इस बार दो दिन मनेगी जन्माष्टमी
ग्वालियर, न.सं.। जन्माष्टमी का त्यौहार भगवान श्रीकृष्ण के जन्म उत्सव के रूप मेें मनाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण का जन्म (अवतार) भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी बुधवार के दिन रोहणी नक्षत्र में तथा वृष राशि में चंद्रमा के रहते अर्ध रात्रि को हुआ था। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को कृष्णा अष्टमी, गोकुलाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, श्रीकृष्ण जयंती के नाम से भी जाना जाता है। पंचांग गणित के कारण अनेक वर्षों में तिथि, वार, नक्षत्र, दिन तथा राशि का संयोग एक ही वर्ष में नहीं हो पाता हैं। इस कारण विद्वानों ने व्रत, पूजन, जप आदि के लिए अर्धरात्रि में रहने वाली तिथि को अधिक मान्यता दी है। वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ. जी.एम. हिंगे एवं पंडित गौरव उपाध्याय के अनुसार इस बार जन्माष्टमी दो दिन मनाई जाएगी।
डॉ. जी.एम. हिंगे ने बताया कि 11 अगस्त को शिव सम्प्रदाय एवं 12 को वैष्णव सम्प्रदाय के लोग जन्माष्टमी मनाएंगे। डॉ. हिंगे ने बताया कि श्री कृष्ण का जन्म भरणी नक्षत्र में हुआ था। अत: भरणी नक्षत्र 11 अगस्त को है। इसीलिए शास्त्रों के अनुसार 11 अगस्त को ही जन्माष्टमी मनाना शास्त्र संवत होगा। पंडित गौरव उपाध्याय ने बताया कि इस बार अष्टमी तिथि 11 अगस्त को सुबह 9.06 पर प्रारंभ होगी तथा 12 अगस्त को सुबह 11.16 पर समाप्त होगी। रोहिणी नक्षत्र का प्रारंभ 12 अगस्त को सुबह 3.27 पर होगा तथा रोहिणी नक्षत्र का समापन 13 अगस्त को सुबह 5.29 पर होगा। चन्द्रमा 12 अगस्त को सुबह 7.37 पर वृष राशि में प्रवेश करेगा। अत: पिछले कई वर्षों की तरह इस बार भी जन्माष्टमी का पर्व 2 दिन रहेगा। इस बार 12 अगस्त को 12.57 से 13 अगस्त की सुबह 5.49 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा।
जन्माष्टमी पर भक्तों का मंदिर में नहीं होगा प्रवेश
शहर में फैले कोरोना संक्रमण के कारण इस बार जन्माष्टमी के दिन मंदिरों में भक्तों का प्रवेश नहीं रहेगा। भक्त बाहर से ही भगवान के दर्शन कर सकते हैं। जन्माष्टमी पर मंदिरों में आकर्षक विद्युत सजावट एवं फूल बंगला सजाया जाएगा। बहुत ही सूक्ष्म लोगों की उपस्थिति में रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का जन्म होगा। श्री सनातन धर्म मंदिर के अध्यक्ष कैलाश मित्तल ने बताया कि प्रशासन की गाइड-लाइन आने के बाद ही जन्माष्टमी का त्यौहार कैसे मनाना है तय किया जाएगा। श्री राम मंदिर के अध्यक्ष रामनिवास अग्रवाल ने बताया कि प्रशासन की मंशा के अनुसार ही जन्माष्टमी मनाई जाएगी। मंदिर पर सजावट आदि सब कुछ होगी लेकिन भक्तों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा।