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रावेरखेड़ी मेरे लिए बेहद भावनात्मक स्थल : केंद्रीय मंत्री सिंधिया
खरगौन। केन्द्रीय नागरिक उड्उयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि रावेरखेड़ी उनके लिए बेहद भावनात्मक स्थल है। उनके पूर्वजों ने यहां बाजीराव पेशवा की समाधि बनायी थी। सिंधिया ने यह बात बुधवार को पेशवा बाजीराव प्रथम की जयंती पर उनके समाधि स्थल रावेरखेड़ी में आयोजित भावपूर्ण आयोजन को संबोधित करते हुए कही।
केंद्रीय नागरिक एवं उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारत माँ के वीर सपूत पेशवा बाजीराव प्रथम की जयंती पर बुधवार को उनके समाधि स्थल रावेरखेड़ी पहुँचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान यहां भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया।कार्यक्रम में केन्द्रीय मंत्री सिंधिया ने कहा कि मध्यकाल में जब चारों तरफ़ से भारत माँ को घेरने की कोशिश विदेशी आक्रांताओं द्वारा की जा रही थी, तब डेढ़ सौ सालों तक वीर मराठाओं ने भारत भूमि की अस्मिता बचाने का पराक्रम किया। वीर शिवाजी ने मुगलों के सामने कभी घुटने नहीं टेके। अटक से लेकर कटक तक हिन्दवी साम्राज्य का भगवा ध्वज मराठाओं ने फहराया था।
मराठा शिल्प का उपयोग -
सिंधिया ने कहा कि पेशवा का शब्द अंग्रेजों द्वारा बिगाड़ा गया, पेशवा का सही उच्चारण पेशवे होता है। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि रावेरखेड़ी में होने वाले सम्पूर्ण निर्माण में मराठा शिल्प का उपयोग किया जाए। मराठाओं की परंपरा के अनुरूप हर निर्माण का आधार काले पत्थरों से हो।
माँ का जीवित स्वरूप -
कायर्क्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज इस पुण्य स्थली में आकर वे धन्य हो गए हैं। भारत मां ने अनेक वीरों को जन्म दिया है। बाजीराव पेशवा उन्हीं महान सपूतों में सिरमौर हैं। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. अटल बिहारी बाजपेयी का स्मरण करते हुए कहा कि स्वर्गीय बाजपेयी जी ने कहा था कि यह देश हमारे लिए ज़मीन का टुकड़ा नहीं है अपितु यह माँ का जीवित स्वरूप है।
अखंड स्वरूप हमारे लिए वन्दनीय -
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि भारत माता का अखंड स्वरूप हमारे लिए वन्दनीय हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उद्धृत विभाजन विभीषिका दिवस का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें खंडित आज़ादी मिली थी। लव कुश का लाहौर, अधूरा पंजाब, हिंगलाज मैया और ढाकेश्वरी देवी का मंदिर सभी आज हमारी सीमाओं से परे हैं। भारत माँ की रक्षा, एकता और अखण्डता के लिए वीर बाजीराव पेशवा सहित अनेकों वीरों ने अपने प्राणों का उत्सर्ग किया था।
मुख्यमंत्री चौहान ने बाजीराव पेशवा के पराक्रम, वीरता और साहस के अनेकों प्रसंगों को दोहराया। उन्होंने कहा कि वीर बाजीराव की वीरता और पराक्रम, युद्ध कौशल और रणनीति का पाठ विदेशों के सैन्य संस्थानों में भी पढ़ाया जाता है। उन्होंने कहा कि महाराजा छत्रसाल का राज्य उन्होंने युद्ध जीतकर वापस लौटाया। जब उन्होंने दिल्ली कूच किया तो औरंगज़ेब के पोते की घिग्गी बंध गई। बाजीराव पेशवा की वीरता और पराक्रम से निज़ाम की घेराबंदी का रणनीतिक कौशल इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है।
झरोखे से किया माँ नर्मदा का पूजन -
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने समाधि स्थल पर भगवान शिव का पूजन किया और पेशवा बाजीराव की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। अतिथियों ने समाधि स्थल पर बने परकोटे से पुण्य-सलिला माँ नर्मदा का दर्शन और पूजन किया।