स्वर्ण रेखा किनारे बसे लोगों के नलों में आता है सीवर युक्त पानी

स्वर्ण रेखा किनारे बसे लोगों के नलों में आता है सीवर युक्त पानी
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बारिश में हो जाता है हादसे का खतरा

ग्वालियर,न.सं.। शहर के बीचों-बीच होकर गुजरने वाली स्वर्ण रेखा नदी कई दशकों पहले ही नाले का रूप तो धारण कर हुई चुकी है। लेकिन अब लोगों के लिए परेशानी का कारण भी बनी हुई है। नदी में बहने वाला सीवर युक्त पानी अब स्वर्ण रेखा के किनारे रहने वाले लोगों के घरों में लगे नलों के पानी में भी आने लगा है, जिससे लोग कई तरह की बीमारियों का शिकार होते जा रहे। वहीं बारिश के दिनों में जब स्वर्ण रेखा उफान मारती है तो हादसा होने का भी खतरा बढ़ता जा रहा है। पूर्व में इस स्वर्ण रेखा में डूब कर एक बच्चे की मौत भी हो चुकी है। लेकिन इसके बाद भी नगर निगम की आंखें नहीं खुली हैं, और स्वर्णरेखा में आज भी कीचड़ तथा मलवा भरा हुआ है। लगता है नगर निगम प्रशासन को किसी बड़े हादसे के होने का इंतजार है।

आज हालत यह है कि स्वर्ण रेखा के किनारे तारागंज स्थित शनिदेव मंदिर पुल से कमानी पुल तथा भूरे बाबा बस्ती के आसपास तथा नदी किनारे रहने वाले लोगों के घरों में लगे नलों में सीवर युक्त पानी आ रहा है। स्थानीय लोग इसकी शिकायत कई बार नगर निगम तथा पीएचई के अधिकारियों से कर चुके हैं, लेकिन उसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है, हालत यह है कि स्वर्ण रेखा नदी से मलवा निकालने और सफाई करने के लिए लगे नगर निगम के आधा सैकड़ा कर्मचारियों को वहां से हटाकर बैजाताल का कायाकल्प करने में लगा दिया है, जबकि बीते रोज हुई डेढ़ घंटे की बारिश में ही स्वर्णरेखा नदी में बाढ़ सी आ गई थी, अभी तो बारिश का मौसम शुरू हुआ है मूसलाधार बारिश में जब स्वर्ण रेखा का जलस्तर बढ़ता है तो सीवर का पानी लोगों के घरों तक में घुसने लगता है। जनप्रतिनिधि भी स्वर्णरेखा की सफाई को लेकर कई बार प्रयास कर चुके हैं, लेकिन हकीकत में स्वर्ण रेखा की सफाई के प्रति कोई भी गंभीर नजर नहीं आ रहा है, जिसका खामियाजा स्वर्ण रेखा के किनारे बसे लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

मंत्री प्रद्युम्न सिंह ने भी की थी पैरवी

फरवरी माह में मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने अपनी विधानसभा की समीक्षा बैठक में प्रोजेक्ट प्रभारी शिविर श्रीवास्तव से नदी की सफाई के लिए बात कही थी। जिस पर उन्होंने तर्क दिया था कि 60 कर्मचारी चौक सीवर लाइन की सफाई करते है। उस दौरान मंत्री तोमर ने यह तक कह डाला था कि उन कर्मचारियों को बुलाओं। वहीं ग्वालियर दक्षिण के विधायक प्रवीण पाठक ने तो सीवर समस्या पर इंजीनियर के सार्वजनिक रुप से पैर तक छुएं थे। उसके पीछे भी यहीं तर्क था कि जनता सीवर का पानी क्यों पीए।

फरवरी में बहते पानी में गिरा था मासूम

फरवरी माह में हजीरा स्थित स्वर्ण रेखा नाले में गेंद खेलने गया बच्चा नाले में गिर गया और कुछ देर बाद उसकी नाले में ही मौत हो गई थी। लेकिन इस बार भी बारिश से पहले स्वर्ण रेखा न तो साफ हुई, और न ही उसका मलबा बाहर निकाला गया। इससे कभी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।

इनका कहना

तिघरा व बोरिंग का पानी बेहद गंदा आता है। लेकिन मजबूरी में इसी पानी को इस्तेमाल करना पड़ता है। सडक़ पर कचरा पड़ा रहता है, जिसे रोजाना उठाया नहीं जाता। परेशानी सुनने के लिए कभी कोई नहीं आया।

मुकेश कुमार, भूरे बाबा की बस्ती

सडक़ पूरी तरह से खुदी पड़ी हैं, नालियां सफाई न होने के कारण चोक हैं। घर के पीछे गंदगी का ढेर लगा है, जिसके कारण मकान में सीलन आ रही है। मच्छरों से परेशान हैं, कभी फॉगिंग नहीं होती। पानी भी गंदा आता है।

विकास यादव, भूरे बाबा की बस्ती

तिघरा का पानी पीने लायक नहीं आता। सीवर चौक पड़े हैं, क्योंकि उनका ठीक से मिलान नहीं किया गया है। गंदगी के ढेर वार्ड में जगह-जगह लगे रहते हैं।

क्षेत्राधिकारी किसी की सुनता नहीं है। स्वर्ण रेखा नदी किनारे गंदा पानी सप्लाई होने की शिकायत सही है। वार्ड में सफाईकर्मियों की कमी है, इसलिए सफाई नहीं हो पाती। ढोलीबुआ पुल से भूरे बाबा की बस्ती तक सीवर लाइन चौक है।

धर्मेन्द्र सिंह कुशवाह, भाजपा पूर्व पार्षद, वार्ड 40

स्वर्ण रेखा नदी को लेकर कार्य योजना तैयार की गई है। इसके लिए ग्वालियर में शीघ्र ही अधिकारियों के साथ बैठक कर आवश्यक निर्णय लिए जाएंगे।

प्रद्युम्न सिंह तोमर, ऊर्जा मंत्री

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