बच्चों को शिक्षित कर जगा रहे शिक्षा की अलख
ग्वालियर, न.सं.। अदृश्य महामारी कोरोना ने जहां लोगों के रोजगार छीन लिए वहीं इसका असर बच्चों की पढ़ाई पर भी पड़ा है। घरों में कैद स्कूली बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित हुई है। लेकिन कुछ सामाजिक संस्थाओं ने बच्चों का घर पर पढ़ाने का बीड़ा उठाया और आज भी वह शिक्षा की अलख जगह रहे हैं। कुछ ऐसा ही कार्य शिक्षक एवं समाजसेवी कर रहे हैं। उन्होंने कोरोना काल में भी बच्चों को पढ़ाकर मुख्य धारा से जोडऩे का प्रयास किया।
बुंदेलखंड के ललितपुर जिले से सहरिया जनजाति के लगभग 18 परिवार विवेकानंद नीडम के नजदीक रेलवे फाटक के पास झुग्गी-झोपड़ी बनाकर पिछले दो माह से रह रहे हैं। इन परिवारों के लगभग 15 बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहे थे। ऐसे में इन बच्चों को पढ़ाने के लिए यहां पर एक शिक्षण केंद्र की शुरुआत की गई। अब इन बच्चों के अलावा शासकीय विज्ञान महाविद्यालय के नजदीक झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले करीब आधा सैकड़ा छात्रों को शिक्षा दी जा रही है। शासकीय माध्यमिक विद्यालय बड़ौरी के प्रधानाध्यापक बृजेश शुक्ला ने इन बच्चों को अपने साथी सत्येंद्र अग्रवाल के साथ मिलकर शिक्षण कार्य प्रारंभ किया।
इन्होंने जब शिक्षा की अलख जगाई तो समाज के कुछ जागरूक नागरिकों ने बच्चों को स्टेशनरी, बैग, गणवेश तथा खाद्यान्न प्रदान करने की इच्छा व्यक्त की। इसी कड़ी में रविवार को शगुन बेस, श्रीमती भावना तथा नीलम गर्ग ने अशोक संत के साथ मिलकर बच्चों का शैक्षणिक सामग्री का वितरण किया। डाइट से सेवानिवृत्त वरिष्ठ व्याख्याता ओपी दीक्षित ने उक्त दोनों केंद्रों की ओर से समाजसेवियों के प्रति आभार व्यक्त किया। इन प्रबुद्धजनों ने तय किया है कि बहुत शीघ्र ही कम्पू तथा थाटीपुर में भी इस तरह के शिक्षण केंद्र प्रारंभ किए जाएंगे। इस अवसर पर सेवानिवृत्त सूबेदार मेजर मनोज पांडे जी, कृषि विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. दीप सिंह, सक्षम के सक्रिय सदस्य अशोक संत तथा केंद्र पर अध्ययनरत बच्चों के अभिभावक भी उपस्थित थे।