इस बार बहनें मायके में नहीं मना सकेंगी रक्षाबंधन
ग्वालियर, न.सं.। भाई-बहन के प्यार का पर्व रक्षाबंधन पर कोरोना का ग्रहण लगता नजर आ रहा है। इस साल अधिकांश भाइयों की कलाई सूनी रहने के आसर हैं। साथ ही बहनें मायके में रक्षाबंधन नहीं मना सकेंगी। दअरसल 3 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व है। वहीं रेलवे की ओर से 12 अगस्त के लिए ट्रेनों को निरस्त कर दिया है। बसें भी नहीं चल रही हैं। इसके चलते अब भाई-बहनों को चिंता सता रही है कि यातायात के साधनों के अभाव में बहन-भाई के घर तो भाई बहन के घर कैसे जा सकेंगे।
उल्लेखनीय है कि रक्षाबंधन के पर्व पर ट्रेनों ब बसों में राजधानी सहित प्रदेशभर में लाखों की संख्या में भाई-बहन यात्रा करते हंै। ट्रेनों बसें में हालात यह होती थी कि यात्रियों की सीट तक नहीं मिलती। कई लोगों को सैकड़ों किमी तक खड़े-खड़े यात्रा करने को मजबूर होना पड़ता था। ट्रेनों में यात्रियों की भीड़-भाड़ को देखकर रेलवे को विभिन्न रूटों पर सैकड़ों की संख्या में स्पेशल ट्रेनें चलानी पड़ती थी। वहीं बसों में भी यात्रियों की सीट नहीं मिलती, जिससे खड़े-खड़े यात्रा करने को मजदूर होना पड़ता था। जानकारी के अनुसार इस साल तीन अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व है। रेलवे की ओर से सभी नियमित ट्रेनों को 12 अगस्त तक सभी नियमित ट्रेनों को रद्द कर दिया है। जबकि रक्षाबंधन के पर्व के दौरान ग्वालियर सहित मंडल से हर साल 50 हजार से डेढ़ लाख तक यात्रियों की संख्या बढ़ जाती है।
140 ट्रेनें गुजरती थीं ग्वालियर से
लॉकडाउन से पहले ग्वालियर से 140 ट्रेनें गुजरती थीं। इस समय मात्र 14 ट्रेनें ग्वालियर स्टेशन से गुजर रही हंै। इतना ही नहीं भीड़ को देखते हुए रेलवे स्पेशल ट्रेने भी चलाता था। रक्षाबंधन के पर्व के दौरान करीब 150 से अधिक ट्रेनें ठहराव लेकर विभिन्न शहरों के लिए के लिए गुजरती थी। इन ट्रेनों में इस त्यौहार के दौरान 100 से लेकर 400 तक की वेटिंग लिस्ट देखने को मिलती थी। लेकिन इस बार रेलवे ने सभी नियमित ट्रेनों को 12 अगस्त तक के लिए रद्द कर दिया है।
रेलवे बोर्ड के पाले में गेंद
12 अगस्त तक रेलवे बोर्ड ने सभी नियमित ट्रेनों को रद्द कर दिया है। रक्षाबंधन पर्व को देखते हुए रेलवे बोर्ड स्पेशल ट्रेनों का संचालन कर सकता है। इसके लिए जोनल स्तर पर चर्चा भी की जा रही है।