Indore: इंदौर में भारी बारिश के बीच 15 घरों पर चला बुलडोजर, रहवासियों ने निगमकर्मी पर किया हमला

Indore: इंदौर में भारी बारिश के बीच 15 घरों पर चला बुलडोजर, रहवासियों ने निगमकर्मी पर किया हमला
Indore: जिला प्रशासन द्वारा अवैध भूमि पर बने 100 से अधिक मकानों को ढहाए जाने के विरोध में इंदौर के न्याय नगर एक्सटेंशन क्षेत्र के निवासियों ने प्रदर्शन किया है।

Indore: मध्य प्रदेश के इंदौर में भारी बारिश के बीच 15 घरों पर बुलडोजर चला दिया। निगम का अमला एक बिल्डर की जमीन पर बने 75 अवैध मकान ढहाने पहुंचा था। रहवासियों के भारी विरोध के बीच कार्रवाई रोकनी पड़ी।

100 से अधिक मकानों पर चला बुलडोजर

बता दें कि शुक्रवार को जिला प्रशासन द्वारा अवैध भूमि पर बने 100 से अधिक मकानों को ढहाए जाने के विरोध में इंदौर के न्याय नगर एक्सटेंशन क्षेत्र के निवासियों ने प्रदर्शन किया। गुस्साए स्थानीय लोगों ने उत्खनन मशीनों को रोक दिया और नगर निगम तथा पुलिस अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी की है।

एसडीएम ने क्या कहा

जानकारी के अनुसार, सुबह-सुबह रेडिसन स्क्वायर के पास कार्रवाई शुरू हुई तो जहां पुलिस और नगर निगम की टीमें भारी उपकरणों के साथ पहुंचीं तो तोड़फोड़ से पहले, महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सहित निवासियों का एक बड़ा समूह विरोध करने के लिए एकत्र हो गया, उन्होंने मशीनरी को रोक दिया और कार्रवाई का विरोध करते हुए नारे भी लगाए। बता दें कि तोड़फोड़ की कार्रवाई अदालत के आदेश के तहत की गई है। एडीएम घनश्याम धनगर ने कहा कि करीब 150 इमारतें शामिल थीं, जिनमें बिना स्थगन आदेश वाली इमारतों के खिलाफ कार्रवाई की गई जिसमें लगभग 97 इमारतों के पास स्थगन आदेश था, और उन्हें इस कार्रवाई में शामिल नहीं किया गया।

10-12 वर्षों से इस इलाके में रह रहे थे लोग

कई निवासी, जो 10-12 वर्षों से इस इलाके में रह रहे थे और जिन्होंने अपने घरों में भारी निवेश किया था, उन्होंने इस कार्रवाई के विरूद्ध अपना गुस्सा जाहिर किया है। उन्होंने तर्क दिया कि उनके पास वो सभी जिसमें इस बात का जिक्र है कि ये घर उनका, लोगों का कहना है कि उन्होंने घर बनाने के लिए क्या- क्या नहीं किया यहां तक की कई लोगों ने अपने घर की एक एक इट जोड़ने के लिए लोन तक ले लिया था। बता दें कि जिस जमीन पर कॉलोनी बनाई गई थी, वह श्री राम बिल्डर्स की थी, जिन्होंने अवैध संरचनाओं को हटाने के लिए अदालत से हस्तक्षेप की मांग की थी। अदालत के आदेश के बाद 21 साल से अधिक समय से चल रहा कानूनी विवाद खत्म हो गया। तोड़फोड़ से पहले, निवासियों को अपना सामान हटाने के लिए समय दिया गया था, जिसे उन्हें खुले में छोड़ना पड़ा। अपने घरों और संपत्तियों के विनाश से प्रभावित परिवारों में काफी परेशानी हुई है।

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