भारतीय सैनिकों के शौर्य और साहस का पूरी दुनिया लोहा मानती है : ले. जनरल जे. एस. संधू
ग्वालियर,न.सं.। भारतीय सैनिकों के शौर्य और साहस को देखकर कोई भी देश भारत की ओर आंख उठाकर नहीं देख सकता है और न ही सीमाओं को छूने का दुस्साहस कर सकता है। राष्ट्र का कर्तव्य है कि शहीदों का समुचित सम्मान करें। भारत आज विश्व के श्रेष्ठतम पांच देशों में है तथा भविष्य में दुनिया में सर्वश्रेष्ठ होगा। यह बात रविवार को नागरिक परिषद ग्वालियर एवम एलएनआईपीई, ग्वालियर के संयुक्त तत्वाधान में पाकिस्तान पर भारत की विश्वविख्यात विजय के पावन दिवस पर एलएनआईपीई के टैगोर हॉल में भारतीय सेनाओं की शौर्य गाथा का पुण्य स्मरण पर ले. जनरल जे. एस. संधू ने मुख्य अतिथि के रूप में कही।
विजय दिवस पर सीसुब अकादमी टेकरपुर में प्रति वर्ष की तरह इस वर्ष भी अमर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि ले. जनरल जे. एस. संधू ने भारत : कल, आज और कल विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि १६ दिसम्बर को भारत के वीरों ने पाकिस्तान को धूल चटाई थी। उन्होने पूर्वी पाकिस्तान को मुक्त कराया था। इसमें पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने भारत के सामने आत्मसमर्पण किया था।
मुख्य वक्ता जेएनयू दिल्ली के प्रो. डॉ. संजय कुमार भारद्वाज ने भारत-बांग्लादेश संबंध : इतिहास एव वर्तमान परिपे्रक्ष्य विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने भारतीय सेना के शौर्य की गाथा सुनाते हुए उस के वर्तमान की गौरवपूर्ण स्थिति से अवगत कराया।
कार्यक्रम की अध्यक्ष्यता कर रहे सेवानिवृत्त ले.जनरल एवं एमिटी यूनिवर्सिटी के कुलपति वीके शर्मा ने कहा कि भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना ने वीरता का परिचय देते हुए 13 दिन में पाकिस्तानी सेना को धूल चटाई थी। मजबूरन दुश्मन देश के 93 हजार सैनिकों को आत्मसर्पण करना पड़ा। श्री शर्मा ने नागरिकों द्वारा हर वर्ष विजय दिवस के उपलक्ष्य में 16 दिसंबर को अमर शहीदों को श्रद्धांजलि देने की परिपाटी की सराहना करते हुए कहा कि इससे राष्ट्र की सुरक्षा में खड़े सिपाहियों के हौसले बुलंद होते हैं।
कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों एवं नागरिक परिषद के सदस्यों ने अमर शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की। उल्लेखनीय है कि सीमा सुरक्षा बल अकादमी प्रतिवर्ष 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप मेें मनाता है। इस दिन स्व.आरके वाधवा, सहायक कमांडेंट सीमा सुरक्षा बल के महावीर चक्र विजेता तथा सीमा सुरक्षा बल के उन अधिकारियों व अन्य कार्मिकों के सर्वोच्च बलिदान व अमूल्य योगदान को याद किया जाता है, जिन्होंने 1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध में अहम भूमिका निभाकर बांग्लादेश को आजाद कराया।
इस मौके पर स्पोर्ट्स डायरेक्टर डॉ.राजेन्द्र सिंह, , एलएनआईपी के कुलसचिव अमित यादव, जेएएच अधीक्षक डॉ. आरकेएस धाकड़, मध्य भारत शिक्षा समिति के अध्यक्ष प्रो. राजेन्द्र बांदिल नागरिक परिषद से डॉ. जेएस नामधारी, सुधीर अग्रवाल, नवल शुक्ला, पारस जैन, प्रमोद वित्थरिया सहित वरिष्ठ आधिकारी एवं नागरिक परिषद के सदस्य उपस्थित थे।