मप्र में डॉक्टर्स को मिली बड़ी सफलता ,पहली बार लिवर के रास्ते महिला के दिल में डाला पेसमेकर

Indore Hospital
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महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय में अपनी तरह का पहला ट्रांस हेपेटिक परक्यूटेनियस परमानेंट पेसमेकर इंप्लाट किया गया

दिल्ली के सरकारी अस्पताल से लिया मार्ग दर्शन

इंदौर। मध्यप्रदेश में महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय में अपनी तरह का पहला ट्रांस हेपेटिक परक्यूटेनियस परमानेंट पेसमेकर इंप्लाट किया गया है। सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल के डाॅक्टरों ने पूर्ण हृदय ब्लाकेज से पीड़ित 66 वर्षीय मरीज को नया जीवन देने के लिए लिवर के रास्ते से हृदय में पेसमेकर डाला है। डाॅक्टरों का दावा है कि यह मध्यप्रदेश की पहली और देश की तीसरी सर्जरी है, जिसमें मरीज को इस तरह से पेसमेकर लगाया गया है।


नोडल अधिकारी डॉ. एडी भटनागर के अनुसार महिला की हृदय की गति 25-30 तक हो गई थी। इसके लिए महिला को पहले अहमदाबाद के निजी अस्पताल में इलाज के लिए लेकर गए थे। वहां गर्दन के रास्ते से महिला को पेसमेकर लगाया गया था, लेकिन दो हफ्ते बाद ही संक्रमण फैल गया था। इससे उसे निकालना पड़ा था। इसके बाद बाएं तरफ फिर से पेसमेकर लगाया गया, लेकिन फिर संक्रमण के कारण एक माह बाद इसे भी निकालना पड़ा। उन्होंने बताया कि दो जगह पेसमेकर पर संक्रमण होने पर दूसरी जगह बाकी नहीं रह पाती है। इसके बाद विकल्प तलाशा कि आजकल लीड लैस पेसमेकर आता है। मरीज को वह लगाया जा सकता है। लीड लेस पेसमेकर एक ही कंपनी बनाती है और उसकी कीमत 10 लाख रुपए होती है। प्रयास किया कि महिला को आर्थिक मदद मिल सके, क्योंकि आयुष्मान से भी पांच लाख से अधिक पैसा नहीं मिल सकता है लेकिन सहयोग नहीं मिल पाया।

दिल्ली के सरकारी अस्पताल से लिया मार्ग दर्शन

डॉ. एडी भटनागर ने बताया कि अन्य विकल्प को तलाशा तो पता किया कि दिल्ली के एक शासकीय अस्पताल में एक मरीज की गर्दन की दोनों नसें बंद थी तब लिवर के रास्ते पेसमेकर डाला था। वहां के डाॅक्टरों से संपर्क किया। तकनीक सीखी और इंटरवेंशनल कार्डियोलाॅजिस्ट, रेडियोलाॅजिस्ट और कार्डियोथोरेसिक सर्जनों सहित टीम के सहयोग से सफलतापूर्वक सर्जरी की। सर्जरी में अंतरराष्ट्रीय रेडियोलाॅजिस्ट डाॅ. अभिषेक कोटवाल, डाॅ. प्रमेंद्र विजयन, डाॅ. अभिषेक राठौड़, डाॅ. लोकेंद्र रेकवाल, डाॅ. प्रदीप कुल्मी आदि मौजूद रहे। अधीक्षक डाॅ. सुमित शुक्ला कहा कि अस्पताल में की गई यह दुर्लभ सर्जरी में से एक थी। अंतरराष्ट्रीय हृदय रोग विशेषज्ञों, रेडियोलाॅजिस्ट और सर्जनों की हमारी टीम ने इसे संभव बनाया। मरीज को सफलतापूर्वक अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।

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