जातिवाद, छुआछूत हजारों साल पुरानी बीमारी, भेदभाव को लेकर चलने वाले को आगे चलकर ओढऩा पड़ता है बुर्का

जातिवाद, छुआछूत हजारों साल पुरानी बीमारी, भेदभाव को लेकर चलने वाले को आगे चलकर ओढऩा पड़ता है बुर्का

जबलपुर। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प.पू. सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने मानस भवन सभागार में समरसता व्याख्यानमालाको संबोधित किया। मोहन भागवत ने कहा कि संघ हिंदू समाज को संगठित करने का काम कर रहा है। धर्म समाज में पहले भेदभाव को दूर करने का काम करता हैं। कोई अपवित्र नहीं है, कोई ऊंचा नीचा नहीं है, सब सामान्य है एक में सब है, सब में एक है, इस भावना से हमें आगे बढऩा होगा। डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि स्वार्थ के स्वभाव ने हमको ऊंच-नीच सिखा दिया। अब समय जागने का है, धर्म को जानने के लिए सत्य पर चलना पड़ता है, कहीं भी भेद का समर्थन अध्यात्म में नहीं है।

समरसता के कार्यक्रम को चलाने की जरूरत फिर से है, समरसता केवल भावना से नहीं उस पर अमल करने से आती है, भेद का भाव को लेकर चलने वाले को आगे चलकर बुर्का ओढऩा पड़ता है, कोई ऊंच-नीच नहीं है सब समान है हम सब भारत माता के पुत्र हैं। उन्होंने आगे कहा कि गलती को ठीक करना है, गलती करने वाले को ठीक नहीं करना। जातिवाद, छुआछूत हजारों साल पुरानी बीमारी है, इस बीमारी से लडऩे के लिए बहुत सतर्क समझदारी से चलना होगा। जो लोग घर छोडक़र चले गए उनको भी हम वापस लाएंगे, समरसता के साथ भारत विश्व गुरु बनना चाहिए। इससे पूर्व डॉ. भागवत ने नरसिंह पीठाधीश्वर स्वामी श्यामदेवाचार्य की द्वितीय पुण्यतिथि के कार्यक्रम में भी भागीदारी की और उनकी प्रतिमा का अनावरण किया।

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