गंभीर बीमारी का इलाज ग्वालियर में संभव
ग्वालियर/वेबडेस्क। ग्वालियर का कैंसर हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर पूरे प्रदेश में अपने शोध कार्यों के लिए अपनी अलग पहचान बना रहा है। संस्थान के निदेशक डॉ बीआर श्रीवास्तव की अगुवाई में संस्थान में हुए नए शोध कार्यों एवं आधुनिक तकनीक ने हजारों मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराकर उन्हें नई जिंदगी दी है। डॉ बीआर श्रीवास्तव के शोध कार्यों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी काफी सराहना मिली है। उन्हें ब्रिटिश नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ क्वीन मैरी द्वारा डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि से सम्मानित किया है। इससे पहले उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा कैंसर ब्रेस्ट कैन्सर आंकोलॉजी में उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया जा चुका है।
डॉ बी आर श्रीवास्तव ने ग्वालियर को कैंसर के खिलाफ जंग में एक बड़े केंद्र के रूप में स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई है। जहां पहले मरीज कैंसर के इलाज के दिल्ली और मुंबई जाते थे। वहीं अब अंचल के मरीजों को आधुनिक तकनीक पर आधारित विश्वस्तरीय इलाज ग्वालियर के कैंसर हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर में मिल रहा है। उनके ही प्रयासों का परिणाम है कि आज सिर्फ मप्र से ही नहीं बल्कि देश भर से लोग कैंसर के बेहतर इलाज के लिए ग्वालियर आ रहे है। उनके मार्गदर्शन में कैंसर हॉस्पिटल में कैंसर सर्जरी की आधुनिक एवं लेटेस्ट तकनीक को अपनाया गया है। जिससे मरीजों की जिंदगी बचाना डॉक्टर्स के लिए आसान हो गया है।
25 से ज्यादा शोध पर किया काम -
डॉ. बीआर श्रीवास्तव बताते है कि कैंसर के इलाज में रिसर्च वर्क का काफी योगदान है। रिसर्च से ही कैंसर के प्रकार और उसकी गंभीरता को सही से आंका जा सकता है। साथ ही उसके इलाज की नवीन तकनीकों को इजाद किया जा सकता है। 80 के दशक में जब कैंसर के बारे में ज्यादा जानकारी लोगों को नहीं थी तब उन्होंने कैंसर सर्जरी को अपना मिशन बनाया और सर्जिकल ऑन्कोलॉजी में चेन्नई के कैंसर इंस्टीट्यूट से एमसीएच की उपाधि प्राप्त की। वे जानते थे की कैंसर के खिलाफ जारी लड़ाई को शोध के बिना नहीं जीता जा सकता है। यही कारण है की उन्होंने अपना पूरा फोकस शोध कार्यों पर कर दिया। जिसका परिणाम यह हुआ कि उन्होंने 20 सालों के अनुभव में 25 से ज्यादा शोध कार्यअपने नाम कर लि, जिन्होंने कैंसर के खिलाफ लड़ाई को आसान बनाया है और मरीजों की जिदंगी बचाई है। यही नहीं डॉ. श्रीवास्तव के सटीक मार्गदर्शन में 8 से भी अधिक शोधकर्ताओं ने सफलतापूर्वक अपना शोध पूरा किया है।
आर्टिफिशल इंटेलिजेन्स से इलाज
डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि मेरे एक शोध के अंतर्गत पता चला है कि आर्टिफिशल इंटेलिजेन्स यानी कि कृत्रिम तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता के उपयोग द्वारा ब्रेस्ट कैंसर के रोगी का इलाज सम्भव है। इस तकनीक के द्वारा, एक चिकित्सक ही नहीं बल्कि आम आदमी भी ये जान सकता है कि रोगी के शरीर में बीमारी का फैलाव कितना है और उसका जल्द से जल्द उपचार करवाया जा सकता है। चूँकि ये सभी कुछ आर्टिफिशल इंटेलिजेन्स द्वारा सम्भव होगा तो संभवतः उसमें कई सारे फायदे होंगे। गौरतलब है कि डॉ. श्रीवास्तव के इस शोध कार्य को पूरे देश के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी काफी सराहना मिली है और इस योगदान के लिए उन्हें ब्रिटिश नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ क्वीन मैरी द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है। इसके अलावा उनके कई शोध कार्यों को नेशनल एवं इंटरनेशनल लेवल पर काफी सराहा जा चुका है।
ग्वालियर को कैंसर इलाज का केंद्र बनाना लक्ष्य
डॉ. बीआर श्रीवास्तव ने अपनी भविष्य की योजनाओं की जानकारी देते हुए बताया कि उनका लक्ष्य ग्वालियर को कैंसर इलाज के क्षेत्र में देश का बड़ा केंद्र बनाना उनका लक्ष्य है। डॉ. श्रीवास्तव के करियर में कई मौके आए जब वे विदेश में जाकर अपना करियर बना सकते थे, लेकिन वे कहते हैं कि मैने ग्वालियर को अपनी कर्मभूमि के रूप में इसलिए चुना क्योंकि मेरे शोध कार्य एवं सेवाओं पर पहला हक मेरे देशवासियों का है। मेरी सेवाएं देश के लोगों की बेहतर जिंदगी के लिए समर्पित है।
डॉ श्रीवास्तव का परिचय : -
- वर्ष 1978 में ग्वालियर के गजरा राजा मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस
- वर्ष 1982 में गजरा राजा मेडिकल कॉलेज से जनरल सर्जरी से एम.एस.
- वर्ष 1991 में कैंसर संस्थान, अडयार, चेन्नई से सर्जिकल ऑन्कोलॉजी में डिग्री हासिल की।
सम्मान : -
- वर्ष 2018 में दक्षिण अमेरिका विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ लिटरेचर (डी. लिट।) से सम्मानित किया गया।
- वर्ष 2002 में ब्रिटिश नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ क्वीन मैरी, लंदन यू.के. द्वारा मानद डॉक्टर ऑफ साइंस (डी.एससी.) से शोध कार्यों के लिए सम्मानित।
- वर्ष 2000 में ऑन्कोलॉजी में उत्कृष्ट कार्य के लिए भारत के माननीय प्रधान मंत्री, श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा सम्मानित किया गया।
- वर्ष 2018 में उत्कृष्ट कार्य के लिए मध्य प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा सम्मानित।
फैलोशिप : -
- इंटरनेशनल स्कूल ऑफ कैंसर सर माइकल सोबेल हाउस, ऑक्सफोर्ड, यूके, 1995 में उपशामक देखभाल में तीन महीने का प्रशिक्षण (मैक.मिलन फैलोशिप)।
- 29 अप्रैल से 30 जून 1999 तक मेमोरियल स्लोन कैटरिंग कैंसर सेंटर, न्यूयॉर्क, यूएसए में हेपाटो-बिलियरी सर्विस पर सर्जरी विभाग में आधिकारिक पर्यवेक्षक।