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घर में घुसकर जबरदस्ती ईसाई धर्म की बाइबिल पढ़ी: कन्वर्जन कराने के चार आरोपियों की अग्रिम जमानत हाईकोर्ट ने की खारिज
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इंदौर (अरविंद मिश्रा)। लड़के की बीमारी ठीक करने के बहाने घर में घुसकर ईसाई धर्म की बाइबिल पढ़ने व पूरे परिवार को ईसाई धर्म में कन्वर्जन कराने का प्रयास करने के चार आरोपियों की अग्रिम जमानत हाईकोर्ट इंदौर ने खारिज कर दी।
क्या है मामला
दरअसल 24 सितंबर 2024 को आरोपीगण बिनु मैथ्यु सी, अरविंद, पीयूष व दशरिया फरियादी जगदीश पटेल के घर में घुस गए और फरियादी व उसकी पत्नी से कहने लगे कि हमें पता चला है कि तुम्हारा लड़का बीमार है, जिसे हम लोग प्रार्थना कर उसे ठीक कर देंगे, हम प्रार्थना करेंगे तुमको सिर्फ हाँ बोलना है, ईसाई धर्म का पालन करना पड़ेगा, उसके बाद तुम्हारा सब अच्छा होगा तो फरियादी ने कहा कि मैं ऐसा नहीं कर पाऊंगा, फिर भी उक्त ईसाई पास्टर में जबर्दस्ती फरियादी के घर में प्रार्थना पढ़ी तथा फरियादी व उसके परिवार को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने का प्रयास किया और कहा कि तुम्हारा धर्म ईसाई हो गया है, अब तुम सुखी रहोगे, तुम्हारा लड़का भी ठीक हो जाएगा।
धर्मांतरण के लिए पढ़ी बाइबिल
आरोपीगण ने फरियादी व उसकी पत्नी की मर्जी के विरूद्ध हिन्दू धर्म से ईसाई धर्म में धर्मांतरण कराने हेतु उसके घर में बाइबिल पढ़ी। फरियादी ने पूरी घटना की रिपोर्ट थाना बलकवाड़ा जिला खरगोन में पुलिस को दर्ज कराई। पुलिस ने चारो आरोपीगण बिनु मैथ्यु सी, अरविंद पिता सुराभाई, पीयूष पिता रामसिंह तथा दशरिया पिता नीमजी के विरूद्ध 3/5 म.प्र. धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम में एफआईआर दर्ज की, तभी से चारों आरोपीगण फरार है।
जिला कोर्ट से खारिज हुई अग्रिम जमानत
चारों आरोपीगण ने अग्रिम जमानत का आवेदन जिला कोर्ट मंडलेश्वर िमें पेश किया व खुद को निर्दोष बताते हुए षड्यंत्रपूर्वक राजनैतिक दबाव में केस दर्ज किए जाने की बात कही। आरोपीगण की जमानत का लोक अभियोजक ने विरोध किया। द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश दीपक चौधरी ने चारों आरोपियों की अग्रिम जमानत के आवेदन पर सुनवाई के बाद कहा कि आरोपीगणों के विरूद्ध दुर्व्यपदेशन कर जबर्दस्ती धर्म परिवर्तित कराए जाने के गंभीर प्रकृति के अपराध का आरोप है। अपराध की गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए कोर्ट ने चारों आरोपियों की अग्रिम जमानत का आवेदन खारिज कर दिया।
हाईकोर्ट ने भी अग्रिम जमानत याचिका खारिज की
आरोपीगण बिनु मैथ्यू सी, अरविंद, पीयूष व दशरिया ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत का आवेदन प्रस्तुत कर खुद को निर्दोष बताते हुए जमानत चाही। आरोपीगण की अग्रिम जमानत का शासकीय अधिवक्ता कमल कुमार तिवारी ने पुरजोर विरोध किया व आरोपीगण के कृत्य को देश के विरूद्ध होना बताया व कहा कि आरोपीगण ने फरियादी को धर्म परिवर्तन के लिए आंतकित किया। न्यायमूर्ति बिनोद कुमार द्विवेदी की बेंच ने उभयपक्षों के तर्क सुनने के पश्चात आरोपीगण को अग्रिम जमानत के योग्य ना पाते हुए अग्रिम जमानत की याचिका खारिज कर दी।