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इंदौर में विपक्ष पर बरसे योगी आदित्यनाथ, कहा - कई लोग हैं, जिन्हें राम-कृष्ण की परंपरा अच्छी नहीं लगती
इंदौर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि देश में ऐसे कई लोग हैं, जो भारत और भारत की विरासत को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें राम और कृष्ण की परंपरा अच्छी नहीं लगती। ऐसे लोग विदेशी हुकूमत को आज भी अपना आका मानते हैं। ऐसे विचार के लिए भारत में जगह नहीं होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री योगी बुधवार को इंदौर में शिवाजी वाटिका में छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्यभिषेक की 350वीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आप सभी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छता के मिशन को ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। हिंदवी स्वराज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज की 350वीं वर्षगांठ मनाने की शुरुआत इंदौर ने ही की है। मुझे यकीन है कि इसकी गूंज कन्याकुमारी से कश्मीर तक जाएगी। उस समय के सबसे क्रूर मुगल शासक को चुनौती देने वाले शिवाजी महाराज को आज भी श्रद्धा और सम्मान से याद किया जाता है। लोक कल्याण का विकास, राष्ट्रवाद के भगवा को उन्होंने ऊंचाइयों तक पहुंचाया था।
महाकाल के दर्शन -
इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुधवार को दोपहर में इंदौर पहुंचे थे। वे एयरपोर्ट से हेलीकॉप्टर से सीधे उज्जैन पहुंचे और भगवान महाकाल के दर्शन किए। वे उज्जैन में भर्तृहरि की गुफा भी गए और वहां दर्शन करने के बाद इंदौर लौट आए। यहां उन्होंने राजबाड़ा स्थित देवी अहिल्या प्रतिमा पर नमन कर माल्यार्पण किया। फिर वे नाथ मंदिर पहुंचे और ध्वज स्तंभ का अनावरण किया। इसके बाद योगी बीआरटीएस स्थित शिवाजी वाटिका में छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्यभिषेक की 350वीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने स्वच्छता और स्मार्ट सिटी में नंबर आने पर बधाई दी।
शिवाजी शेर के समान
कार्यक्रम में उन्होंने उप्र के कवि भूषण की कविता का उल्लेख करते हुए कहा, "दावा द्रुम दंड पर, चीता मृगझुंड पर,'भूषन वितुंड पर, जैसे मृगराज हैं। तेज तम अंस पर, कान्ह जिमि कंस पर, त्यौं मलिच्छ बंस पर, सेर शिवराज हैं॥" उन्होंने इस पंक्तियों का सार बताते हुए कहा कि जिस प्रकार जंभासुर पर इंद्र, समुद्र पर बड़वानल, रावण के दंभ पर रघुकुल राज, बादलों पर पवन, रति के पति अर्थात कामदेव पर शंभु अर्थात भगवान शिव, सहस्त्रबाहु पर परशुराम, पेड़ों के तनों पर दावानल, हिरणों के झुंड पर चीता, हाथी पर शेर, अंधेरे पर प्रकाश की एक किरण, कंस पर कृष्ण भारी हैं उसी प्रकार म्लेच्छ वंश पर शिवाजी शेर के समान हैं।