उनके विरुद्ध दंड प्रक्रिया संहिता के तहत प्राथमिकी दर्ज की जाए। बताते है कि इसके बाद इस भूमि के संबंध में रामनिवास गुर्जर पुत्र ज्ञानेन्द्र गुर्जर द्वारा उच्च न्यायालय में याचिका लगाई गई। जिसमें उक्त भूमियों के क्रय विक्रय रोकने के साथ स्थगन आदेश दिया गया। इसके बावजूद उक्त भूमि का विक्रय कर निर्माण कार्य किया जा रहा है। बताते हैं कि लगभग साढ़े आठ बीघा इस जमीन की कीमत 35 करोड़ है। इसे लेकर न तो क्षेत्र के पटवारी द्वारा कोई कार्रवाई की जा रही है और न ही सिरौल थाना पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की है। ऐसे में तहसीलदार द्वारा घोटाला उजागर करने का पत्र भी थाने में धूल खा रहा है। इस मामले में जब झांसी रोड एसडीएम अनिल बनवारिया एवं पटवारी रामलखन सिंह गुर्जर से चर्चा करना चाही, तो वह उपलब्ध नहीं हुए।

इनका कहना है

यह मामला मेरे संज्ञान में है, मैं अभी नया आया हूं। पुलिस अधीक्षक से चर्चा कर इस मामले में शीघ्र प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।

-पप्पू यादव, थाना प्रभारी सिरौल

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