कचरे का रिसाइकल, रीयूज व रिड्यूस होने पर ही रैंकिंग में आ सकेंगे टॉप पर

कचरे का रिसाइकल, रीयूज व रिड्यूस होने पर ही रैंकिंग में आ सकेंगे टॉप पर
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2023 का परिणाम अभी तक नहीं आया, पहली बार स्कूलों में जाएगी टीम

ग्वालियर,न.सं.। स्वच्छता सर्वेक्षण-2023 का परिणाम अब तक नहीं आया है, लेकिन केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय ने स्वच्छता सर्वेक्षण-2024 शुरू कर दिया है। इस बार सर्वेक्षण तीन राउंड में होगा। 9500 अंकों के स्वच्छता सर्वेक्षण की थीम इस बार भी कचरे से समृद्धि ही रहेगी। इसमें 4500 की जगह 4800 शहर शामिल होंगे।

स्वच्छता सर्वेक्षण-2024 इस बार भी कचरे से समृद्धि थीम, तीन चरण होंगे

वेस्ट टू वंडर पार्क भी सर्वेक्षण का मुख्य बिंदु रहेगा। इसमें सर्विस लेवल प्रोग्रेस के 60 प्रतिशत, सर्टिफिकेशन के 26 प्रतिशत व जन आंदोलन के 14 प्रतिशत अंक निर्धारित हैं। ऐसे में थ्री आर यानी रिसाइकल, रीयूज व रिड्यूस के सिद्धांत पर काम कर कचरे से शहर की समृद्धि पर फोकस करेंगे तो ही ग्वालियर के स्वच्छता सर्वेक्षण रैंक में टॉप में आने की उम्मीद बंधेगी।

वहीं स्वच्छ सर्वेक्षण-2024 अभियान शहर में गति नहीं पकड़ पाया है। पहला मौका होगा जब सर्वेक्षण के लिए टीम स्कूलों में भी जाएगी। हैरानी की बात यह है कि अब तक हैरिटेज और निगम के अधिकारियों ने स्कूलों को जानकारी भी नहीं दी है। जबकि, 75 अंक स्कूलों में साफ टॉयलेट और वहां कचरा निस्तारण के तय किए गए हैं। इसके अलावा अन्य निर्देशों की भी अधिकारी पालना नहीं कर रहे हैं। जनवरी में आने वाली टीम को निरीक्षण के दौरान सार्वजनिक स्थलों पर तम्बाकू के दाग दिखे तो उसके भी नम्बर कटेंगे। सर्वेक्षण में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए सिटीजन फीडबैक को भी जन आंदोलन बनाना होगा।

ये बड़ी चुनौतियां

-नगर निगम के कचरा स्टेशनों पर टनों कचरा पहुंचाता है। लेकिन यहां पर लगे कचरे के ढेर का सेग्रीकेशन नहीं हो रहा है।

-निगम के अंदर 66 वार्ड आते है, लेकिन सभी 66 वार्डो में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन नहीं हो पा रहा है।

-सेग्रीगेशन का भी कोई ठोस प्लान नहीं बना।

तीन हिस्सों में बांटा पूरा सर्वेक्षण

1-सर्विस लेवल प्रोग्रेस (5705 अंक)-इसमें कचरा संग्रहण से लेकर निस्तारण, आवासीय कॉलोनियों से लेकर बाजारों की साफ-सफाई और वॉटर बॉडी की सफाई देखी जाएगी।

2-सर्टिफिकेशन (2500 अंक)-इनमें सामुदायिक शौचालयों से लेकर टॉयलेट व अन्य कागजी प्रक्रिया को पूरा किया जाता है।

3-जन आंदोलन (1295 अंक)-इनमें जन भागीदारी को बढ़ावा दिया जाता है और शिकायतों का निस्तारण भी ऐप के जरिए करना होता है।

यहां नम्बर कटने का डर

-प्रतिबंधित प्लास्टिक का उपयोग नियमित रूप से हो रहा है। इसकी वजह से सर्वेक्षण के दौरान अंकों में कटौती तय है। सर्वेक्षण में 150 अंक निर्धारित किए गए हैं।

-विवाह स्थल, शिक्षण संस्थान, व्यावसायिक कार्यालय से लेकर होटल, रेस्टोरेंट और होटल को खुद कचरे से खाद बनाने की मशीन लगानी होगी। इसके 100 अंक तय किए हैं। लेकिन, शहर में इस नियम की पालना 20 फीसदी ही हो रही है।

जन आंदोलन बना दिखानी होगी ताकत

शहरवासियों को अभियान से जोडऩा होगा। सर्वेक्षण में इसे जन आंदोलन नाम दिया गया है। इसमें 600 अंकों का सिटीजन फीडबैक होगा। साथ ही स्वच्छता चैम्पियन और लोकल ब्रांड एम्बेसडर बनाए जाएंगे। ये शहरवासियों को सर्वेक्षण के बारे में जानकारी देंगे।

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