ग्वालियर में खुले वाहनों से कचरे का परिवहन, हादसे का डर

ग्वालियर में खुले वाहनों से कचरे का परिवहन,  हादसे का डर
X

ग्वालियर। नगर निगम में सबसे बड़ी समस्याओं में से एक कूड़ा-कचरा भी है। शहर का हर तबका इससे प्रभावित है। रिहायशी कॉलोनी हो या घनी बस्ती, कूड़ा उठाव नहीं होने से लोग परेशान हैं। शहर में वाहनों से कूड़ा उठाव बिना ढके हुए किया जा रहा है। नतीजा, साफ-सफाई की व्यवस्थाओं में कुछ खास सुधार नहीं हो रहा है। समस्या यहीं खत्म नहीं होती, आज भी कई वार्डो में बेतरतीब तरीके से कूड़ा फैला रहता है। ऊपर से बिना ढके निगम की गाडिय़ों के कूड़ा ढोने से लोगों की परेशानी बढ़ा दी है।

इस कार्य में नगर निगम लगभग 230 से अधिक गाडिय़ां चल रही हैं, इनमें से काफी गाडिय़ों को कचरा ले जाने के दौरान कवर नहीं किया जा रहा है। कूड़ा वाहन में क्षमता से अधिक कूड़ा डाल दिया जाता है। कूड़ा गाड़ी के पीछे आवागमन करने वाले राहगीर व वाहन चालक के आंखों में कचरा का कण पड़ रहा है। इससे दुर्घटना की संभावना बनी हुई है। साथ ही कूड़े के दुर्गंध से लोगों को परेशानी भी हो रही है। बाकी इसे ढकने को लेकर निगम के पास व्यवस्था तक नहीं है। जबकि एनजीटी का भी सख्त निर्देश है कि वो कूड़े को ढककर ही ले जाए, लेकिन निगम ने अनुपालन नहीं कर रहा है।

खुले में कचरा परिवहन, हादसे का डर

ज्यादातर वाहन खुली गाडिय़ों में कचरे का परिवहन करती हैं। ऐसे में हादसे का डर रहता है। दरअसल कई बार खुले वाहन से कचरा उडक़र सडक़ पर बिखरता रहता है,इससे शहर की सडक़ों पर गंदगी होती है। वहीं वाहन में पड़े कचरे से उड़ती बदबू व मिटटी से भी लोगों को परेशानी होती है। इन वाहनों के पीछे चलने वाले दोपहिया वाहनों पर भी कई बार कचरा आ जाता है, जिससे दुर्घटना का अंदेशा रहता है।

निगम कर्मचारियों की सबसे ज्यादा लापरवाही

नगर निगम की गाडिय़ां सुबह के समय जब सूखा और गीला कचरा एक साथ लेकर सडक़ पर दौड़ती हैं, तब यह नजारा आसानी से देखा जा सकता है। नियमानुसार विभिन्न वार्डों के नालियों, सार्वजिनक स्थानों, सडक़ किनारे जमे सूखे व गीले कचरे को अलग-अलग छोटी और बड़ी गाडिय़ों से ले जाकर लैंड फिल साइड डंप करना होता है, लेकिन निगम के कर्मचारी ऐसा नहीं करते।

पिछली रैंकिंग

वर्ष कुलशहर रैंक मिली कुलअंक अंक मिले

2016 73 73वीं 2000 1235

2017 434 27वीं 2000 1545

2018 4203 28वीं 4000 3083

2019 4237 59वीं 5000 1853

2020 330 13वीं 6000 ---

2021 372 15वीं 6000 4523

2022 18वीं 7500 5205

2023 16वीं 9500 7994.7

फैक्ट फाइल

सफाई कर्मचारी

- निगम में स्थाई कर्मचारी 2000

- ठेके के कर्मचारी 900

सफाई पर खर्च

- वेतन पर खर्च लगभग - 40 लाख

- ठेका कर्मचारियों का वेतन - 72 लाख

- स्थाई कर्मचारियों का वेतन - 3 करोड़

- वाहनों का डीजल खर्च प्रतिमाह - 2 हजार लीटर

सफाई में लगे वाहन

वाहन का प्रकार कुल वाहन चालू इतने

- डंपर 18-15

- जेसीबी 20-12

- ट्रैक्टर टॉली 22-20

500 वाहन है कुल निगम के पास।

अधिकारियों का तर्क, सहायक कर्मचारी नही है

निगम अधिकारियों का तर्क है कि गाडिय़ों पर सहायक कर्मचारियों नहीं जाते है। ऐसे में डम्पर चालक बिना तिरवाल के ही वाहनों को लेकर जा रह है। जबकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सभी वाहनों पर सहायक कर्मचारी उपलब्ध कराए जा रहे है।

लालच में वाहनों पर लटका रखे हैं बोरे

प्रत्येक कचरा वाहन पर एक चालक व एक हेल्पर को पदस्थ किया है। लेकिन दोनों ही लालच के चक्कर में इन वाहनों के आसपास प्लास्टिक व लोहे के अलग-अलग बोरे को वाहन पर लटका देते हैं। जिससे जहां से यह वाहन गुजरते हैं, उस सडक़ पर चलने वाले लोग इनसे टकरा कर चोटिल हो जाते हैं, उसके बाद भी जिम्मेदारों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है।

12 से 15 वाहन हर दिन हो रहे खराब

निगम की ओर से 66 वार्डों में कचरा कलेक्शन के लिए अभी 230 से अधिक वाहन क्षेत्र के विभिन्न गली-मोहल्ले में चलाए जा रहे हैं। इन वाहनों में नए वाहन 166 व 56 पुराने वाहन चल रहे हैं। वहीं इन वाहनों में से प्रतिदिन 12 से 15 वाहन खराब होकर कार्यशाला में पहुंच रहे हैं।

Tags

Next Story