ग्वालियर : "गुरु बिन कैसे गुण कहावे , गुरु ना माने तो गुण नहीं आवे गुरु बिन कैसे गुणी कहावे : पद्म भूषण उमा शर्मा
ग्वालियर। राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय के कथक विभाग के द्वारा फेसबुक लाइब के माध्यम से व्याख्यान एवं कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस व्याख्यान कार्यक्रम में कथक नृत्यांगना पद्मभूषण डॉ. उमा शर्मा ने व्याख्यान दिया। उन्होंने अपने इस व्याख्यान में बताया कि कथक एक नटवरी नृत्य है और इसे हम गुरु शिष्य परंपरा में रहकर ही सही ढंग से प्राप्त कर सकते हैं , उसी के साथ श्री कृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया और रस ,हाव -भाव के बारे में बताएं और कथक नृत्य में बैठकी भाव का क्या महत्व है यह भी गा कर और कथक नृत्य के माध्यम से बताया और घुंघट के कई सारे प्रकार , भाव प्रदर्शन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां दी।
इसके साथ ही उन्होंने छात्र-छात्राओं को बताया कि कथक नृत्य को कई लोग बहुत सालों से कर रहे हैं लेकिन उसे एकत्रित होकर अपने अंदर पूरा समा कर उसे रोजाना अभ्यास करने से वह हमें प्राप्त होता है ,आज के समय के विद्यार्थी ना वह सही ढंग से अध्ययन करते हैं ना उन में लगन होती है ना वे अपना एकत्रित होकर रियाज करते हैं अगर आप अपने लक्ष्य से विचलित हो गए तो यह आप बिल्कुल प्राप्त नहीं कर सकते। उन्होंने आगे कहा की नृत्य को सिखने के लिए इसे अपने अंदर समाना पड़ता है। गुरु बिना इसे सीखना बेहद मुश्किल है। इसलिए गुरु का हमें हमेशा एक सहारा चाहिए। उन्होंने गुरु की महिमा बताते हुए एक भजन गाया जिसके बोल "गुरु बिन कैसे गुण कहावे , गुरु ना माने तो गुण नहीं आवे गुरु बिन कैसे गुणी कहावे ।। " गुड़ी बनना बहुत मुश्किल है, गुरु की इज्जत करना ,गुरु की आज्ञा का पालन करना, बहुत जरूरी है, ।
उन्होंने व्याख्यान के दौरान छात्रों द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्नों के जवाब भी दिए। व्याख्यान के अंत में उन्होंने छात्र-छात्राओं को सीख देते हुए कहा की कथक नृत्य के अध्ययन के विषय में बताया। कथक गुरु उमा ने कहा की आप सभी आप सभी अपनी संस्कृति की शालीनता में रहकर मेहनत करें, इस नृत्य कला को पर्याप्त समय दे। इस अवसर पर उन्होंने राजमानसिंह तोमर विश्विद्यालय के कथक नृत्य विभाग द्वारा किये जा रहे ऑनलाइन व्याख्यान कार्यक्रमों की प्रशंसा भी की।
व्यख्यान कार्यक्रम के आरम्भ में थक नृत्य विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ अंजना ने पद्मभूषण डॉ. उमा शर्मा का परिचय कराया। कार्यक्रम के अंत में डॉ अंजना झा ने डॉ. उमा शर्मा एवं कुलपति पंकज राग का आभार व्यक्त किया।