वंंदे भारत की बेस किचन जाएगी झांंसी, पेंट्रीकार में नहीं बनेगा भोजन
ग्वालियर। रानीकमलापति से निजामुद्दीन के बीच लचने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस की बेस किचन दो या तीन दिन बाद झांसी में शिफ्ट कर दी जाएगी। अभी तक इस ट्रेन में ग्वालियर की बेस किचन से खाना सप्लाई किया जाता था। लेकिन अब इस ट्रेन में खाना झांसी की बेस किचन से चढ़ाया जाएगा। खजुराहो से निजामुद्दीन के बीच चलने वाली वंदे भारत में झांंसी की बेस किचन से ही खाना चढ़ाया जा रहा है। अब दोनों वंदे भारत का खाना झांसी की बेस किचन से ही चढ़ाया जाएगा। ग्वालियर से वर्तमान में शताब्दी एक्सप्रेस व गतिमान एक्सप्रेस में खाना चढ़ाया जाता है।
वहीं आईआरसीटीसी एक जुलाई से अपने नियमों में बदलाव करने जा रही है। अब ट्रेनों के रसोईयान में नाश्ता और खाना नहीं बनाया जाएगा। इसके चलते वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी और ग्वालियर से गुजरने वालीं 50 ट्रेनों में बेस किचन से खाना पहुंचाया जाएगा। आपको बता दें कि झांसी मंडल के वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी और ग्वालियर स्टेशन से सुबह, दोपहर और रात में ऐसी 50 ट्रेनें आती-जाती हैं। इन ट्रेनों की पेंट्रीकार में भोजन बनाने का काम एक जुलाई से बंद हो जाएगा। इसके बाद झांसी और ग्वालियर स्टेशन की बेस किचन से ट्रेनों में खाना पहुंचाया जाएगा।
ग्वालियर की बेस किचन में थ्री स्टार होटल के शेफ
दिल्ली व भोपाल की ओर जाने वाली वंदे भारत व शताब्दी एक्सप्रेस के यात्रियों को परोसे जाने वाला खाना ग्वालियर में बनकर तैयार होता है। खाना बनाने के लिए ग्वालियर में दो शेफ रखे गए हैं। ये दिल्ली व आगरा के बड़े व थ्री स्टार होटलों में खाना बनाने का काम कर चुके हैं। साथ ही वीआईपी शादी पार्टियों के लिए भी खाना बना चुके हैं। इन दोनों ट्रेनों के लिए खाना अलग-अलग बनता है। हर 1200 लोगों का खाना बेस किचन में तैयार होकर ट्रेन तक पहुंचता है। इन ट्रेनों के यात्रियों को खाने के लिए टिकट बुक करते समय डिनर के लिए 308 रुपये और लंच के लिए 242 रुपये अतिरिक्त देने होते हैं।
थ्री स्टार होटलों में खाना बना चुके शेफ लगाते हैं तडक़ा
1. ट्रेन में टिकट बुक होने के बाद खाना कितने यात्रियों ने आर्डर किया है, यह सूची बेस किचन के मैनेजर के पास पहुंचती है। इसके बाद सुबह पांच बजे से खाना बनाना शुरू किया जाता है। प्रतिदिन मीनू के हिसाब से अलग-अलग प्रकार का खाना तैयार किया जाता है।
2. बेस किचन में 25 लोगों का स्टाफ काम करता है, जिसमें 15 लोगों के पास खाना पकाने की जिम्मेदारी है। वहीं दस लोगों पर खाना पैक करके ट्रेन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी है।
3. किचन के सभी कर्मचारी हाथों में ग्लब्ज पहनने होते हैं और सिर को टोपी से ढंकते हैं, ताकि खाना बनाने व और पैक करने के दौरान भोजन में बाल न झड़ें।
4. खाना पैक करते समय हर कर्मचारी के मुंह पर मास्क होता है।
5. किचन में खाना पैकिंग की टेबल अलग है, यहां भोजन को पैक करने के बाद उसे ट्रे में रखकर स्टेशन रवाना किया जाता है। बेस किचन में 15 घंटे काम होता है।
वंदे भारत व शताब्दी में एक्सप्रेस में यह रहता है लंच व डिनर का मीनू
लंच-जीरा राइस, मैथी पराठा, दाल तडक़ा, पनीर लबादर, बटर चिकन दिया जाता है। एक्जूक्यूटिव क्लास में मिक्स वेज अतिरिक्त दी जाती है।
डिनर-जीरा राइस, अजवाइन पराठा, अरहर दाल तडक़ा, पनीर कोल्हापुरी, चिकन कोल्हापुरी, बटर स्काच आइसक्रीम दी जाती है। एक्जीक्यूटिव क्लास में आलू मैथी मटर की सूखी सब्जी दी जाती है।
(नोट-मीनू में प्रतिदिन एक या दो आइटम बदलते रहते हैं। साथ ही यात्री स्वयं शाकाहारी व मांसाहारी भोजन का चयन कर सकते हैं।)