परिषद में दिखाई देगा महिला सशक्तिकरण, पुरुष पार्षदों के बराबर होगी महिला पार्षदों की संख्या

परिषद में दिखाई देगा महिला सशक्तिकरण, पुरुष पार्षदों के बराबर होगी महिला पार्षदों की संख्या
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कांग्रेस की 14 और भाजपा की 19 महिला पार्षद पहुंचेगी परिषद में

ग्वालियर,न.सं.। कहते हैं कि 21वीं सदी में महिलाएं भी पुरुषों के बराबर कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही है। इसका जीता जागता उदाहरण बीते रोज घोषित हुए नगरी निकाय चुनाव के परिणाम में देखने को मिला है। नगर निगम के चुनाव में पुरुष पार्षदों के बराबर ही महिलाओं ने बाजी मारी है। इस बार परिषद का नजारा अभी कुछ बदला-बदला सा नजर आएगा। चुनाव परिणाम आने के बाद अब नगर सरकार में जहां महापौर और मंत्रिमंडल कांग्रेस का होगा वहीं दूसरी ओर परिषद में बहुमत भाजपा कर रहेगा। इस बार के चुनाव में जीत कर आने वाले पार्षदों में युवाओं की संख्या भी अच्छी खासी है ।वहीं दूसरी ओर पार्षद का चुनाव जीत कर आने वाले प्रत्याशियों में पुरुषों के बराबर ही महिला पार्षदों की संख्या है ।परिषद में इस बार कांग्रेस की 14 और भाजपा की 19 महिला पार्षद परिषद में उपस्थिति दर्ज कराएंगे।

पत्नी का नामाकंन निरस्त हुआ था तो भतीजी को लड़ाया

वार्ड 27 पिछड़ा वर्ग महिला होने की वजह से धर्मेन्द्र राणा ने अपनी पत्नी को भाजपा पार्षद की ओर से मैदान में उतारा था, लेकिन नामंकन में गड़बड़ी होने के चलते निर्वाचन आयोग ने उनका नामाकंन निरस्त कर दिया। ऐसे में धर्मेन्द्र राणा ने अपनी भतीजी यामिनी राणा को मैदान में उतारा, लेकिन 12 वोटों से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। कुल मिलाकर जनता ने इस बार परिवार वाद को पूरी तरह से नकार दिया। ऐसा ही वार्ड एक में देखने को मिला। दिग्गज पार्षद जगत सिंह कौरव जो एमआईसी में रहे हैं। उनका वार्ड महिला आरक्षित होने पर उन्होंने अपनी भाभी अनीता कौरव के लिए भाजपा से टिकट मांगा था, लेकिन 944 मतों से उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा।

भाजपा की 19 महिला पार्षद दिखेंगी परिषद में

भाजपा की 19 महिला पार्षद इस बार परिषद में दिखाई देंगी। वहीं कांग्रेस की 14 कांग्रेस पार्षद भी परिषद में बैठेंगी। पुरुषों की बात करें तो भाजपा से 15 व कांग्रेस से 11 पार्षद बैठेंगे।

राष्ट्रीय अध्यक्ष की बहन भी हारी

वार्ड 28 से भाजपा की पार्षद प्रत्याशी व भाजपा अनुसूचित जाति (एससी) मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य की बहन रेखा पुरुषोत्तम टमोटिया भी हार गई। उन्हें इस वार्ड से मात्र 1879 मत मिले। जिसके चलते उन्हें हार का सामना करना पड़ा। जबकि महापौर प्रत्याशी सुमन शर्मा को 1842 मत मिले थे। कांग्रेस प्रत्याशी गायत्री सुधीर मंडेलिया इस वार्ड विजयी रही। दूसरे स्थान पर बसपा प्रत्याशी गंगा देवी रही।

किसको कितनी मौलिक निधि

निगम ने महापौर, सभापति और पार्षदों की सालाना मौलिक निधि राशि तय कर रखी है। महापौर को 5 करोड़ रुपए, सभापति को दो करोड़ और हर पार्षद को 45 लाख रुपए की मौलिक निधि की राशि दी जाती है। ये राशि पांच साल तक लगातार मिलती है। शासन द्वारा निगम परिषद में छह एल्डरमैन (पार्षद) भी भेजे जाते हैं। इन्हें भी उक्त राशि देने का प्रावधान है। ये लोग 66 वार्डों में महापौर, सभापति की भाति कहीं भी राशि को विकास कार्यों में खर्च कर सकते हैं।

ये काम कर सकते हैं मौलिक निधि से

-वार्डों की कॉलोनी और मोहल्लों में सडक़ों का निर्माण।

-वार्डों में पार्कों के काम।

-स्ट्रीट लाइट के काम।

-नाले-नालियों का निर्माण

-शासकीय विद्यालय में विकास कार्य।

-बिजली के खंभे और पोल शिफ्टिंग का काम।

-वार्डों में बोरिंग, हैंडपंप और हार्वेस्टिंग कार्य के अलावा पानी के टैंकर लगाने के काम।

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