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बुरहानपुर कलेक्टर पर 50 हजार का जुर्माना: अवैध वन कटाई के खिलाफ आवाज उठाने वाले कार्यकर्ता को जिलाबदर करने का मामला…
भोपाल। मप्र उच्च न्यायालय ने जनजाति वर्ग के युवक को जिलाबदर करने के मामले में बुरहानपुर जिलाधीश पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। बुरहानपुर में 'जागृत आदिवासी दलित संगठन के कार्यकर्ता अंतराम अवासे पर वनों से जुड़े 11 अपराध दर्ज कर जिलाबदर कर दिया गया था, जिसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। वर्तमान में भव्या मित्तल बुरहानपुर की जिलाधीश हैं।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश विवेक अग्रवाल ने मामले की सुनवाई के बाद बुरहानपुर कलेक्टर पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। न्यायालय ने राज्य शासन को यह अनुमति भी दी है कि अगर वह चाहे तो जिलाधीश से यह राशि व्यक्तिगत रूप से वसूल सकता है। न्यायायलय ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर राजनीतिक दबाव में आकर ऐसी कार्रवाई की गई है, तो यह न्यायोचित नहीं है।
याचिकाकर्ता ने बताया कि अंतराम अवासे ने 2023 में बुरहानपुर जिले में हो रही अवैध वन कटाई के खिलाफ आवाज उठाई थी, जिसके बाद 2024 में जिलाधीश ने उनके खिलाफ जिलाबदर का आदेश जारी कर दिया। याचिकाकर्ता की दलील सुनने के बाद न्यायालय ने कहा कि कलेक्टर और इंदौर संभागायुक्त ने बिना उचित विवेक के आदेश पारित किया। न्यायालय ने यह भी कहा कि सुनवाई के दौरान अंतराम अवासे से लोक शांति और सुरक्षा को कोई खतरा साबित नहीं हुआ।
दरअसल, अंतराम अवासे जंगल में चल रही अवैध कटाई को लेकर लगातार जिला प्रशासन और वन विभाग से शिकायत कर रहे थे और उन्होंने इस मुद्दे को लेकर धरना भी दिया था। इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। उल्टा राजनीतिक दबाव में जिला प्रशासन ने अंतराम के खिलाफ ही मामले दर्ज करा दिए। आपराधिक मामलों को आधार बनाते हुए बुरहानपुर जिलाधीश ने अवासे को जिलाबदर कर दिया। इस आदेश को पहले संभागायुक्त न्यायालय में चुनौती दी गई, लेकिन उन्होंने आदेश यथावत रखा। इसके बाद उच्च न्यायालय की शरण ली थी।