ग्वालियर में देश भक्ति के जज्बे के साथ निकला "विक्ट्री फ्लैग मार्च
ग्वालियर। स्वाभिमान से ऊंचा मस्तक, अदम्य साहस व शौर्य से भरा सीना और देशभक्ति के जज्बे के साथ जब सेना के जाबांजों ने "स्वर्णिम विजय मशाल" थामी तो सभी रोमांचित हो गए। ग्वालियर नगर के मुरार स्थित सैन्य छावनी में थल सेना के 36 तोपखाना ब्रिगेड के कमाण्डर ब्रिगेडियर नितिन भाटिया ने गुरुवार को झण्डी दिखाकर "विक्ट्री फ्लैग मार्च" को रवाना किया।
भारत द्वारा पाकिस्तान पर फतह के 50वें वर्ष को राष्ट्रीय स्तर पर "स्वर्णिम विजय वर्ष" के रूप में मनाया जा रहा है। इसी उपलक्ष्य में ग्वालियर पहुँची "स्वर्णिम विजय मशाल" को थामकर सेना के जवान छावनी क्षेत्र की विभिन्न यूनिटों में पहुंचे, जहां भारत माता की जयघोष के नारे लगाते हुए विजय मशाल का स्वागत किया गया।
बता दें की विजय दिवस 16 दिसम्बर 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक से 4 स्वर्णिम विजय मशाल प्रज्ज्वलित की थीं। इन विजय मशालों को देश के अलग-अलग कोनों में ले जाया जा रहा है। ये विजय मशालें देश की सभी सैन्य छावनियों एवं उन गांवों व स्थानों से भी गुजर रही हैं, जहां 1971 के युद्ध में परमवीर चक्र और महावीर चक्र से सम्मानित सेना के जाबांजों का निवास स्थान रहा है। साथ ही 1971 के युद्ध स्थलों की मिट्टी भी नई दिल्ली के राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में लाई जायेगी। मुरार छावनी में विक्ट्री फ्लैग मार्च के अवसर पर ब्रिगेडियर नितिन भाटिया सहित कर्नल एस पाण्डेय सेना मैडल, कर्नल अवनीश, कर्नल गौरव मोहन, मेजर शक्ति सेना मैडल, मेजन अनिरूद्ध व कैप्टन श्री करनदीप सिंह सहित थल सेना के अन्य अधिकारी मौजूद थे।
यहां-यहां से गुजरा "विक्ट्री फ्लैग मार्च"
मुरार सैन्य छावनी क्षेत्र के मुख्यालय से "स्वर्णिम विजय मशाल" के साथ शुरू हुआ "विक्ट्री फ्लैग मार्च" छावनी क्षेत्र में स्थित सैन्य यूनिट 42 मीडियम रेजीमेंट (डीबीएन), 318 आरईजीटी व 225 एफडी आरईजीटी पहुँचा। हर यूनिट में कतारबद्ध खड़े सेना के जवानों ने देशभक्ति के जज्बे के साथ भारत माता का जयघोष कर स्वर्णिम विजय मशाल का स्वागत किया। विक्ट्री फ्लैग मार्च 6 नम्बर चौराहा, 7 नम्बर चौराहा, काल्पी रोड़ व गोले के मंदिर होते हुए वापस सैन्य छावनी क्षेत्र में स्थित बाज स्टेडियम पहुंचा, जहां सेना के अधिकारियों व जवानों द्वारा स्वर्णिम विजय मशाल का स्वागत किया गया। पाक पर विजय के उपलक्ष्य में निकाली जा रही "स्वर्णिम विजय मशाल" के माध्यम से युवा पीढ़ी को देश के महान योद्धाओं के बलिदान व साहस से परिचित कराया जा रहा है। जिससे युवा पीढ़ी में राष्ट्र की सम्प्रभुता, रक्षा और मानवीय गरिमा बनाए रखने की भावना पैदा हो।
भारतीय सेना ने 93 हजार पाक सैनिकों को एक साथ आत्म समर्पण के लिए मजबूर किया
वर्ष 1971 में भारतीय सेना ने अदम्य साहस, अनुकरणीय वीरता व शौर्य का परिचय देते हुए पाकिस्तानी सेना को केवल 13 दिनों के भीतर घुटने टेकने के लिये मजबूर कर दिया था। विश्व में किसी भी देश की सेना के ऐसे शौर्य एवं वीरता की कोई मिसाल नहीं है जिसने किसी देश की सेना के लगभग 93 हजार सैनिकों को एक साथ आत्म समर्पण के लिये मजबूर किया हो। ऐसा शौर्य भारतीय सेना ने करके दिखाया और पाक के 93 हजार सैनिकों ने गर्दन झुकाकर अपने हथियार डालने पड़े। इसी युद्ध के परिणाम स्वरूप पाकिस्तान का विभाजन हुआ और पाक से अलग होकर एक नए राष्ट्र बांग्लादेश का निर्माण हुआ। इस निर्णायक युद्ध में भारतीय सेना के तीनों अंग थल सेना, जल सेना व वायु सेना ने मिलकर विजयश्री हासिल की। भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान के भीतर घुसकर कई महत्वपूर्ण स्थानों पर अपना कब्जा जमाया था।