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कोरोना : इंदौर में प्लाज्मा थेरेपी से इलाज हुआ शुरू
भोपाल। कोरोना संक्रमण से निजात पाने के लिए डॉक्टर्स ने आज प्लाज्मा थैरेपी का पहला परिक्षण किया गया। प्रयोगात्मक रूप से किया गया यह परीक्षण यदि सफल हो गया तो स्वस्थ हो चुके एक व्यक्ति का खून दो कोरोना मरीजों की जान बचाई जा सकेगी।
केंद्र सरकार से अनुमति मिलने के बाद शहर के अरबिंदो मेडिकल कॉलेज में प्लाज्मा थैरेपी से कोरोना पॉजिटिव मारीजों का उपचार प्रारंभ किया गया है। चंडीगढ़ और दिल्ली के बाद इंदौर प्लाज्मा थैरेपी से इलाज करने वाला देश का तीसरा शहर बन गया है। जानकारी के अनुसार शहर में पिछले दिनों कोरोना संक्रमण को हराकर स्वस्थ हुए तीन डॉक्टर इकबाल इस प्रक्रिया के आज मंगलवार को पूरी होने के बाद उन मरीजों का पहला टेस्ट किया गया है। इन मरीजों रिपोर्ट्स से पता चलेगा की उनकी रोग प्रतिरोध्रक क्षमता कितनी बढ़ी है। यदि यह प्रयोग सफल हुआ तो इस कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने में सहायता मिलेगी।
ये होता है प्लाज्मा थैरेपी -
खून में मुख्य रूप से चार अवयव होते है। जिन्हें रेड ब्लड सेल, व्हाइट ब्लड सेल, प्लेटलेट्स व प्लाज्मा कहते है। प्लाज्मा खून का तरल हिस्सा होता है, इसके द्वारा एंटीबॉडी शरीर में विचरण करते हैं। यही एंटीबॉडी संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति के खून में मिलकर रोग से लड़ने में मदद करती है। कोरोना से पूरी तरह ठीक हुए लोगों के खून में एंटीबॉडीज बन जाती हैं, जो उसे संक्रमण को मात देने में मदद करती हैं। प्लाज्मा थैरेपी में यही एंटीबॉडीज, प्लाज्मा डोनर यानी संक्रमण को मात दे चुके व्यक्ति के खून से निकालकर संक्रमित व्यक्ति के शरीर में डाला जाता है। डोनर और संक्रमित का ब्लड ग्रुप एक होना चाहिए। प्लाज्मा चढ़ाने का काम विशेषज्ञों की निगरानी में किया जाता है।