इमरती देवी के 'शंका समाधान' के बहाने पण्डोखर सरकार के निशाने पर कौन?
- भितरघात की वजह जानने पार्टी फोरम की बजाय धर्म मंच की शरण में जाने से उठ रहे सवाल
- चंद्रवेश पाण्डेय
ग्वालियर। राजनेताओं का धर्मगुरुओं के पास जाकर उनसे आशीर्वाद लेना कोई नई बात नहीं है लेकिन जब नेता अपनी चुनावी जयपराजय के कारणों की तह तक जाने के लिए जनता के बीच जाने के बजाए धर्मगुरुओं के पास ढोक लगाकर गुहार लगाएं और धर्मपीठ पर विराजे महंत भी इशारों-इशारों में चुनाव में कथित तौर पर भितरघात करने वाले नेताओं का खुलासा कर दें तो धर्म से लेकर राजनीति तक की वीथिकाओं में गर्माहट आना लाजिमी है। दलबदल करने के बाद उपचुनाव हारीं इमरतीदेवी सुमन और पण्डोखर सरकार के महंत के बीच सार्वजनिक रूप से हुआ राजनीतिक संवाद कुछ ऐसा ही प्रसंग बन गया है। सवाल पूछे जा रहे हैं कि या डबरा की पराजित विधायक और प्रदेश सरकार में निगम अध्यक्ष के नाते कैबिनेट मंत्री का दर्जा हासिल वरिष्ठ नेत्री को या अपनी पार्टी में कथित चुनावी भितरघात से जुड़ी शंका- कुशंका के समाधान के लिए एक महंत से इस तरह का सार्वजनिक संवाद करना चाहिए और या महंतजी को भी इस राजनीतिक दलदल में खुद को शरीक करना चाहिए ? डबरा में इमरतीदेवी जिन भी कारणों से उपचुनाव हारी हों लेकिन यह सच है कि ग्वालियर जिले की इस सीट से मिले तत्कालीन जनादेश की टीस अभी तक उनके दिल में है। वे अपनी हार को पचा नहीं पा रहीं। अमूमन, चुनावों में नकारात्मक नतीजों की पृष्ठभूमि में जनता की नाराजगी ही खास वजह होती है।
लेकिन इसे पार्टी में अपनों द्वारा ही की जाने वाली भितरघात और षड्यंत्रों से जोड़ दिया जाता है। हालांकि बहुधा मामलों में इसमें सच्चाई भी होती है लेकिन यह पूरा सच कभी नहीं होता है। खुद पूर्व मंत्री इमरतीदेवी के नजदीकी यह कहने में संकोच नहीं कर रहे हैं कि उनकी नेता को अतीत के चुनावी कुप्रसंगों की वेदना से उबरकर 23 की चुनौती से मुकाबिल होने के लिए खुद को तैयार करना चाहिए। ऐसे भाजपा कार्यकर्ता यह भी मानते हैं कि पिछली हार के कारणों के जिमेदार लोगों की तहकीकात करने का समय अब गुजर चुका है, फिलहाल तो साल भर बाद होने विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटने का समय है। सिर्फ, भाजपा ही नहीं बल्कि प्रत्येक पार्टी में चुनावी अनुशासन बनाए रखने और भितरघात पर अंकुश लगाने के लिए संगठन द्वारा कई स्तरों पर व्यवस्था की जाती है। यह व्यवस्था चुनाव के समय और चुनाव के बाद भी अस्तित्व में रहती है। ऐसा प्रतीत नहीं होता कि नवबर 2020 में हुए उपचुनाव में पराजय के बाद इमरतीदेवी ने किसी नेता के खिलाफ पार्टी मंच पर लिखित शिकायत दर्ज कराई हो। अभी भी वे पार्टी की अंदरूनी कार्यप्रणाली से जुड़ी अपनी पीड़ा को एक धार्मिक संत के बजाए अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के समक्ष व्यक्त करतीं तो उनके हक में त्वरित परिणाम आने की गुंजाइश रहती लेकिन इमरतीदेवी ने पार्टी के निकाय के समक्ष जाने की बजाए पर्ची पर जवाब लिखकर देने वाले महंत के पास जाना ज्यादा उचित समझा। तस्वीर का एक पहलू इस दिशा में भी संकेत कर रहा है कि इमरतीदेवी के सवाल का स्थानीय राजनीति में सनसनी पैदा करने जैसा जवाब देकर पण्डोखर सरकार के महंत ने अपने व्यक्तिगत मतभेद, मनभेद और खुन्नसें निकालीं हैं। पण्डोखर सरकार के महंत गुरुशरण महाराज व बागेश्वर सरकार के महंत धीरेन्द्र शास्त्री के मतभेद किसी से छिपे नहीं हैं। इन दोनों के दरयान परस्पर विपरीत टीका टिप्पणियां कोई नई बात नहीं है। पण्डोखर के महंत इस बात से क्षुध बताए गए हैं कि बुंदेलखंड की राजनीति पर गहरा असर रखने वाले गृह मंत्री डॉ. नरोाम मिश्रा बागेश्वर सरकार के धीरेंद्र शास्त्री के कुछ ज्यादा निकट है।
बागेश्वर पीठाधीश्वर की दतिया में कथा और डबरा यात्रा से जोड़ा जा रहा..
गौरतलब है कि डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने इसी अगस्त महीने में बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर की अपने निर्वाचन क्षेत्र दतिया में कथा कराई थी, इसके बाद बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री डबरा के नवग्रह मंदिर भी पहुंचे थे जहां नरोाम मिश्रा अपने पूरे परिवार के साथ बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर की अगवानी के लिए मौजूद थे। डबरा में मिश्रा परिवार द्वारा विशाल पीठ का निर्माण किया जा रहा है जो कोणार्क के सूर्य मंदिर की तर्ज पर बना है। यह एशिया का सबसे बड़ा नवग्रह मंदिर होगा। बागेश्वर सरकार इसी अनूठे मंदिर को देखने आए थे। इस अवसर पर श्रीमन मिश्र, डॉ. आनंद मिश्र, मुकेश बँटी गौतम, विवेक मिश्र, सुकर्ण मिश्र मौजूद थे। धर्मक्षेत्र के विश्लेषक मानते हैं कि बागेश्वर पीठाधीश्वर से पहले से मतभेद रखने वाले पण्डोखर महंत को यह सब सुहाया नहीं। हालांकि बुंदेलखंड के दो बड़े महंतों के बीच छिड़ी जंग को शांत करने के लिए नरोाम मिश्रा ने अग्निशमन की भूमिका निभाते हुए दतिया में कथा के दौरान बागेश्वर व पण्डोखर के महंतों को एक मंच पर लाकर उनका एका करा दिया था लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि बागेश्वर पीठाधीश्वर को खुलेआम बच्चा कहने वाले पण्डोखर सरकार के महंत की धारणा पूर्ववत बनी हुई है और उनके निशाने पर बागेश्वर महंत और नरोाम मिश्रा दोनों हैं। इमरतीदेवी से उनके कल के संवाद को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।