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शंकर न होते तो यह भारत ही न होता : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह
ओंकारेश्वर, खण्डवा। शंकराचार्य न हुए होते तो ना भारत,भारत के रूप में रहता। न हम होते।शंकराचार्य भारतीय चेतना एवम संस्कृति के जागरण के नायक हैं। उक्त बातें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने शुक्रवार को ओंकारेश्वर में आयोजित आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास द्वारा आयोजित संवाद विमर्श कार्यक्रम के दौरान कहीं। कार्यक्रम का संचालन मनोज मुंतशिर ने किया । प्रभावी प्रस्तावना आशुतोष सिंह ने रखी और प्रमुख सचिव संस्कृति शिवशेखर ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि बेशक शासन का काम जन सुविधाओं को देना हैं, पर सरकार का काम जन के मन को सुधारने का भी है । सीएम शिवराज बोले, मैं अभिभूत हूं, निश्चित ही मैं अभिभूत हूं क्योंकि एक स्वप्न साकार हो रहा है । शंकर ने सनातन धर्म पर आए संकट के निवारण के लिए ही जन्म लिया। यह एकात्म धाम मेरा विश्वास है कि विश्व को दिशा देगा और शांति का मार्ग प्रशस्त करेगा। साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज ने जोड़ा कि भारत शास्त्र की रक्षा के लिए शस्त्र का उपयोग भी करेगा।
इस दौरान परमार्थ निकेतन हैदराबाद से पधारे स्वामी चिदानंद सरस्वती ने सारस्वत उद्बोधन में कहा कि देश को "टंग मैनेजमेंट " की आवश्यकता है । आज वातावरण में जो विष है, उसे शंकर के दर्शन से ही समाप्त किया जा सकता हैं। मैं एकात्म धाम के बीज को और मध्य प्रदेश की इस धरा को कोटि-कोटि प्रणाम करता हूं।
वहीं, संवाद के इस कार्यक्रम में आए रामचंद्र मिशन हैदराबाद के प्रमुख का कहना रहा है कि उन्हें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सोच पर गर्व है। एकात्मता का भाव बोलने से नहीं अनुभूति से होगा और यहां साक्षात इस बात की अनुभूति हो रही है। इस संवाद में चैतन्य आश्रम सोनीपत से पधारी आनंदमई गुरु मां के भी सभी को आशीर्वचन प्राप्त हुए। उनके उद्बोधन का सार तत्व था कि ''परमात्मा मानने का विषय नहीं जानने का हैं।'' उन्होंने कहा कि ''मैं और तू के भेद का मिटाना ही धाम का लक्ष्य है।''
इसके साथ ही आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास के इस संवाद में गायत्री परिवार के युवा संगठक चिन्मय पांड्या ने शंकराचार्य के कृतित्व और व्यक्तित्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए भारतीय सनातन संस्कृति में उनके अवदान पर विमर्श प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि ''एकात्म धाम भारतीय दर्शन को विश्व के पटल पर लाएगा ।''