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इंदौर की गेर और ग्वालियर का संगीत यूनेस्को सूची में होंगे शामिल, पर्यटन विभाग ने दिया आवेदन
इंदौर। संगीत के क्षेत्र में ग्वालियर तो इंदौर की रंगपंचमी(गैर) को विश्व पटल पर जल्द ही नई पहचान मिल सकती है। यह पहचान यूनेस्को की क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क की संगीत श्रेणी में ग्वालियर तो इंदौर को उत्सव की श्रेणी में शामिल किया जा सकता है। इसके लिए मध्य प्रदेश प्रर्यटन विभाग ने यूनेस्को को प्रस्ताव भेजा है। जिसे स्वीकृति मिल सकती है। यदि सबकुछ ठीकठाक रहा तो इस साल यूनेस्को इसकी घोषणा कर सकता है।
यूनेस्को द्वारा यदि जगह दी गई तो संगीत की श्रेणी में चैन्नई और वाराणसी के बाद ग्वालियर देश का तीसरा और प्रदेश का पहला शहर होगा। वहीं उत्सवों की श्रेणी में इंदौर पहला शहर होगा, जिसे विश्व पटल पर पहचान मिलेगी। पर्यटन बोर्ड के प्रबंधक संचालक एवं प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला ने बताया कि मध्य प्रदेश की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व धार्मिक सभ्यता को पहचान दिलाने के लिए सूची बनाई गई। जिसमें शहरों की ऐतिहासिक महत्व के हिसाब से उन्हें यूनेस्को की श्रेणी में शामिल करने के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है। जिसमें ग्वालियर और इंदौर का नाम शामिल है। सरकार ने भोपाल की संस्कृति, चंदेरी की टेक्सटाइल को भी शामिल करने का प्रस्ताव भेजा है। इंदौर की समृद्धशाली परंपरा रंगपंचमी को विश्व धरोहर के रूप में पहचान दिलाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर भी काम किया जा रहा है। होली के पांच दिन बाद मनाए जाने वाले त्यौहार रंगपंचमी पर गेर निकलती है। गेर एक तरह का जुलूस है जिसमें लोग एक दूसरे पर रंग-गुलाल लगाते हैं। वहीं ग्वालियर संगीत की परंपरा सदियों पुरानी है। यहां धु्रपद संगीत परंपरा का आविष्कार हुआ। ख्याल गायन की परंपरा को देश-विदेश तक पहुंचाया। सिंधिया राजवंश के समय गुरु-शिष्य परंपरा की शुरुआत हुई जो निरंतर आगे बढ़ रही है। हस्सू खां, हद्दू खां के दादा उस्ताद नत्थन पीरबख्श ने ध्रुपद गायन को बढ़ाया। इसी परंपरा में तानसेन, बैजू बाबरा सहित कई संगीतज्ञ हैं, जिन्होंने ग्वालियर को संगीत नगरी के रूप में पहचान दी। यहां हर साल अखिल भारतीय स्तर का तानसेन संगीत समारोह यहां होता है।
पायलट प्रोजेक्टर के रूप में विकसित होंगे ग्वालियर-ओरछा
संगीत, सांस्कृतिक धरोहरों से ओतप्रोत शहरों को प्रदेश सरकार द्वारा संपूर्ण रूप से विकसित किया जाएगा। मध्य प्रदेश सरकार ने यूनेस्को के साथ मिलकर इस दिशा में पायलट प्रोजेक्ट बनाया है। जिसमें ग्वालियर और ओरछा को यूनेस्को ऐतिहासिक शहरी लैंडस्केप पायलट प्रोजेक्ट के रूप में विकसित करेगा। इसके लिए हर क्षेत्र में काम होगा। इनके विकास का खाका तैयार किया जा रहा है।
यह होगा फायदा
पर्यटन की नजर से इन शहरों के नाम वैश्विक पटल पर आ जाएंगे। हमारी सांस्कृतिक विरासत और खानपान का विश्व में प्रचार होगा। आर्थिक और सामाजिक तौर पर शहर मजबूत होंगे। जिसका फायदा व्यवसाय और रोजगार को मिलेगा। इसके अलावा सफाई में नंबर एक आने का भी फायदा मिलेगा।